उत्तराखंड सरकार ने पतंजलि के 14 उत्पादों के लाइसेंस निलंबन के आदेश पर रोक लगाई

उत्तराखंड राज्य लाइसेंसिंग प्राधिकरण ने पिछले माह ड्रग्स एंड कॉस्मेटिक रूल्स, 1945 के बार-बार उल्लंघन के लिए पतंजलि आयुर्वेद लिमिटेड और दिव्य फार्मेसी के 14 उत्पादों के विनिर्माण लाइसेंस को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया था. अब राज्य के आयुष विभाग ने उक्त आदेश पर अंतरिम रोक लगा दी है.

(फोटो साभार: patanjaliayurved.org)

देहरादून: पतंजलि आयुर्वेद लिमिटेड और दिव्य फार्मेसी के एक दर्जन से अधिक दवाओं के विनिर्माण लाइसेंस को निलंबित करने वाले आदेश के कार्यान्वयन पर शुक्रवार को अंतरिम रोक लगा दी गई.

एनडीटीवी के मुताबिक, उत्तराखंड सरकार के आयुष विभाग के सचिव पंकज कुमार पांडे ने एक आदेश में कहा कि एक उच्च स्तरीय समिति की प्रारंभिक जांच रिपोर्ट के आधार पर तत्काल प्रभाव से आदेश पर अंतरिम रोक लगाई जा रही है.

मामले की जांच कर रही समिति ने अपनी रिपोर्ट में कहा, ‘निलंबन का आदेश अवैध है और लाइसेंसिंग प्राधिकारण द्वारा इसे उस तरीके से पारित नहीं किया जाना चाहिए था, जिस तरह से इसे पारित किया गया.’

कंपनियों ने पिछले महीने उत्तराखंड राज्य लाइसेंसिंग प्राधिकरण द्वारा जारी निलंबन आदेश को चुनौती दी थी.

अब निलंबन पर रोक लगाने वाले आदेश में कहा गया है, ‘चूंकि कानून द्वारा स्थापित प्रक्रिया का पालन किए बिना लाइसेंस रद्द कर दिया गया है, इसलिए समिति उचित निर्णय के लिए अपनी रिपोर्ट उत्तराखंड सरकार को सौंप रही है.’

बता दें कि आयुर्वेदिक और यूनानी सेवाओं के लिए उत्तराखंड राज्य लाइसेंसिंग प्राधिकरण (एसएलए) ने बीते माह ड्रग्स एंड कॉस्मेटिक अधिनियम, 1945 और ड्रग्स एंड मैजिक रेमेडीज (आपत्तिजनक विज्ञापन) अधिनियम, 1954 के तहत पतंजलि आयुर्वेद लिमिटेड और दिव्य फार्मेसी के 14 उत्पादों के विनिर्माण लाइसेंस को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया था.

जिन दवाओं के विनिर्माण लाइसेंस को निलंबित किया गया था उनमें‘स्वसारि गोल्ड’, ‘स्वसारि वटी’, ‘ब्रॉन्चोम’, ‘स्वसारि प्रवाही’, ‘स्वसारि अवालेह’, ‘मुक्ता वटी एक्स्ट्रा पावर’, ‘लिपिडोम’, ‘बीपी ग्रिट’, ‘मधुग्रिट’, ‘मधुनाशिनी वटी एक्स्ट्रा पावर’, ‘लिवामृत एडवांस’, ‘लिवोग्रिट’, ‘आईग्रिट गोल्ड’ और ‘पतंजलि दृष्टि आई ड्रॉप’ शामिल थीं.

गौरतलब है कि इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) द्वारा दायर एक याचिका पर सुनवाई करते हुए, जस्टिस हिमा कोहली और अहसानुद्दीन अमानुल्लाह की सुप्रीम कोर्ट की पीठ ने बीते 10 अप्रैल को एसएलए से कंपनी के कथित भ्रामक दावों के लिए उसके खिलाफ की गई कार्रवाई के बारे में सूचित करने को कहा था. इसके जवाब में एसएलए ने 29 अप्रैल को शीर्ष अदालत को इन 14 दवाओं के विनिर्माण लाइसेंस रद्द किए जाने की सूचना दी थी.

अपने जवाब में एसएलए ने यह भी कहा था कि, ‘16.04.2024 को ड्रग इंस्पेक्टर/जिला आयुर्वेदिक और यूनानी अधिकारी हरिद्वार ने स्वामी रामदेव, आचार्य बालकृष्ण, दिव्य फार्मेसी और पतंजलि आयुर्वेद लिमिटेड के खिलाफ सीजेएम हरिद्वार के समक्ष डीएमआर अधिनियम की धारा 3, 4 और 7 के तहत एक आपराधिक शिकायत दर्ज की है.’

उल्लेखनीय है कि इससे पहले एसएलए ने पतंजलि के भ्रामक विज्ञापनों के खिलाफ की गई शिकायतों पर दो साल से अधिक समय तक कोई कार्रवाई नहीं की थी.

मालूम हो कि केरल के डॉक्टर केवी बाबू ने पतंजलि के भ्रामक विज्ञापनों के खिलाफ कार्रवाई की मांग करते हुए कई बार केंद्र सरकार को पत्र लिखा था. बीते फरवरी महीने में लिखे पत्र में केंद्र से शिकायत करते हुए उत्तराखंड के अधिकारियों पर केंद्र के कई निर्देशों और प्रधानमंत्री कार्यालय के हस्तक्षेप के बावजूद पतंजलि के हर्बल उत्पादों के भ्रामक विज्ञापनों को लेकर पतंजलि आयुर्वेद के खिलाफ कार्रवाई न करने का आरोप लगाया था.