उत्तराखंड: पतंजलि की सोन पापड़ी गुणवत्ता परीक्षण में फेल, कंपनी के सहायक प्रबंधक समेत 3 को जेल

'पतंजलि नवरत्‍न इलायची सोन पापड़ी' को लेकर शिकायतें सामने आने के बाद इसके सैंपल इकट्ठा कर प्रयोगशाला में जांच कराई गई थी, जिसमें यह मानकों पर खरी नहीं उतरी. इसके बाद कंपनी के सहायक प्रबंधक समेत, वितरक और विक्रेता के ख़िलाफ़ मामला दर्ज किया गया था.

फोटो साभार: यूट्यूब/पतंजलि आयुर्वेद)

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट से लगी फटकार के बाद बाबा रामदेव को हाल ही में उनकी कंपनियों के 14 उत्पादों पर लगी रोक हटने से थोड़ी राहत मिली थी. लेकिन, अब फिर से पतंजलि के लिए नई मुसीबत खड़ी हो गई है. उत्तराखंड के पिथौरागढ़ के मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट ने सोन पापड़ी के गुणवत्ता परीक्षण में फेल होने के बाद पतंजलि आयुर्वेद लिमिटेड के एक सहायक प्रबंधक (असिस्‍टेंट मैनेजर) सहित तीन लोगों को छह महीने जेल की सजा सुनाई है. इन तीनों पर जुर्माना भी लगाया गया है.

टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक, खाद्य सुरक्षा निरीक्षक ने 17 अक्टूबर 2019 को पिथौरागढ़ के बेरीनाग इलाके में स्थित लीला धर पाठक की दुकान का दौरा किया था, जहां ‘पतंजलि नवरत्‍न इलायची सोन पापड़ी’ को लेकर शिकायतें सामने आई थीं.

इस संबंध में सैंपल इकट्ठे किए गए और कान्हा जी डिस्‍ट्रीब्‍यूटर के साथ ही पतंजलि आयुर्वेद लिमिटेड को भी नोटिस जारी किया गया था. इसके बाद 18 मई, 2020 को रूद्रपुर के उधम सिंह नगर में राज्य खाद्य एवं औषधि परीक्षण प्रयोगशाला में इन सैंपल की फोरेंसिक जांच की गई.

दिसंबर 2020 में प्रयोगशाला की एक रिपोर्ट में सोन पापड़ी के घटिया गुणवत्ता के होने की जानकारी मिली. इसके बाद दुकान मालिक लीला धर पाठक, डिस्‍ट्रीब्‍यूटर अजय जोशी और पतंजलि के असिस्‍टेंट मैनेजर अभिषेक कुमार के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया.

मामले की सुनवाई के बाद अदालत ने खाद्य सुरक्षा और मानक अधिनियम, 2006 की धारा 59 के तहत तीनों आरोपियों को छह महीने जेल की सजा सुनाई है. साथ ही, लीलाधर पाठक पर 5 हजार, अजय जोशी पर 10 हजार और अभिषेक कुमार पर 25 हजार रुपये का जुर्माना लगाया है.

खाद्य सुरक्षा अधिकारी ने बताया कि अदालत में पेश किए गए सबूत स्पष्ट रूप से उत्पाद की घटिया गुणवत्ता का प्रदर्शन करते हैं.

गौरतलब है कि उत्तराखंड राज्य लाइसेंसिंग प्राधिकरण ने पिछले माह ड्रग्स एंड कॉस्मेटिक रूल्स, 1945 के बार-बार उल्लंघन के लिए पतंजलि आयुर्वेद लिमिटेड और दिव्य फार्मेसी के 14 उत्पादों के विनिर्माण लाइसेंस को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया था.

जिन दवाओं के विनिर्माण लाइसेंस को निलंबित किया गया था उनमें ‘स्वसारि गोल्ड’, ‘स्वसारि वटी’, ‘ब्रॉन्चोम’, ‘स्वसारि प्रवाही’, ‘स्वसारि अवालेह’, ‘मुक्ता वटी एक्स्ट्रा पावर’, ‘लिपिडोम’, ‘बीपी ग्रिट’, ‘मधुग्रिट’, ‘मधुनाशिनी वटी एक्स्ट्रा पावर’, ‘लिवामृत एडवांस’, ‘लिवोग्रिट’, ‘आईग्रिट गोल्ड’ और ‘पतंजलि दृष्टि आई ड्रॉप’ शामिल थीं.

हालांकि, राज्य के आयुष विभाग ने उक्त आदेश के कार्यान्वयन पर शुक्रवार (17 मई) को अंतरिम रोक लगा दी है.