पश्चिम बंगाल: ममता बनर्जी ‘इंडिया’ गठबंधन में अपनी स्थिति को लेकर क्यों स्पष्ट नहीं हैं?

पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री और तृणमूल कांग्रेस प्रमुख ममता बनर्जी ने केंद्र में 'इंडिया' गठबंधन की सरकार बनने पर सीएए, एनआरसी और समान नागरिक संहिता को समाप्त करने की बात कही है. हालांकि, उनके गठबंधन का हिस्सा होने पर भ्रम की स्थिति बनी हुई है. इससे कांग्रेस के स्थानीय नेतृत्व और केंद्रीय नेतृत्व के बीच भी विवाद खड़ा हो गया है.

(फोटो साभार: फेसबुक/ममता बनर्जी)

नई दिल्ली: पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री और तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) सुप्रीमो ममता बनर्जी ने दावा किया है कि अगर लोकसभा चुनाव के बाद ‘इंडिया गठबंधन’ की सरकार बनती है तो वह नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए), राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (एनआरसी) और समान नागरिक संहिता (यूसीसी) को समाप्त कर देगी. हालांकि, ममता बनर्जी और उनकी पार्टी विपक्षी गठबंधन ‘इंडिया’ का हिस्सा हैं या नहीं, इसे लेकर विवाद है. इसी कारण उनके इस बयान ने कांग्रेस के स्थानीय नेतृत्व और राष्ट्रीय नेतृत्व को एक-दूसरे के आमने-सामने ला खड़ा किया है.

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, शनिवार (18 मई) को आरामबाग (हुगली) में एक चुनावी रैली को संबोधित करते हुए ममता बनर्जी ने कहा था, ‘बंगाल में (टीएमसी और इंडिया गठबंधन के किसी सहयोगी के बीच) कोई गठबंधन नहीं है क्योंकि कांग्रेस और माकपा (मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी) की स्थानीय इकाइयां भाजपा (भारतीय जनता पार्टी) के लिए काम कर रही हैं. हम राष्ट्रीय स्तर पर इंडिया गठबंधन के साथ हैं. गठबंधन का नाम मैंने ही ‘इंडिया’ रखा था. यही कारण है कि उन्होंने संविधान से ‘इंडिया’ नाम हटाने की कोशिश की. अगर भाजपा दोबारा सत्ता में आई तो वे संविधान पर हमला करेंगे’

क्यों बार-बार बदल रहे हैं ममता बनर्जी के सुर?

इंडिया गठबंधन को लेकर ममता बनर्जी ने पहली बार ऐसा बयान नहीं दिया है. आम चुनाव के बीच वह बार-बार अपने सुर बदल रही हैं. शनिवार वाले बयान से पहले उन्होंने बुधवार (22 मई) को हुगली जिले के चुचुड़ा में एक चुनावी सभा को संबोधित करते हुए कहा था कि अगर चुनाव के बाद ‘इंडिया’ गठबंधन सरकार बनाता है तो तृणमूल कांग्रेस नई सरकार को ‘बाहर से समर्थन’ देगी.

बीबीसी हिंदी की एक रिपोर्ट के मुताबिक, उन्होंने कहा था, ‘हम बाहर से हर संभव सहायता देकर सरकार का गठन करा देंगे ताकि बंगाल की माताओं-बहनों को कभी कोई दिक्कत नहीं हो और सौ दिनों के काम में भी कभी समस्या नहीं हो.’

इस बयान को 24 घंटे भी नहीं बीते थे कि ममता बनर्जी ने गुरुवार (23 मई) को कहा, ‘अखिल भारतीय स्तर पर हमने विपक्षी दलों का इंडिया गठबंधन तैयार किया था. हम गठबंधन का हिस्सा बने रहेंगे. कई लोगों ने मेरे बयान को गलत समझा है. मैं गठबंधन में शामिल हूं. मैंने वह गठबंधन तैयार किया है और उसमें शामिल भी रहूंगी. राष्ट्रीय स्तर पर हम गठबंधन में रहेंगे. बंगाल में माकपा और कांग्रेस भाजपा के साथ हैं.’

पश्चिम बंगाल की राजनीति को समझने वालों का मानना है कि ममता बनर्जी सुर नहीं बदल रही हैं बल्कि यह उनकी ‘रणनीति’ है द वायर से बातचीत में पश्चिम बंगाल के वरिष्ठ पत्रकार स्निग्धेंदु भट्टाचार्य ने कहा, ‘ममता बनर्जी बयान नहीं बदल रही हैं, बल्कि यह उनकी रणनीति है. ममता चाहती हैं कि तृणमूल विरोधी वोट भाजपा और लेफ्ट-कांग्रेस के बीच बिखड़ जाए. हालांकि, ये बात भी सही है कि अधीर चौधरी (पश्चिम बंगाल कांग्रेस प्रमुख) टीएमसी के साथ नहीं जाना चाहते क्योंकि राज्य में लेफ्ट और कांग्रेस का ‘तृणमूल विरोधी जनाधार’ है यानी टीएमसी के विरोधी मतदाता कांग्रेस और लेफ्ट को वोट करते हैं.’

भट्टाचार्य आगे जोड़ते हैं, ‘अगर राज्य में यह संदेश जाएगा कि लेफ्ट, कांग्रेस और टीएमसी एक साथ हैं तो भाजपा को फायदा हो सकता है. वह टीएमसी विरोधी मतदाताओं में पैठ बनाने की कोशिश करेगी. लेकिन अगर लेफ्ट-कांग्रेस साथ में चुनाव लड़ते हैं और टीएमसी पर हमला करते हैं तो ज्यादातर सीटों पर भाजपा को नुकसान हो सकता है.’

भट्टाचार्य का मानना है कि पश्चिम बंगाल का त्रिकोणीय मुकाबला भाजपा के लिए ठीक नहीं है. उन्होंने कहा, ‘पश्चिम बंगाल के भाजपा अध्यक्ष सुकांत मजूमदार ने जनता के बीच यह कहना शुरू भी कर दिया है कि दिल्ली में ये तीनों साथ में हैं. उन्होंने अधीर रंजन चौधरी से भी कहा है कि टीमसी का मुकाबला करना है तो भाजपा में आ जाइए.’

अधीर रंजन चौधरी ने ममता को बताया अवसरवादी

ममता बनर्जी के इन बयानों से इंडिया गठबंधन के सहयोगी नाराज हैं. कांग्रेस की पश्चिम बंगाल इकाई ने भी अपना गुस्सा जाहिर किया है.

पीटीआई से बातचीत में कांग्रेस प्रमुख अधीर रंजन चौधरी ने गुरुवार (23 मई) को कहा था, ‘यह संकेत है कि इंडिया गठबंधन आगे बढ़ रहा है और सरकार बनाने की कगार पर है. यही कारण है कि एक चतुर और अवसरवादी नेता के रूप में ममता बनर्जी ने पहले ही अपना समर्थन देने का फैसला किया है. उन्होंने (ममता बनर्जी) अपनी विश्वसनीयता खो दी है. वह इस वास्तविकता को समझ गई हैं कि मतदाता इंडिया गठबंधन की तरफ जा रहे हैं. उन्हें एहसास हो गया है कि वह राष्ट्रीय राजनीति में अलग-थलग पड़ गई हैं. अब वह राष्ट्रीय राजनीति में बने रहने के लिए चाल चल रही हैं.’

एएनआई से बात करते हुए चौधरी ने कहा था, ‘मैं उन पर भरोसा नहीं करता. वो गठबंधन छोड़कर भाग गईं. उनकी बातों पर कोई भरोसा नहीं है. वह मौका देखकर भाजपा के साथ भी जा सकती हैं. गठबंधन तोड़ने वाली ममता बनर्जी हैं.’

बता दें कि पश्चिम बंगाल में कांग्रेस और माकपा मिलकर लोकसभा चुनाव लड़ रहे हैं. वहीं, टीएमसी ने पहले घोषणा की थी कि वह राज्य में अकेले चुनाव लड़ेगी. बंगाल की 42 लोकसभा सीटों में से 12 सीटों पर कांग्रेस और बाकी सीटों पर माकपा ने अपने उम्मीदवार उतारे हैं.

कांग्रेस नेतृत्व की राय अलग

अधीर रंजन चौधरी के बयान को लेकर जब कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे से मुंबई में एक प्रेस वार्ता के दौरान सवाल पूछा गया तो उन्होंने साफ कहा कि इन मामलों पर फैसला लेने का अधिकार अधीर रंजन चौधरी के पास नहीं है.

खरगे ने कहा, ‘पहले तो ममता जी ने कहा कि हम बाहर से समर्थन करेंगे. ऐसा पहले भी हुआ है. यूपीए (संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन) सरकार को वाम दल बाहर से समर्थन दे रहे थे. अब ममता बनर्जी का बयान आया है कि अगर सरकार बनती है तो वह सरकार में शामिल हो जाएंगी. जाहिर है वो गठबंधन के साथ हैं. जहां तक अधीर रंजन चौधरी की बात है तो वह निर्णय लेने वाले नहीं हैं. निर्णय लेने वाले हम हैं, कांग्रेस पार्टी है, हाईकमान है. हम जो निर्णय लेंगे वही सही होगा. जो हमारे फैसलों को नहीं मानेगा वह बाहर जाएगा.’

खरगे का बयान आने के बाद चौधरी ने कहा है, ‘यह मेरा वैचारिक विरोध है. कोई कांग्रेस को खत्म करने की कोशिश करेगा और मैं उसका स्वागत करूंगा, ऐसा नहीं हो सकता. मेरी कोई व्यक्तिगत दुश्मनी नहीं है. यह वैचारिक विरोध है. यह पश्चिम बंगाल में मेरी पार्टी को बचाने की लड़ाई है. मैं इस लड़ाई को नहीं रोक सकता क्योंकि मैं कांग्रेस का सिपाही हूं.’