नई दिल्ली: केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने मध्य प्रदेश में नर्सिंग कॉलेजों में अनियमितताओं की जांच करने वाले अपने ही दो अधिकारियों को गिरफ्तार कर लिया है. यह कदम इस जानकारी के सामने आने के बाद उठाया गया है कि ये अधिकारी जांच के दायरे में आए कॉलेजों से रिश्वत लेकर उन्हें क्लीन चिट दिया करते थे.
इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक, मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने राज्य के नर्सिंग कॉलेजों में कथित अनियमितताओं की जांच सीबीआई को सौंपी थी, जिसके बाद बीते फरवरी माह में एजेंसी ने अपनी रिपोर्ट में 169 नर्सिंग कॉलेज को क्लीन चिट दे दी थी, जबकि 65 को ‘अनुपयुक्त’ माना था और 74 को ‘सुधारे जाने योग्य खामियों’ की श्रेणी में रखा था.
इस मामले में सीबीआई ने 23 लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की है, जिसमें चार सीबीआई अधिकारी और कम से कम चार जिलों के नर्सिंग कॉलेज के अधिकारी भी शामिल हैं. एजेंसी ने मामले में 13 आरोपियों में से एक इंस्पेक्टर राहुल राज को कथित तौर पर 10 लाख रुपये की रिश्वत लेते हुए गिरफ्तार किया. जब्ती के दौरान 2.33 करोड़ रुपये नकद और चार गोल्ड बार (सोने के बिस्किट) भी बरामद हुए हैं.
सीबीआई के अनुसार, आरोपी- पुलिस उपाधीक्षक आशीष प्रसाद और एजेंसी के भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो के निरीक्षक राहुल राज – कुछ टीमों का नेतृत्व कर रहे थे, जिन्होंने मध्य प्रदेश के विभिन्न जिलों में विभिन्न नर्सिंग कॉलेजों में निरीक्षण किया था.
एजेंसी ने आरोप लगाया कि ये सीबीआई अधिकारी निरीक्षण दल के अन्य सदस्यों के साथ आपराधिक साजिश करके विभिन्न अपात्र नर्सिंग कॉलेजों से रिश्वत में मोटी रकम लेकर उन्हें उपयुक्तता रिपोर्ट दे रहे थे.
सीबीआई ने आरोप लगाया कि राहुल राज बिचौलियों के साथ ‘नियमित संपर्क’ में थे और उन्होंने सीबीआई निरीक्षण का कार्यक्रम विभिन्न नर्सिंग कॉलेज प्रमुखों के साथ साझा किया, उनके बुनियादी ढांचे की कमियों के अनुसार रिश्वत की राशि तय की थी.
केंद्रीय जांच एजेंसी ने कहा है कि मध्य प्रदेश में नर्सिंग कॉलेज घोटाले की सीबीआई जांच से पता चला है कि उसके अधिकारी निरीक्षण के बाद अनुकूल रिपोर्ट देने के लिए प्रत्येक संस्थान से कथित तौर पर 2-10 लाख रुपये ले रहे थे.
सीबीआई एफआईआर में कहा गया है, ‘रिश्वत का यह पैसा बाद में निरीक्षण दल के सीबीआई अधिकारियों और बिचौलियों के बीच बांटा जाता था. सूत्र ने यह भी जानकारी दी है कि इस राशि के अलावा प्रत्येक निरीक्षण के लिए प्रत्येक नर्सिंग अधिकारी और सीबीआई टीम से जुड़े विशेषज्ञ को 25,000 से 50,000 रुपये रिश्वत के रूप में दिए जाते हैं. सीबीआई टीम से जुड़े प्रत्येक पटवारी को 5,000 रुपये से 20,000 रुपये तक की रिश्वत राशि दी जाती है. नर्सिंग अधिकारी, विशेषज्ञ और पटवारी के लिए रिश्वत की राशि इन निजी व्यक्तियों द्वारा निरीक्षण के दिन/अगले दिन पहुंचाई जाती थी.’
सीबीआई ने आरोप लगाया है कि एक आरोपी भोपाल के एक इंजीनियरिंग कॉलेज के निदेशक जुगल किशोर बिचौलिया थे, जो सीबीआई निरीक्षण टीम और ग्वालियर, रतलाम, मंदसौर और उज्जैन जिलों के नर्सिंग कॉलेजों के बीच बिचौलिए का काम कर रहे थे.
इसी तरह, इंदौर में एक नर्सिंग और पैरामेडिकल कॉलेज के निदेशक ओम गोस्वामी ने कथित तौर पर सीबीआई निरीक्षण टीम और इंदौर, धार, खरगोन, मंडलेश्वर, रतलाम और मंदसौर में नर्सिंग कॉलेजों के बीच मध्यस्थता की.
द टेलीग्राफ की रिपोर्ट के मुताबिक, सीबीआई ने एफआईआर में दो संस्थानों के अध्यक्षों- मलय कॉलेज ऑफ नर्सिंग के अनिल भास्करन और आरडी मेमोरियल कॉलेज ऑफ नर्सिंग एंड फार्मेसी के रवि भदोरिया- को भी नामजद किया है.
भास्कर कॉलेज ऑफ नर्सिंग के जुगल किशोर शर्मा, धार कॉलेज ऑफ एजुकेशन के आशीष चौहान, शुभदीप कॉलेज ऑफ नर्सिंग के मुकेश गिरी गोस्वामी और खरगोन इंस्टिट्यूट ऑफ मेडिकल साइंस के मोहित निरोगे सहित विभिन्न कॉलेजों के निदेशकों पर भी मामला दर्ज किया गया है.
इसके अलावा, प्रत्यांश कॉलेज ऑफ नर्सिंग एंड पैरामेडिकल के ओम गोस्वामी और गौरव शर्मा को भी एफआईआर में आरोपी के रूप में सूचीबद्ध किया गया है.
सीबीआई ने कुल 13 लोगों को गिरफ्तार किया है, जिसमें इंदौर स्थित आरडी मेमोरियल कॉलेज ऑफ नर्सिंग एंड फार्मेसी के अध्यक्ष रवि भदोरिया, ग्वालियर स्थित भास्कर कॉलेज ऑफ नर्सिंग के निदेशक जुगल किशोर शर्मा, भोपाल स्थित भाभा यूनिवर्सिटी की प्रिंसिपल जालपना अधिकारी और इंदौर के प्रत्यांश कॉलेज ऑफ नर्सिंग एंड पैरामेडिकल के ओम गोस्वामी शामिल हैं.