नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का नाम लिए बिना भारतीय निर्वाचन आयोग (ईसीआई) ने फैसला सुनाया है कि 21 अप्रैल को भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के ‘स्टार प्रचारक’ के रूप में राजस्थान के बांसवाड़ा में दिया गया उनका सनसनीखेज चुनावी भाषण आदर्श आचार संहिता (एमसीसी) का उल्लंघन था.
आयोग ने यह भी कहा कि उसके द्वारा पार्टी के अध्यक्ष जेपी नड्डा को कारण बताओ नोटिस जारी करने के बाद भी पार्टी के सभी ‘स्टार प्रचारकों’ ने एमसीसी का उल्लंघन करना जारी रखा.
22 मई को नड्डा को लिखे एक पत्र में आयोग ने कहा कि उसके द्वारा विपक्षी कांग्रेस से प्राप्त शिकायतों पर प्रतिक्रियास्वरूप जारी किए नोटिस के जवाब में नड्डा के जवाब की ‘सावधानीपूर्वक जांच’ की और पाया कि ‘कथित बयानों पर पेश किया गया बचाव तर्कसंगत नहीं है.’
नड्डा के जवाब का हवाला देते हुए आयोग ने इसे ‘एक सामान्य कथन’ करार दिया, जबकि इस तथ्य का ‘कोई स्पष्ट खंडन’ नहीं किया कि उन्होंने ये भाषण नहीं दिए थे.
चुनाव आयोग ने मोदी का नाम लेने से परहेज करते हुए पार्टी अध्यक्ष के रूप में नड्डा को निर्देश दिया कि वे ‘सभी स्टार प्रचारकों’ से ‘धार्मिक/सांप्रदायिक आधार पर किसी भी प्रचार के तरीकों/बयानों से दूर रहने’ के लिए कहें.
आयोग ने नड्डा को निर्देश देते हुए कहा कि पार्टी अध्यक्ष के रूप में उन्हें ‘सभी स्टार प्रचारकों को संदेश देना होगा कि वे ऐसे भाषण और बयान न दें जिससे समाज विभाजित हो.’
पत्र में मौजूदा आम चुनाव के दौरान भाजपा के स्टार प्रचारकों के खिलाफ कांग्रेस द्वारा दर्ज कराई गईं कई शिकायतों का हवाला दिया गया था, जिसमें उसने अन्य भाषणों के अलावा उत्तर प्रदेश में एक रैली में मोदी द्वारा दिए गए उस भाषण का भी जिक्र किया था जिसमें उन्होंने कहा था कि कांग्रेस के घोषणापत्र मे ‘मुस्लिम लीग की छाप‘ है, और अगर वह सत्ता में आती है तो हिंदुओं की संपत्ति छीनकर उन लोगों में बांट देगी ‘जिनके अधिक बच्चे हैं’.
इसी तरह, चुनाव आयोग ने कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे को भी पार्टी के ‘स्टार प्रचारक’ राहुल गांधी के एक चुनावी भाषण के खिलाफ भाजपा द्वारा दायर शिकायतों के आधार पर पत्र भेजा था. गांधी ने कहा था कि भाजपा सत्ता में लौटी तो संविधान को ‘नष्ट’ कर देगी. आयोग ने यहां भी गांधी या अन्य ‘स्टार प्रचारकों’ का नाम लेने से परहेज किया.
पत्र में पार्टी के अध्यक्ष के रूप में खरगे को भी यह निर्देश दिया गया कि वे ‘स्टार प्रचारकों’ से ऐसे बयान न देने के लिए कहें जो ‘भारतीय संविधान को खत्म करने या बेचने जैसी गलत धारणा देते हों.’
गांधी सहित विपक्षी कांग्रेस नेताओं और इंडिया गठबंधन के अन्य नेताओं ने भी समय-समय पर कुछ भाजपा नेताओं के दावे के आधार पर रैलियों में संविधान के बारे में ऐसे बयान दिए हैं, विशेष रूप से पिछले मार्च में जब भाजपा के एक वरिष्ठ नेता ने दावा किया था कि पार्टी को ‘संविधान को बदलने‘ में सक्षम होने के लिए इन चुनावों में संसद में 400 का आंकड़ा पार करने की आवश्यकता है.