नई दिल्ली: भारत में चुनावों और सियासी दलों पर नज़र रखने वाली संस्था एसोसिएशन फ़ॉर डेमोक्रेटिक रिफ़ॉर्म्स (एडीआर) द्वारा साझा किए गए आंकड़ों के अनुसार, मौजूदा लोकसभा चुनावों में महिला प्रत्याशियों की संख्या 10 प्रतिशत से भी कम है.
लोकसभा चुनाव 2024 के कुल 8,337 उम्मीदवारों में से केवल 797 महिलाएं हैं, जो सात चरणों में लड़ने वाले कुल उम्मीदवारों का मात्र 9.5 प्रतिशत है.
सितंबर 2023 में लोकसभा और राज्यों की विधानसभा में महिलाओं को 33 फीसदी आरक्षण देने के लिए केंद्र सरकार ने संसद के विशेष सत्र में नारी शक्ति वंदन विधेयक नाम से एक कानून बनाया था. कानून बनने के बाद से यह पहला आम चुनाव है. हालांकि, कानून अभी लागू नहीं हुआ.
हर चरण का एक जैसा हाल
पहले चरण के चुनाव में 1,618 उम्मीदवारों में से केवल 135 महिलाएं थीं. यह पैटर्न बाद के चरणों में भी जारी रहा, जिसमें महिला उम्मीदवारों की संख्या कुल प्रत्याशियों के मुकाबले काफी काम रही.
दूसरे चरण में कुल उम्मीदवारों की संख्या 1192 थी, जिनमें से महिलाओं की संख्या 100 थी.
तीसरे चरण में 1352 उम्मीदवार थे, जिनमें 123 महिला प्रत्याशी थीं.
चौथे चरण में, 1710 उम्मीदवारों में से 170 महिलाएं थीं.
पांचवे चरण में सबसे कम 695 उम्मीदवार थे, जिनमें 82 महिलाएं थीं. छठे चरण में 869 उम्मीदवारों में से 92 महिलाएं होंगी.
वहीं सातवे और अंतिम चरण में 904 उम्मीदवार होंगे, जिनमें केवल 95 महिलाएं होंगी.
राजनीतिक विश्लेषकों ने जताई चिंता
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, चुनाव में इतने बड़े स्तर पर लैंगिक असंतुलन को लेकर राजनीतिक विश्लेषकों ने अपनी प्रतिक्रिया जाहिर की है. विश्लेषकों ने सवाल उठाया है कि ‘राजनीतिक दल सक्रिय रूप से महिलाओं को टिकट देने के बजाय महिला आरक्षण विधेयक के लागू होने का इंतजार क्यों कर रहे हैं?’
दिल्ली विश्वविद्यालय की प्रोफेसर डॉ. सुशीला रामास्वामी ने इस बात पर जोर दिया है कि राजनीतिक दलों को महिलाओं की उम्मीदवारी को बढ़ावा देने के लिए ठोस कदम उठाने चाहिए. उन्होंने कहा, ‘राजनीतिक दलों को अधिक सक्रिय होना चाहिए था और अधिक महिला उम्मीदवारों को मैदान में उतारना चाहिए था.’
अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय (एएमयू) के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. इफ्तिखार अहमद अंसारी ने कहा, ‘भारत के मतदाताओं में लगभग आधी महिलाएं हैं, लेकिन उम्मीदवारी में उनका कम प्रतिनिधित्व राजनीतिक क्षेत्र में महिलाओं की पूर्ण भागीदारी में बाधा डालने वाली समस्याओं के बारे में सवाल उठाता है.’
उन्होंने जोर देकर कहा, ‘राजनीतिक दलों को उम्मीदवारों के चयन में लैंगिक संतुलन को प्राथमिकता देनी चाहिए और महिला उम्मीदवारों को पर्याप्त समर्थन देना चाहिए.
वहीं, एडीआर की रिपोर्ट में यह भी सामने आया है कि लोक सभा 2024 के कुल 8337 उम्मीदवारों में से 1644 पर आपराधिक मुकदमे दर्ज हैं. इन में से 1,188 पर गंभीर आपराधिक आरोप हैं, जिनमें हत्या, हत्या का प्रयास, महिलाओं के खिलाफ अपराध और हेट स्पीच से संबंधित आरोप भी शामिल हैं.