नई दिल्ली: समाचार रिपोर्टों के अनुसार, गुरुवार (23 मई) को गुजरात के बनासकांठा में एक व्यक्ति की कथित तौर पर गोरक्षकों ने पीट-पीट कर हत्या कर दी.
टाइम्स ऑफ इंडिया ने स्थानीय पुलिस के हवाले से बताया है कि पांच लोगों के एक समूह ने गुरुवार सुबह 40 वर्षीय मिश्रीखान बलूच की कथित तौर पर तब पीट-पीट कर हत्या कर दी, जब वह दो भैंसों को एक पिकअप वैन में पशु बाजार ले जा रहे थे.
रिपोर्ट में कहा गया है कि मिश्रीखान के साथ हुसैनखान बलूच नामक एक व्यक्ति भी था, जो हमलावरों से बच निकला और मामले में शिकायतकर्ता है.
इसमें कहा गया है कि पुलिस ने आरोपियों के खिलाफ हत्या, गलत तरीके से रोकने, दंगा और घातक हथियारों के साथ दंगा करने से संबंधित धाराओं में मामला दर्ज किया है.
इंडियन एक्सप्रेस ने अधिकारियों के हवाले से बताया कि मामले के आरोपियों में से एक अखेराजसिंह परबतसिंह वाघेला नाम का व्यक्ति है, जो पिछले साल जुलाई में भी गोरक्षकों से संबंधित हिंसा की एक अन्य घटना में आरोपी था और जेल में भी रहा था.
उन्होंने यह भी कहा कि गुजरात उच्च न्यायालय ने पहले मामले में वाघेला की हिरासत का आदेश रद्द कर दिया था.
अखबार ने बताया कि पुलिस ने पांच में से दो आरोपियों को पकड़ लिया है और अन्य तीन की तलाश कर रही है.
टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के अनुसार, गुरुवार की घटना पर स्थानीय पुलिस ने इस बात से इनकार किया है कि बलूच की हत्या मॉब लिंचिंग की घटना थी – उन्होंने कहा कि यह पीड़ितों और आरोपियों के बीच एक पुराने विवाद के चलते हुआ है.
2018 के एक फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि यह सुनिश्चित करना राज्य की ज़िम्मेदारी है कि ऐसी घटनाएं न हों और राज्य सरकारों को भीड़ की हिंसा के मामलों में निवारक और उपचारात्मक उपायों का पालन करने का निर्देश दिया था.
कुछ लोगों का आरोप है कि शीर्ष अदालत के 2018 के फैसले के तहत अपनी जिम्मेदारियों से बचने के लिए कुछ राज्यों में पुलिस मॉब लिंचिंग के मामलों को विवाद या दुर्घटना के रूप में दर्ज करती है.
अन्य लोगों ने गोरक्षकों की हिंसा का खामियाजा मुस्लिम और दलित लोगों के भुगतने पर चिंता जताई है. गोरक्षकों में से कई लोग भाजपा से संबद्ध उग्रवादी हिंदू समूहों से जुड़े होने का दावा करते हैं.
भारतीय कानून विशेष रूप से मॉब लिंचिंग के लिए सजा का प्रावधान नहीं करता है, लेकिन भारतीय न्याय संहिता – जो पिछले साल अधिनियमित हुई थी और जुलाई में लागू होगी – में ‘नस्ल, जाति या समुदाय, लिंग, जन्म स्थान, भाषा, व्यक्तिगत आस्था या किसी अन्य समान आधार’ पर जब पांच या अधिक व्यक्तियों का एक समूह सामूहिक रूप से हिंसा करता है तो आजीवन कारावास या मौत की सजा का प्रावधान है.
बहरहाल, इस घटना को ‘मॉब लिंचिंग’ करार देते हुए अल्पसंख्यक समन्वय समिति गुजरात – एक स्वैच्छिक संगठन जो अल्पसंख्यकों के मुद्दों की वकालत करता है – ने गुजरात के पुलिस महानिदेशक विकास सहाय को पत्र लिखकर ऐसे लोगों के खिलाफ कार्रवाई के लिए सुप्रीम कोर्ट के दिशानिर्देशों का अनुपालन करने की मांग की है.
हालांकि, बनासकांठा जिले के पुलिस अधीक्षक अक्षयराज मकवाना ने जोर देकर कहा कि घटना मॉब लिंचिंग नहीं है. उन्होंने कहा, ‘इस घटना को मॉब लिंचिंग करार देने के लिए कुछ सांप्रदायिक पहलू की आवश्यकता होगी. ऐसा लगता है कि यह घटना पिछली घटना (जुलाई 2023 से) के कारण हुई है और ऐसा प्रतीत होता है कि आरोपियों इरादा का हत्या करने का नहीं था, बल्कि मृतक को डराना था.’
उन्होंने बताया कि जगतसिंह तथा हमीरभाई ठाकोर को हिरासत में लिया गया है और बाकी आरोपियों की तलाश जारी है.