दिल्ली: उपराज्यपाल वीके सक्सेना मानहानि मामले में मेधा पाटकर को दोषी ठहराया गया

मेधा पाटकर और वीके सक्सेना साल 2000 से ही एक-दूसरे के ख़िलाफ़ क़ानूनी लड़ाई लड़ रहे हैं. उस समय मेधा पाटकर ने उनके और 'नर्मदा बचाओ आंदोलन' के ख़िलाफ़ विज्ञापन छपवाने के लिए उन पर केस किया था. वहीं, सक्सेना ने एक टीवी चैनल पर अपमानजनक टिप्पणी और मानहानिकारक बयान जारी करने के लिए पाटकर के विरुद्ध मामला दर्ज करवाया था.

मेधा पाटकर. (फाइल फोटो साभार: फेसबुक)

नई दिल्ली: नर्मदा बचाओ आंंदोलन की नेता और सामाजिक कार्यकर्ता मेधा पाटकर को दिल्ली की एक अदालत ने शुक्रवार (24 मई) को करीब दो दशक पुराने मानहानी के एक मामले में दोषी करार दिया है.

हिंदुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट की रिपोर्ट के मुताबिक, मेधा पाटकर को दिल्ली की मेट्रोपॉलिटन कोर्ट ने मौजूदा उपराज्यपाल विनय कुमार सक्सेना के एक पुराने मामले में आपराधिक मानहानि का दोषी पाया है.

साकेत कोर्ट के मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट राघव शर्मा ने मेधा पाटकर को जिन कानूनी प्रावधानों के तहत दोषी ठहराया है, उसमें दो साल जेल की सज़ा या जुर्माना देना पड़ सकता है या फिर सज़ा और जुर्माना दोनों भी हो सकते हैं.

बार एंड बेंच की खबर के अनुसार, कोर्ट ने फैसला देते हुए कहा कि आरोपी की हरकतें जानबूझकर की गईं और दुर्भावनापूर्ण थीं. इसका उद्देश्य शिकायतकर्ता के नाम को खराब करना और वास्तव में जनता की नजरों में उनकी प्रतिष्ठा और साख को काफी नुकसान पहुंचा था. आरोपी के बयान शिकायतकर्ता को कायर बताते हैं, देशभक्त नहीं. हवाला लेनदेन में उनकी संलिप्तता का आरोप लगाना न केवल मानहानिकारक बात है, बल्कि नकारात्मक धारणाओं को भड़काने वाला है.

दो दशकों से मेधा पाटकर और वीके सक्सेना कानूनी लड़ाई लड़ रहे हैं

मालूम हो कि मेधा पाटकर और वीके सक्सेना का ये मामला करीब 23 साल पुराना है. दोनों साल 2000 से ही एक-दूसरे के खिलाफ कानूनी लड़ाई लड़ रहे हैं. उस समय मेधा पाटकर ने उनके और ‘नर्मदा बचाओ आंदोलन’ के खिलाफ विज्ञापन छपवाने के लिए वीके सक्सेना के खिलाफ मुकदमा दर्ज करवाया था.

तब वीके सक्सेना अहमदाबाद के एक गैर सरकारी संगठन ‘नेशनल काउंसिल फॉर सिविल लिबर्टीज’ के प्रमुख थे. इसके बाद वीके सक्सेना ने भी एक टीवी चैनल पर उनके खिलाफ अपमानजनक टिप्पणी करने और मानहानि वाले प्रेस बयान जारी करने के लिए मेधा पाटकर के खिलाफ दो मामले दर्ज दर्ज करवाए थे.

इस मुकदमों पर कई साल बीत जाने के बाद भी कानूनी संघर्ष जारी है. पिछले साल 2023 में गुजरात हाईकोर्ट ने 2002 में  मेधा पाटकर पर हुए कथित हमले से संबंधित एक मुकदमे में वीके सक्सेना को बड़ी राहत देते हुए इस मामले में किसी भी आगे की कार्यवाही पर अंतरिम रोक लगा दी थी.

ज्ञात हो कि वीके सक्सेना पर दो अन्य भाजपा विधायकों और एक कांग्रेस नेता के साथ 2002 में साबरमती आश्रम में सामाजिक कार्यकर्ता पाटकर पर हमला करने का आरोप है.

यह घटना गुजरात में सांप्रदायिक दंगे भड़कने के बाद शांति को बढ़ावा देने के उद्देश्य से हो रही एक बैठक के दौरान हुई थी. इस मामले में दिल्ली के वर्तमान उपराज्यपाल और अन्य के खिलाफ दर्ज एफआईआर में गैरकानूनी रूप से इकट्ठे होने, हमला करने, गलत तरीके से बैठक रोकने और आपराधिक धमकी देने के आरोप लगे थे.

एक अन्य मामले में पाटकर के साथ 12 अन्य लोगों पर पिछले साल मध्य प्रदेश के बड़वानी जिले में धोखाधड़ी का एक मामला दर्ज किया गया था. एफआईआर के अनुसार, पाटकर और अन्य ट्रस्टियों ने मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र में नर्मदा घाटी के लोगों के कल्याण के लिए उनके ट्रस्ट को दान देने के लिए लोगों को गुमराह किया था.

गौरतलब है कि मेधा पाटकर 1985 में नर्मदा बचाओ आंदोलन का चेहरा रही हैं. उन्होंने नर्मदा घाटी के पास रहने वाले आदिवासियों, मजदूरों, किसानों, मछुआरों, उनके परिवारों और अन्य लोगों के मुद्दों को लेकर एक लंबा संघर्ष किया है.