ओटीटी के लिए आईटी नियमों के ख़िलाफ़ अमोल पालेकर की याचिका पर हाईकोर्ट ने केंद्र से जवाब मांगा

इस याचिका में कहा गया है कि ये आईटी नियम, 2021 से कलाकारों की स्वतंत्रता का हनन होता है. जहां ये नियम सरकार को ‘सुपर सेंसर’ करने और किसी भी कंटेट पर रोक लगाने की असीम शक्ति देते हैं, वहीं दर्शकों को उनकी पसंद अनुसार कंटेट देखने से भी रोकते हैं.

अमोल पालेकर (फोटो: File photo/Commons)

नई दिल्ली: दिल्ली हाईकोर्ट ने शुक्रवार (24 मई) को जाने-माने अभिनेता-निर्देशक अमोल पालेकर द्वारा दायर ‘ओटीटी’ मंचों से जुड़े सूचना प्रौद्योगिकी (मध्यवर्ती दिशानिर्देश एवं डिजिटल मीडिया आचार संहिता) (आईटी नियम), 2021 की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली जनहित याचिका पर केंद्र सरकार से जवाब मांगा है.

इंडियन एक्सप्रेस की खबर के मुताबिक, इस जनहित याचिका में यह भी मांग की गई है कि आईटी नियम 2021 को संविधान और आईटी अधिनियम का ‘अधिकारातीत’ (Ultra Vires) घोषित किया जाए.  याचिका में कहा गया है कि इससे कलाकारों की स्वतंत्रता का हनन होता है.

अमोल पालेकर की याचिका पर कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश मनमोहन और जस्टिस मनमीत पीएस अरोड़ा की बेंच ने केंद्र सरकार को नोटिस जारी कर दिया है. अब इस मामले पर अगली सुनवाई 14 अगस्त को होगी.

डेकन हेराल्ड की खबर के अनुसार, अदालत में अमोल पालेकर का प्रतिनधित्व वरिष्ठ अधिवक्ता नित्या रामकृष्णन कर रही हैं. पालेकर ने अपनी याचिका में कहा है कि ये नियम सरकार को न केवल नियमन, बल्कि किसी भी सामग्री को रोकने की असीम शक्ति देते है, इस तरह ‘सेंसरशिप’ की एक ऐसी प्रणाली बनती है, जो अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर अनुमति-योग्य प्रतिबंधों से आगे तक जाती है.

याचिका में कहा गया है कि ये नियम सरकार को ‘सुपर सेंसर’ करने और किसी भी कंटेट पर रोक लगाने की पूरी ताकत देते हैं. नियम दर्शकों को अपनी इच्छा के अनुसार कंटेट को देखने से भी रोकते हैं. साथ ही ओटीटी प्लेटफॉर्म के कारोबार करने के अधिकार पर भी असर डालते हैं.

इसमें यह भी कहा गया है कि ये नियम दर्शकों के अपनी रुचि की सामग्री चुनने और कारोबार करने के ओटीटी मंचों के मूल अधिकार को भी प्रभावित करते हैं.

मालूम हो कि कई लोगों द्वारा आईटी नियमों को चुनौती देने वाली याचिकाएं दाखिल की गई हैं. हाईकोर्ट में उन सबकी सुनवाई भी अब अमोल पालेकर की याचिका के साथ ही की जाएगी.

गौरतलब है कि अमोल पालेकर अक्सर अभिव्यक्ति की आज़ादी को लेकर मुखर रहते हैं. साल 2019 में उन्होंने मुंबई के नेशनल गैलरी ऑफ मॉडर्न आर्ट में हुए एक कार्यक्रम में संस्कृति मंत्रालय की आलोचना की थी.

पालेकर ने कहा था कि अभिव्यक्ति की आज़ादी दिन-ब-दिन कम होती जा रही है. पालेकर को उस दौरान सरकार की आलोचना को लेकर  एक कार्यक्रम में बोलने से रोक दिए जाने का मामला भी सामने आया था.