नई दिल्ली: पिछले एक सप्ताह से किर्गिस्तान की राजधानी बिश्केक और उसके आसपास के क्षेत्रों में हिंसा भड़की हुई है. किर्गिस्तान के अलग-अलग मेडिकल संस्थानों में पढ़ रहे भारतीय और पाकिस्तानी छात्रों पर स्थानीय लोगों ने हमला किया था. कई छात्रों के घायल होने की खबर भी आई थी.
हिंसा के बाद कुछ इलाकों में तनाव है. डरे हुए भारतीय छात्र अपने घर लौटना चाहते हैं. द वायर से बातचीत में छात्रों ने अपनी समस्या बताई है.
बिश्केक स्थित मेडिकल कॉलेज इंटरनेशनल हायर स्कूल ऑफ मेडिसिन (आईएचएसएम) के छात्र दानिश मलिक बताते हैं, ‘माहौल अभी तनावपूर्ण है. जैसा बताया जा रहा है कि सब कुछ पहले जैसा हो रहा है, वैसा कुछ भी नहीं है. अगर सब कुछ ठीक हो रहा होता तो हमें बाहर निकलने की इजाज़त क्यों नहीं होती. अगर हम बाहर निकलते भी हैं तो स्थानीय लोग हमें अज़ीब नज़रों से देखते हैं’.
अलीगढ़ (उत्तर प्रदेश) निवासी दानिश आईएचएसएम में एमबीबीएस के चौथे वर्ष के छात्र हैं.
कैसे हुई हिंसा की शुरुआत?
बिश्केक के एक छात्रावास में कुछ किर्गिस्तानी छात्रों और विदेशी छात्रों (पाकिस्तान और मिस्र निवासी) के बीच झड़प हो गई थी. 13 मई को इस झगड़े का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया और जल्द ही स्थानीय लोगों तक भी पहुंच गया.
इसके बाद किर्गिस्तान के लोगों ने विदेशी छात्रों को निशाना बनाना शुरू किया. छात्रों के अनुसार, 17 मई की रात स्थानीय लोगों ने उन छात्रावासों पर हमला करना शुरू कर दिया जहां भारतीय और पाकिस्तानी छात्र बड़ी संख्या में रहते हैं.
छात्र बताते हैं कि इस दौरान पाकिस्तानी छात्रों पर गंभीर हमले हुए, जिसका प्रभाव भारतीय छात्रों पर भी पड़ा.
भारतीय दूतावास से छात्र नाराज़
किर्गिज़ स्टेट मेडिकल एकेडमी में एमबीबीएस के चौथे वर्ष के एक भारतीय छात्र ने नाम न उजागर करने की शर्त पर बताया, ‘हम अब भी कॉलेज और लाइब्रेरी नहीं जा पा रहें हैं. भारतीय दूतावास कह रहा है कि स्थिति नियंत्रण में है. अगर ऐसा है तो हमारे कॉलेज क्यों नहीं खोले जा रहे? भारतीय दूतावास शायद ऐसा इसलिए भी कह रहा है क्योंकि भारतीय छात्रों को पाकिस्तानी या बंगलादेशी छात्रों के मुकाबले कम प्रताड़ित किया गया है. जब हमें भी गंभीर रूप से नुकसान पहुंचाया जाएगा तब शायद भारतीय दूतावास और हमारी सरकार जागेगी.‘
छात्र ने ये भी बताया कि उनके कुछ दोस्तों की परीक्षाएं लगभग पूरी हो चुकी हैं, केवल एक पेपर बाकी है जो ऑनलाइन लिया जाएगा. लेकिन कई ऐसे भी छात्र हैं जिनकी सेमेस्टर परीक्षाएं हैं. ऐसे में वे कैसे पढ़ाई करें?
छात्र ने कहा, ‘जब जान बचेगी, तब तो पढ़ाई ठीक से हो पाएगी. हम कब तक भारतीय दूतावास की सहायता का इंतज़ार करें. वे हमारी कोई सहायता नहीं कर रहे हैं, यहां तक कि अगर कोई छात्र अपने पैसों से घर वापस जाना चाहे तो वे उसे एयरपोर्ट तक सुरक्षा भी प्रदान नहीं कर रहे हैं. छात्र बहुत ही मुश्किलों से टिकट करके खुद यहां से निकलने का प्रयास कर रहे हैं. टिकट काफी महंगी है, फ्लाइट भी बहुत कम हैं और जाने वाले छात्रों की संख्या हज़ारों में है’.
बीबीसी हिंदी की एक रिपोर्ट में बिश्केक में मौजूद भारतीय दूतावास के हवाले से बताया गया है कि किर्गिस्तान में क़रीब 17,400 भारतीय छात्र पढ़ाई करते हैं.
‘स्थानीय प्रशासन का सहयोग है’
किर्गिज़ स्टेट मेडिकल एकेडमी में एमबीबीएस के चौथे वर्ष के एक अन्य छात्र साई से जब यह जानना चाहा कि स्थानीय प्रशासन का रवैया कैसा है, तो उन्होंने बताया, ‘प्रशासन का सहयोग है और काफ़ी हद तक स्थिति को नियंत्रण में कर लिया गया है’. साई विशाखापत्तनम (आंध्रा प्रदेश) के रहने वाले हैं.
साई ने हिंसक माहौल का छात्रों के मानसिक स्वास्थ्य पर पड़े असर के बारे में बताते हुए कहा, ‘इस सबका छात्रों के स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव पड़ा है. मानसिक तनाव, बेचैनी, डर, भय, चिंता आदि से जूझ रहे हैं. कई छात्रों की परीक्षा करीब है लेकिन इतने तनाव में वे पढ़ाई कैसे कर सकेंगे?’.
गौरतलब है कि भारतीय छात्र किर्गिस्तान के हालात के बारे में लगातार सोशल मीडिया पर लिख रहे हैं.
भारत सरकार क्या कर रही है?
हिंसा भड़कने के बाद राजधानी बिश्केक स्थित भारतीय दूतावास लगातार दावा कर रहा है कि स्थिति नियंत्रण में है. हिंसा भड़कने के अगले दिन 18 मई को भारतीय दूतावास ने लिखा, ‘हम अपने छात्रों के संपर्क में हैं. स्थिति फिलहाल शांत है लेकिन छात्रों को सलाह दी जाती है कि वे घर के अंदर ही रहें और कोई भी समस्या होने पर दूतावास से संपर्क करें. हमारा नंबर 0555710041 है.’
लेकिन भारतीय दूतावास के इस एक्स पोस्ट के नीचे ऐसे कमेंट मिले, जिनमें फोन नहीं उठाने का आरोप लगाया गया था.
No one is picking the Call. My sister is studying there in International School of Medicine. @narendramodi @DrSJaishankar
— Sudhanshu Patil (@SudhanshuP94200) May 19, 2024
18 तारीख को ही विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने अपने आधिकारिक एक्स हैंडल से लिखा था कि वह भारतीय छात्रों के कल्याण के लिए किर्गिस्तान स्थित भारतीय दूतावास से लगातार संपर्क में हैं और स्थिति का जायजा ले रहे हैं.
Monitoring the welfare of Indian students in Bishkek. Situation is reportedly calm now. Strongly advise students to stay in regular touch with the Embassy. https://t.co/xjwjFotfeR
— Dr. S. Jaishankar (Modi Ka Parivar) (@DrSJaishankar) May 18, 2024
19 मई के एक्स पोस्ट में भी भारतीय दूतावास ने लिखा. ‘स्थिति सामान्य है. भारतीय छात्र सुरक्षित हैं’
इस पोस्ट के कमेंट बॉक्स में भी दूतावास के बयान का खंडन मिलता है.
No one is safe. Shame on this embassy
— Akanksha Suryavanshi (@AkankshaSuryava) May 19, 2024
21 मई को भी भारतीय दूतावास ने लिखा कि माहौल शांत है.
Situation in Bishkek continues to remain normal. Students are, however, advised to remain vigilant and follow the guidelines laid down by the authorities in Kyrgyz Republic. In case of any issue, students can contact the Embassy at 0555710041, 0555005538 @MEAIndia
— India in Kyrgyz Republic (@IndiaInKyrgyz) May 21, 2024
दूतावास के इस पोस्ट के नीचे एक एक्स यूजर ने अखबार की कटिंग चस्पा की, जिसमें बताया गया था कि भारतीय छात्रों को किर्गिस्तान में डर सता रहा है.
Halat student bata rahe kab Tak inhe is mahol me rakhogey aur sacchai chupaoge embassy walo pic.twitter.com/1lilcsc7Po
— Dr Keyur Upadhyay (@drKeyurUpadhyay) May 21, 2024
22 मई को भारतीय दूतावास ने एक बार फिर माहौल शांत बताया. साथ ही कहा कि किसी के कहीं आने-जाने पर कोई पाबंदी नहीं है.
पोस्ट के कमेंट में एक एक्स यूजर ने दावा किया कि वह अपनी आंखों से देखकर आ रहे हैं कि स्थिति बहुत खराब है.
If everything was normal then you would not have had to do meetings etc. and to save their university by taking money from the agents, the embassy is saying everything is normal. I will come from Manas airport today the condition there is very bad
— Dr. Dinesh Bishnoi (@Dinesh_Kurada) May 22, 2024
इस बीच, भारतीय दूतावास अपने देश के छात्रों से मिलने-जुलने की तस्वीरें पोस्ट करता रहा है.
Continuing with outreach activity, Embassy Officials met Indian medical students at Royal Metropolitan University on 22 May. They were informed that flights to India from Bishkek were operational, advised to follow university guidelines and contact Embassy, if needed. @MEAIndia pic.twitter.com/ovcF559RIv
— India in Kyrgyz Republic (@IndiaInKyrgyz) May 23, 2024
23 मई की शाम दूतावास ने पोस्ट डाला कि बिश्केक और उसके आसपास स्थिति सामान्य है. भारत के लिए उड़ानें चालू हैं. भारतीय छात्रों की चिंताओं को दूर करने के लिए दूतावास किर्गिस्तान में मेडिकल विश्वविद्यालयों के संपर्क में है. वे किसी भी सहायता के लिए 0555710041 और 0555005538 पर दूतावास से संपर्क कर सकते हैं’.
Situation in and around Bishkek is normal and stable today. Flights to India are operational. Embassy is in contact with Medical Universities in Kyrgyzstan to address concerns of Indian students. They can reach out to the Embassy for any assistance at 0555710041 and 0555005538.
— India in Kyrgyz Republic (@IndiaInKyrgyz) May 23, 2024
24 मई को दूतावास ने लिखा, ‘बिश्केक में शांत बनी हुई है. हालांकि, भारतीय मेडिकल छात्रों के अनुरोध पर दूतावास उनकी चिंताओं को दूर करने के लिए निकटतम अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे तक उनके परिवहन की व्यवस्था करने के लिए किर्गिज़ गणराज्य में मेडिकल विश्वविद्यालयों के साथ मिलकर काम कर रहा है.‘
Situation in Bishkek continues to remain calm. However, upon request of Indian medical students, the Embassy is working with Medical Universities in the Kyrgyz Republic to arrange for their transport to the nearest international airport to address their concerns. @MEAIndia [1/2]
— India in Kyrgyz Republic (@IndiaInKyrgyz) May 24, 2024
दूतावास का दावा है कि भारतीय छात्रों की वतन वापसी के लिए उड़ानों की संख्या बढ़ाई जा रही है.
The students were informed about increase in flights to India, advised to follow SMU guidelines and contact Embassy for any assistance, if needed. @MEAIndia
(2/2)— India in Kyrgyz Republic (@IndiaInKyrgyz) May 25, 2024
कुछ भारतीय छात्रों की मांग है कि उनके वापस लौटने के इंतजाम किए जाएं. वहीं, कुछ छात्रों के पास वहीं चुपचाप रहकर पढ़ाई करने के अलावा कोई विकल्प नहीं है क्योंकि जो विद्यार्थी अपने अंतिम वर्ष में हैं, उन्हें आखिरी परीक्षा देने से पहले नौ महीने तक वहां रहना अनिवार्य होता है.
बता दें कि किर्गिस्तान में नस्लवाद की समस्या पहले से ही रही है, लेकिन रूस-यूक्रेन युद्ध के बाद समस्या बढ़ी है. दरअसल, यूक्रेन के युद्धग्रस्त होने के बाद से भारत समेत कई अन्य देशों के छात्र मेडिकल की पढ़ाई के लिए बड़ी संख्या में किर्गिस्तान का रुख कर रहे हैं, इस वजह से स्थानीय लोगों में बाहरी छात्रों और प्रवासियों के खिलाफ गुस्सा बढ़ा है.