नई दिल्ली: गुजरात के राजकोट में शनिवार (25 मई) देर रात टीआरपी गेमिंग ज़ोन में भीषण आग लगने से 33 लोगों के मरने की ख़बर है. कई लोग घायल भी हैं. मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, शव इतने जल गए हैं कि उनकी पहचान करना मुश्किल है. पहचान के लिए डीएनए सैंपल लिए जा रहे हैं. अधिकारियों ने 26 लापता लोगों की सूची भी जारी की है, जिनमें कम से कम सात नाबालिग शामिल हैं.
सरकार ने की मुआवज़े की घोषणा
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) ने घटना में मरने वालों के परिवारों को दो लाख रुपये और घायलों को 50,000 रुपये अनुग्रह राशि (क्षतिपूर्ति के लिए सरकार द्वारा दिए जाने वाला भुगतान) देने की घोषणा की है. दुर्घटना पर प्रतिक्रिया देते हुए पीएम मोदी ने कहा कि वह ‘बेहद व्यथित’ हैं और बचाव अभियान के प्रयासों के संबंध में वह मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल के संपर्क में हैं.
इससे पहले, गुजरात सरकार ने भी पीड़ितों के परिवारों को 4 लाख रुपये के मुआवजे की घोषणा की थी. मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल और गृहमंत्री हर्ष संघवी ने घटना स्थल पर पहुंचकर स्थित का जायजा भी लिया है.
मीडिया से बातचीत में पुलिस कमिश्नर राजू भार्गव ने कहा, ‘आईपीसी की धारा 304, 308, 336, 338, 114 के तहत छह लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई है. इनमें से दो लोगों को गिरफ्तार कर लिया गया है. क्राइम ब्रांच की टीम अन्य लोगों की गिरफ्तारी के लिए काम कर रही है.’
हाईकोर्ट ने लिया स्वत: संज्ञान
गुजरात उच्च न्यायालय की एक विशेष पीठ ने रविवार की सुबह आग की घटना पर स्वतः संज्ञान लेते हुए इसे ‘मानव निर्मित आपदा’ करार दिया है. टीआरपी गेमिंग ज़ोन के मालिक और प्रबंधक सहित छह लोगों के खिलाफ गैरइरादतन हत्या के आरोप में एफआईआर दर्ज की गई है.
जस्टिस बीरेन वैष्णव और जस्टिस देवन देसाई की विशेष पीठ ने राज्य सरकार और नगर निगम से रिपोर्ट मांगी है कि कानून के किन प्रावधानों के तहत ऐसे गेमिंग जोन चलाने की अनुमति दी गई है. पीठ ने मामले की अगली सुनवाई के लिए 27 मई की तारीख तय की है.
राज्य सरकार ने किया एसआईटी का गठन
द हिंदू की खबर के मुताबिक, गुजरात सरकार ने आग लगने के कारणों का पता लगाने के लिए एक विशेष जांच दल (एसआईटी) का गठन किया है. एसआईटी तीन दिनों में प्राथमिक रिपोर्ट और उसके 10 दिनों बाद अंतिम रिपोर्ट पेश करेगा.
टाइम्स ऑफ इंडिया ने राजकोट नगर निगम के हवाले से लिखा है कि गेमिंग जोन ने अनिवार्य अनुमति और लाइसेंस नहीं लिया था. राजकोट नगर निगम की स्थायी समिति के अध्यक्ष जैमिन ठाकर ने टीओआई से बात करते हुए कहा है, ‘वे अग्नि सुरक्षा एनओसी के बिना गेमिंग जोन का संचालन कर रहे थे. यह बिना किसी प्राधिकरण के चल रहा था. गेमिंग ज़ोन संचालकों को मनोरंजन विभाग से लाइसेंस लेना होता है, लेकिन उन्होंने इसके लिए आवेदन ही नहीं किया था.’
टीआरपी गेमिंग जोन पिछले 18 महीनों से शहर के बीचों-बीच चल रहा था और इसके प्रमोटर इसका जमकर प्रचार कर रहे थे. गेमिंग जोन के प्रचार के लिए सोशल मीडिया इनफ्लुएंसर्स को काम पर रखा गया था.
कैसे लगी आग?
इंडियन एक्सप्रेस ने अधिकारियों के हवाले से लिखा है कि शॉर्ट-सर्किट के कारण गेमिंग एक्टिविटी के लिए लोहे और फाइबर शीट का उपयोग करके बनाए गए ढांचे में आग लग गई. वहीं, द हिंदू ने लिखा है कि आग उस समय लगी जब वेल्डिंग का काम चल रहा था. हालांकि, अग्निशमन विभाग ने विस्तृत जांच की आवश्यकता पर जोर दिया है.
एनडीटीवी की रिपोर्ट के मुताबिक, गेमिंग जोन ने शनिवार-रविवार के लिए टिकटों की कीमत पर छूट दी थी, इसलिए लोग भारी संख्या में पहुंचे थे. पूरे गेमिंग जोन में केवल एक ही आपातकालीन निकास था, आग लगने के बाद वहां अफरातफरी मच गई.
कई लोग ‘लापता’
राजकोट सिविल अस्पताल द्वारा जारी की गई सूची में निम्नलिखित लोगों को ‘लापता’ बताया गया है:
1. नम्रजीतसिंह जयपालसिंह जडेजा (23 वर्ष)
2. वीरेंद्रसिंह निर्मलसिंह जडेजा (44)
3. धर्मराजसिंह वीरेंद्रसिंह जडेजा (15)
4. देवांशी हितेंद्रसिंह जडेजा (15)
5. सुमिलभाई हसमुखभाई (45)
6. ओमदेवसिंह गजेंद्रसिंह गोहिल (35)
7. अक्षत किशोरभाई धोलारिया (24)
8. ख्यातिबेन सावलिया (20)
19. हरिताबेन सावलिया (24)
10. विश्वराजसिंह जडेजा (23)
11. कल्पेश बागदा (22)
12. सुरपालसिंह अनिरुद्धसिंह जडेजा
13. नीरव रसिकभाई वेकारिया (20)
14. सत्यपालसिंह जडेजा (17)
15. शत्रुघ्नसिंह चुडासमा (17)
16. जयंत गोरेचा
17. सुरपालसिंह जडेजा
18. नमनजीतसिंह जडेजा
19, मितेश बाबूभाई जादव (25)
20. ओमदेवसिंह चुडासमा (35)
21. वीरेंद्रसिंह
22. काठड़ आशाबेन चंदूभाई (18)
23. राजभा प्रदीपसिंह चौधन (12)
24. रमेशकुमार नस्ताराम
25. सत्यपालसिंह छत्रपालसिंह जडेजा
26. मोनू केशव गौड़ (17)