नई दिल्ली: अत्यंत गरीबी से जूझ रही त्रिपुरा की एक आदिवासी महिला द्वारा अपने नवजात शिशु को बेचने का मामला सामने आया है. धलाई जिला निवासी आदिवासी महिला ने 5,000 रुपये में अपनी नवजात बच्ची को एक दंपत्ति को बेच दिया था.
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, घटना के तुरंत बाद सीपीआई (एम) नेता जितेंद्र चौधरी ने मुख्य सचिव जेके सिन्हा और धलाई के जिला मजिस्ट्रेट साजू वहीद ए. से हस्तक्षेप की मांग की. विपक्षी नेता की सक्रियता से स्थानीय प्रशासन हरकत में आया और शनिवार (25 मई) की रोज नवजात को उसकी मां को सौंप दिया गया.
जन्म के अगले दिन ही नवजात को बेचा
महिला ने गुरुवार (23 मई) को सब-डिवीजनल अस्पताल में बच्ची को जन्म दिया था. अगले ही दिन उसने बच्ची को 5,000 रुपये में एक दंपति को बेच दिया. रिपोर्ट के अनुसार, महिला के चार और बच्चे हैं और उसके पति ने गरीबी के कारण पांच महीने पहले आत्महत्या कर ली थी.
धलाई के जिला मजिस्ट्रेट वहीद ने बताया है, ‘महिला और उसके बच्चे गरीबी के कारण संकट में हैं, खासकर उसके पति की मौत के बाद. हालांकि, उसने अपने दस्तावेज और राशन कार्ड नहीं बेचे हैं.’ उन्होंने आगे बताया कि महिला को प्रशासन की ओर से कुछ सहायता दी गई है.
वहीद के मुताबिक, मां और नवजात शिशु दोनों को गंदाचेर्रा के आश्रय गृह में भेज दिया गया है. वहीं सीपीएम नेता ने मुख्य सचिव को पत्र लिखकर दूरदराज के इलाकों में मनरेगा के तहत काम की व्यवस्था करने का अनुरोध किया है.
महिला ने भाजपा और उसके सहयोगी को ठहराया जिम्मेदार
महिला ने भाजपा सरकार और उसके गठबंधन सहयोगी टीआईपीआरए मोथा पार्टी को भी इस स्थिति के लिए जिम्मेदार ठहराया है. आदिवासी महिला का कहना है कि त्रिपुरा एरिया ऑटोनॉमस डिस्ट्रिक्ट काउंसिल (टीटीएएडीसी) के कार्यकारी सदस्यों और राज्य सरकार के मंत्रियों ने आदिवासियों की बुनियादी जरूरतों की अनदेखी की है. दरअसल, टीटीएएडीसी में टीआईपीआरए मोथा पार्टी सत्ता में है और भाजपा उसकी सहयोगी है.