नई दिल्ली: लोकसभा चुनाव 2024 के अंतिम चरण की वोटिंग से पहले केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने बताया है कि अगर भारतीय जनता पार्टी सत्ता में लौटी तो क्या-क्या करेगी. द हिंदू ने शाह द्वारा समाचार एजेंसी पीटीआई को दिए साक्षात्कार के हवाले से बताया है कि गृहमंत्री ने दावा किया है कि भाजपा अगले कार्यकाल में एक देश, एक चुनाव और समान नागरिक संहिता (यूसीसी) लागू करेगी.
एक साथ चुनाव कराने से लागत होगी कम: अमित शाह
अमित शाह का मानना है कि एक साथ चुनाव कराने से चुनाव की लागत कम होगी. उन्होंने कहा, ‘हम ‘एक राष्ट्र, एक चुनाव (वन नेशन, वन इलेक्शन)’ के लक्ष्य को हासिल करने के लिए भी हर संभव प्रयास करेंगे. इस पर चर्चा होनी चाहिए. प्रधानमंत्री ने रामनाथ कोविंद समिति बनाई है. मैं भी उसका सदस्य हूं. समिति की रिपोर्ट आ चुकी है. अब समय आ गया है कि देश में एक साथ चुनाव होने चाहिए.’
हालांकि, भारत के पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त एसवाई कुरैशी ‘एक राष्ट्र, एक चुनाव’ को ‘समाधान’ नहीं मानते हैं. इंडियन एक्सप्रेस से बातचीत में उन्होंने कहा था कि राजनीतिक दलों के खर्चों पर लगाम लगाकर करोड़ों रुपये बचाए जा सकते हैं.
यह पूछे जाने पर कि क्या भाजपा के सत्ता में वापस आने पर अगले सत्र में इस पर विधेयक पेश किया जा सकता है, शाह ने कहा, ‘हमारा संकल्प पांच साल के लिए है. हम इसे इसी अवधि में लाएंगे.’
आम चुनाव को भीषण गर्मी के बजाय सर्दी या साल के किसी और समय में कराने की संभावना के बारे में पूछे जाने पर शाह ने कहा, ‘हम इस पर विचार कर सकते हैं. अगर हम एक चुनाव पहले करवा लें, तो ऐसा किया जा सकता है. ऐसा किया जाना चाहिए. यह स्कूली बच्चों की छुट्टियों का समय भी है. इससे बहुत सारी समस्याएं भी पैदा होती हैं. समय के साथ आम चुनाव धीरे-धीरे इस अवधि (गर्मी के मौसम) में आ गए.’
‘यूसीसी लागू करना हमारी जिम्मेदारी’
समान नागरिक संहिता के बारे में बात करते हुए उन्होंने कहा, ‘समान नागरिक संहिता एक जिम्मेदारी है जिसे हमारे संविधान निर्माताओं ने स्वतंत्रता के बाद से हम पर, हमारी संसद और राज्य विधानसभाओं पर छोड़ा था.’
केंद्रीय गृहमंत्री ने कहा कि भाजपा ने उत्तराखंड में एक प्रयोग किया है, जहां उसकी बहुमत की सरकार है, क्योंकि यह राज्य और केंद्र का विषय है.
यूसीसी 1950 के दशक से ही भाजपा के एजेंडे में रहा है और हाल ही में इसे भाजपा शासित उत्तराखंड में लागू किया गया है. उन्होंने कहा, ‘मेरा मानना है कि समान नागरिक संहिता एक बहुत बड़ा सामाजिक, कानूनी और धार्मिक सुधार है. उत्तराखंड सरकार द्वारा बनाए गए कानून की सामाजिक और कानूनी जांच होनी चाहिए. धार्मिक नेताओं से भी सलाह ली जानी चाहिए… मेरा कहने का मतलब यह है कि इस पर व्यापक बहस होनी चाहिए.’
केंद्रीय मंत्री ने आगे कहा, ‘देश की राज्य विधानसभाओं और संसद को इस पर गंभीरता से विचार करना चाहिए और एक कानून बनाना चाहिए. हमने अपने संकल्प पत्र में लिखा है कि भाजपा का लक्ष्य पूरे देश के लिए समान नागरिक संहिता लागू करना है.’
यह पूछे जाने पर कि क्या यह अगले पांच साल में किया जा सकता है, शाह ने कहा, ‘यह इसी अवधि में किया जाएगा. पांच साल का समय पर्याप्त है.’