सरकार ने असामान्य क़दम उठाते हुए सेना प्रमुख का कार्यकाल महीनेभर के लिए बढ़ाया

सेना प्रमुख जनरल मनोज पांडे को 30 अप्रैल, 2022 को इस पद पर नियुक्त किया गया था. एक सेना प्रमुख का कार्यकाल तीन साल या 62 वर्ष की आयु तक, जो भी पहले हो, होता है. जनरल पांडे 6 मई को 62 वर्ष के हो गए थे, इसलिए उन्हें इसी महीने 31 मई को सेवानिवृत्त होना था.

जनरल मनोज पांडे. (फोटो साभार: यूट्यूब वीडियो स्क्रीनशॉट)

नई दिल्ली: भारत सरकार ने रविवार (26 मई) को सेना प्रमुख जनरल मनोज पांडे का कार्यकाल एक महीने के लिए बढ़ा दिया. वह 31 मई को सेवानिवृत्त होने वाले थे.

आधिकारिक बयान के अनुसार, कैबिनेट की नियुक्ति समिति ने सेना प्रमुख (सीओएएस) जनरल मनोज सी. पांडे सेवा में उनकी सेवानिवृत्ति की सामान्य आयु (31 मई, 2024) से परे एक महीने की अवधि के लिए विस्तार को मंजूरी दे दी.

सेना नियम 1954 के नियम 16 ए(4) के तहत यह विस्तार 30 जून 2024 तक के लिए दिया गया है.

जनरल पांडे को 30 अप्रैल 2022 को इस पद पर नियुक्त किया गया था. एक सेना प्रमुख का कार्यकाल तीन साल या 62 वर्ष की आयु तक, जो भी पहले हो, होता है. जनरल पांडे 6 मई को 62 वर्ष के हो गए, और इसलिए उन्हें इसी महीने के अंत में सेवानिवृत्त होना था.

यह एक दुर्लभ कदम है, और इसका मतलब है कि 4 जून को सत्ता संभालने वाली सरकार अगले सेना प्रमुख की नियुक्ति करने की स्थिति में होगी.

इंडियन एक्सप्रेस के अनुसार, ‘मानदंड के अनुसार, सेवारत सीओएएस के सेवानिवृत्त होने पर सबसे वरिष्ठ सैन्य कमांडर या सेना उप प्रमुख को सेना प्रमुख बनाया जाता है. लेकिन यह नियुक्ति करना सरकार के विवेकाधिकार के अधीन है.’

इस कदम के बाद एआईएमआईएम नेता असदुद्दीन ओवैसी ने इसकी आलोचना करते हुए कहा, ‘नरेंद्र मोदी सरकार को उनकी सेवानिवृत्ति की तारीख के बारे में अच्छी तरह से पता था, इसलिए उसे बहुत पहले ही नए सेना प्रमुख घोषणा कर देनी चाहिए थी. हमारे सशस्त्र बलों को सत्तारूढ़ दल द्वारा राजनीति से दूर रखा जाना चाहिए, लेकिन पिछले दशक में हमने देखा है कि मोदी सरकार ने अपने चुनावी लाभ के लिए हमारे सैनिकों का उपयोग और दुरुपयोग किया है. हमने इसे चीन सीमा पर देखा जहां हमारे सैनिक एलएसी पर गश्त करने में असमर्थ हैं. जनरल पांडे पर यह नया रुख प्रधानमंत्री मोदी, रक्षा मंत्री और भारत की राष्ट्रीय सुरक्षा पर निर्णय लेने में शामिल सभी लोगों खराब छवि प्रस्तुत करता है.’

उन्होंने आगे कहा, ‘जनरल पांडे को दिया गया विस्तार केवल एक महीने के लिए है, इसका मतलब है कि यह एक अस्थायी उपाय है, जो पूरी तरह से इस सरकार में शासन की विफलता को दर्शाता है. अगर यह असमर्थता नहीं है, तो यह कुछ अधिक भयावह और षडयंत्रकारी होना चाहिए.’