गुजरात: बिना फायर एनओसी के चल रहा था राजकोट गेम ज़ोन, कोर्ट ने कहा- राज्य मशीनरी पर भरोसा नहीं

गुजरात उच्च न्यायालय की कड़ी टिप्पणी के कुछ ही घंटों के भीतर गुजरात सरकार हरकत में आ गई और कई अधिकारियों के ख़िलाफ़ कार्रवाई आदेश जारी किए हैं.

राजकोट स्थित गेम ज़ोन का निरीक्षण करती एफएसएल टीम. (फोटो साभार: एएनआई)

नई दिल्ली: तीस से अधिक लोगों की जान लेने वाली राजकोट के एक गेमिंग जोन में लगी पर स्वत: संज्ञान याचिका पर सुनवाई करते हुए गुजरात उच्च न्यायालय ने सोमवार को राज्य सरकार और राजकोट नगर निगम (आरएमसी) को फटकार लगाते हुए कहा कि अदालत को ‘उन पर कोई भरोसा नहीं है.’

साथ ही, नगर आयुक्त से पूछा कि उन्हें ‘मानव निर्मित आपदा’ के लिए व्यक्तिगत रूप से जिम्मेदार क्यों नहीं ठहराया जाना चाहिए. इस बीच, यह भी सामने आया है कि गेम जोन अग्निशमन विभाग से फायर एनओसी लिए बिना ही चल रहा था.

द हिंदू के मुताबिक, अदालत ने कहा कि नगरीय निकाय ने एक बार भी यह जांचने की जहमत नहीं उठाई कि इतनी विशाल संरचना कब बनी और कब चालू हुई.

जस्टिस वैष्णव ने कहा, ‘मीडिया में ऐसी खबरें हैं कि आपके निगम आयुक्त उद्घाटन के लिए गए थे. 18 माह तक नगर निगम ने क्या किया? कोई फायर एनओसी नहीं थी, कोई संरचनात्मक स्थिरता प्रमाणपत्र नहीं था और यह निगम की आंखों के सामने मजे से चल रहा था.’

कोर्ट की कड़ी टिप्पणी के कुछ ही घंटों के भीतर गुजरात सरकार हरकत में आ गई और नगर निगम आयुक्त आनंद पटेल और पुलिस आयुक्त राजू भार्गव को पद से हटा दिया गया. डीपी देसाई को नया नगर निगम आयुक्त बनाया गया है और ब्रजेश कुमार झा को पुलिस आयुक्त बनाया गया है.

राज्य सरकार ने अतिरिक्त पुलिस आयुक्त (यातायात एवं अपराध) विधि चौधरी को भी हटा दिया है और सात अधिकारियों को भी निलंबित किया है. एक सरकारी बयान में कहा गया है कि अधिकारियों को ‘आवश्यक मंजूरी के बिना गेम जोन को संचालित करने की अनुमति देने में घोर लापरवाही’ के लिए जिम्मेदार ठहराया गया है.

निलंबित किए गए अन्य लोगों में राजकोट नगर निगम के नगर नियोजन विभाग के सहायक अभियंता जयदीप चौधरी, आरएमसी के सहायक नगर योजनाकार गौतम जोशी, राजकोट सड़क और भवन विभाग के उप कार्यकारी अभियंता एमआर सुमा और पारस कोठिया, और पुलिस निरीक्षक वीआर पटेल और एनआई राठौड़ शामिल हैं. आरएमसी ने बाद में आरएमसी के कलावड रोड फायर स्टेशन के ‘स्टेशन अधिकारी’ रोहित विगोरा को भी निलंबित करने का आदेश दिया.

टीआरपी गेम ज़ोन ने फायर एनओसी के लिए कभी आवेदन ही नहीं किया था

आरएमसी के निलंबन आदेश में कहा गया है कि हालांकि गेमिंग जोन काफी समय से बिना किसी फायर एनओसी के चल रहा था, विगोरा ने एक स्टेशन अधिकारी के रूप में उसके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं करके घोर लापरवाही और गैर-जिम्मेदाराना व्यवहार दिखाया है.

डेक्कन हेराल्ड की एक रिपोर्ट बताती है कि टीआरपी गेम जोन के प्रबंधन ने अनिवार्य फायर एनओसी (अनापत्ति प्रमाण पत्र) के लिए कभी आवेदन ही नहीं किया था. यह जानकारी राजकोट शहर के मुख्य अग्निशमन अधिकारी आईवी खेर ने पूर्व शहर पुलिस आयुक्त राजू भार्गव के दावे का खंडन करते हुए सामने रखी.
26 मई को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित करते हुए भार्गव ने कहा था कि स्थानीय पुलिस ने नवंबर 2023 में गेमिंग ज़ोन को बुकिंग लाइसेंस प्रदान किया था, जिसे 1 जनवरी से 31 दिसंबर 2024 की अवधि के लिए फिर से नवीनीकृत किया गया था. उन्होंने कहा था, ‘गेम ज़ोन को सड़क और भवन विभाग से अनुमति मिल गई थी. प्रबंधन ने दस्तावेज़ भी जमा किए थे जिससे पता चलता था कि उसने अग्नि सुरक्षा उपकरण स्थापित किए हैं. हालांकि, प्रबंधन द्वारा फायर एनओसी प्राप्त करने की प्रक्रिया शुरू की गई थी, लेकिन यह अभी तक पूरी नहीं हुई है.’

खेर ने कहा कि ‘बुकिंग लाइसेंस’ जारी करने और इस साल जनवरी में इसे नवीनीकृत करने से पहले शहर पुलिस द्वारा राजकोट शहर की अग्निशमन और आपातकालीन सेवा से कभी परामर्श नहीं किया गया था.

खेर ने कहा कि गेम जोन के मालिकों ने कभी भी फायर एनओसी लेने के लिए उनके विभाग से संपर्क नहीं किया.

जब खेर से पूछा गया कि क्या कोई आवेदन लंबित है जैसा कि भार्गव ने दावा किया है, उन्होंने कहा, ‘टीआरपी प्रबंधन ने कभी भी फायर एनओसी के लिए आवेदन नहीं किया. उनकी ओर से हमारे पास कभी कोई आवेदन नहीं आया, इसलिए कोई भी आवेदन लंबित नहीं है. आग लगने के बाद जब मैं मौके पर पहुंचा, तो मैंने देखा कि फायर सिस्टम लगाने का काम चल रहा था, लेकिन किसी ने कभी एनओसी के लिए आवेदन नहीं दिया था.’

खेर ने कहा, ‘आमतौर पर, पुलिस ऐसे लाइसेंस जारी करने से पहले हमें सूचित करती है. लेकिन, इस मामले में न तो पुलिस ने हमसे राय मांगी थी और न ही हमने अपनी राय दी थी. इसके अलावा, टीआरपी गेम ज़ोन के किसी भी व्यक्ति ने एनओसी के लिए हमसे संपर्क नहीं किया था.’