नई दिल्ली: पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट ने साल 2002 में पूर्व डेरा प्रबंधक रणजीत सिंह हत्या मामले में डेरा सच्चा सौदा प्रमुख गुरमीत राम रहीम सिंह और चार अन्य को बरी कर दिया है.
रिपोर्ट के मुताबिक, जस्टिस सुरेश्वर ठाकुर और ललित बत्रा की पीठ ने ये फैसला सुनाया.
मालूम हो कि साल 2021 में पंचकूला स्थित विशेष सीबीआई न्यायाधीश डॉ. सुशील कुमार गर्ग की अदालत ने गुरमीत राम रहीम सिंह, कृष्ण लाल, जसबीर सिंह, इंदर सेन और सबदिल सिंह को आईपीसी की धारा 302 (हत्या) और 120बी (आपराधिक साजिश) के तहत दोषी ठहराया था. इन सभी को आजीवन कारावास की सज़ा सुनाई गई थी.
उल्लेखनीय है कि पूर्व डेरा प्रबंधक रणजीत सिंह की 2002 में गोली मारकर हत्या हुई थी. एक अज्ञात पत्र प्रसारित करने में संदिग्ध भूमिका के चलते उनकी हत्या की गई थी. इस पत्र में बताया गया था कि डेरा प्रमुख द्वारा डेरा मुख्यालय में किस तरह महिलाओं का यौन शोषण किया जाता है.
सीबीआई की चार्जशीट के अनुसार, डेरा प्रमुख का मानना था कि इस अज्ञात पत्र को प्रसारित करने के पीछे रणजीत सिंह थे और इसलिए उन्होंने उनकी हत्या की साजिश रची थी. बाद में इस पत्र को समाचार रिपोर्ट में उजागर करने वाले सिरसा के पत्रकार राम चंदर छत्रपति की भी हत्या हो गई थी.
जनवरी 2019 में पत्रकार रामचंद्र छत्रपति हत्याकांड के मामले में सीबीआई की विशेष अदालत ने गुरमीत राम रहीम को उम्रकैद की सज़ा सुनाई थी. हालांकि इसके बाद भी वो कई बार पैरोल पर बाहर आते रहे हैं, जिसे लेकर पत्रकार छत्रपति के बेटे ने नाराज़गी जाहिर करते रहे हैं.
गौरतलब है कि इस रणजीत सिंह हत्या मामले में बरी होने के बाद भी राम रहीम अभी जेल में ही रहेंगे, क्योंकि 2017 में दो साध्वियों से बलात्कार के मामले में विशेष सीबीआई अदालत ने 20 साल की सज़ा सुनाई थी.
हालांकि, जिस तरह से उन्हें बार-बार पैरोल दी जाती है, उसके लिए भारतीय जनता पार्टी की आलोचना होती रही है.
आलोचकों का कहना है कि हरियाणा सरकार गुरमीत से राजनीतिक लाभ उठाने की कोशिश कर रही है. इस साल जनवरी में पैरोल पर बाहर आने के बाद राम रहीम ने ऑनलाइन सत्संग (धार्मिक बैठक) का आयोजन किया था, जिसमें तब हरियाणा से भाजपा के राज्यसभा सांसद कृष्ण लाल पंवार और राज्य के मुख्यमंत्री के राजनीतिक सचिव कृष्ण बेदी ने भी भाग लिया था.