नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार (29 मई) को दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की अंतरिम ज़मानत को बढ़ाने वाली याचिका तत्काल सूचीबद्ध करने से इनकार कर दिया. इस याचिका में अरविंद केरजीवाल ने अदालत से आवश्यक मेडिकल जांच के लिए ज़मानत विस्तार की मांग की थी.
हिंदुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि केजरीवाल को नियमित ज़मानत के लिए ट्रायल कोर्ट जाने की छूट दी गई है, इसलिए उनकी ये याचिका स्वीकार नहीं की जा रही है.
सर्वोच्च अदालत में 28 मई को जस्टिस जेके माहेश्वरी और जस्टिस केवी विश्वनाथन की अवकाश पीठ ने दिल्ली के मुख्यमंत्री की ओर से पेश हुए वरिष्ठ वकील अभिषेक सिंघवी की दलीलों पर संज्ञान लेते हुए कहा कि इस संबंध में भारत के मुख्य न्यायाधीश लिस्टिंग पर निर्णय ले सकते हैं. अंतरिम याचिका के अनुसार मुख्य मामले में फैसला सुरक्षित रखा गया है.
मालूम हो कि अरविंद केजरीवाल ने 26 मई को दायर अपनी नई याचिका में कहा था कि उनका कीटोन लेवल बहुत ज्यादा बढ़ गया है, वहीं अचानक से गिरफ़्तारी के बाद उनका वजन घटा है, जिसके गंभीर परिणाम हो सकते हैं. ये किडनी और दिल की गंभीर बीमारी और यहां तक कि कैंसर का संभावित संकेतक है. डॉक्टरों ने उन्हें पॉजिट्रॉन एमिशन टोमोग्राफी और कंप्यूटेड टोमोग्राफी (PET-CT) स्कैन और कुछ दूसरे मेडिकल टेस्ट कराने की सलाह दी है, इसलिए उनके जेल लौटने की निर्धारित तारीख 2 जून के बजाय 9 जून कर दी जाए.
गौरतलब है कि अरविंद केजरीवाल को रद्द हो चुकी दिल्ली आबकारी नीति से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग केस में 21 मार्च को प्रवर्तन निदेशालय ने गिरफ़्तार किया था. केजरीवाल ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर लोकसभा चुनावों के दौरान प्रचार करने के लिए अंतरिम ज़मानत मांगी थी. जिसके बाद 10 मई को सुप्रीम कोर्ट से अंतरिम ज़मानत मिलने के बाद वो तिहाड़ से बाहर आए थे. एक जून को उनकी ज़मानत ख़त्म हो रही है.
सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस दीपांकर दत्ता की पीठ इस मामले में पर सुनवाई कर रही है. इससे पहले सुनवाई के दौरान अदालत ने लोकसभा चुनावों की घोषणा के बाद केजरीवाल की गिरफ्तारी के समय को लेकर सवाल उठाए थे.
अदालत का कहना था कि ये गिरफ्तारी बाद में या पहले हो सकती थी. पीठ ने यह भी स्पष्ट कर दिया था कि वे जमानत पर रिहा होने के बाद केजरीवाल को मुख्यमंत्री पद के कर्तव्यों को पूरा करने की अनुमति देने के इच्छुक नहीं हैं.
वहीं आम आदमी पार्टी शुरुआत से ही इस मामले को विपक्ष के खिलाफ भारतीय जनता पार्टी की साजिश बता रही है.
हाल ही में दिल्ली के उपराज्यपाल (एलजी) वीके सक्सेना ने मुख्यमंत्री पर प्रतिबंधित सिख फॉर जस्टिस संगठन से राजनीतिक धन प्राप्त करने के आरोपों की राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) से जांच कराने की सिफारिश की थी. तब आम आदमी पार्टी ने इसे भाजपा का हताशा में उठाया गया का कदम क़रार दिया था.