कश्मीर: मतदान के दिन पार्टी कार्यकर्ताओं की गिरफ़्तारी का विरोध करने पर महबूबा मुफ़्ती पर केस

बीते 25 मई को अनंतनाग-राजौरी सीट पर मतदान के दिन पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी प्रमुख महबूबा मुफ़्ती ने पुलिस द्वारा अकारण ही उनकी पार्टी के पोलिंग एजेंट और कार्यकर्ताओं को हिरासत में लेने का आरोप लगाते हुए विरोध प्रदर्शन किया था.

25 मई को पीडीपी कार्यकर्ताओं को हिरासत में लेने के ख़िलाफ़ धरने पर बैठीं महबूबा मुफ्ती. (फोटो साभार: X/@jkpdp)

नई दिल्ली: कश्मीर में चुनाव अधिकारियों ने पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती के खिलाफ एक एफआईआर दर्ज की है. उन पर आरोप है कि अनंतनाग में चुनाव के दिन अपने कार्यकर्ताओं की गिरफ्तारी के खिलाफ उन्होंने कथित तौर पर विरोध प्रदर्शन किया था.

पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) की अध्यक्ष और अनंतनाग-राजौरी लोकसभा सीट से पार्टी उम्मीदवार महबूबा ने इस कार्रवाई को सत्ता के सामने सच बोलने का ईनाम बताते हुए पलटवार किया. पूर्व मुख्यमंत्री और उनके समर्थकों ने चुनाव से पहले पीडीपी कार्यकर्ताओं की गिरफ्तारी के खिलाफ चुनाव के दिन अपने गृहनगर बिजबेहरा में धरना दिया था. अनंतनाग-राजौरी सीट पर 25 मई को मतदान हुआ था.

द टेलीग्राफ की रिपोर्ट के मुताबिक, एफआईआर के अनुसार महबूबा पर आदर्श आचार संहिता के उल्लंघन का मामला दर्ज किया गया है. इसमें कहा गया है कि महबूबा ने पार्टी कार्यकर्ताओं के उस एक बड़े समूह का नेतृत्व किया था, जिसने पीडीपी सदस्यों की गिरफ्तारी के खिलाफ नारे लगाए. इसे आदर्श आचार संहिता का ‘घोर उल्लंघन’ बताया गया है.

एफआईआर में कहा गया है, ‘पीडीपी कार्यकर्ताओं के एक बड़े समूह ने मुख्य मार्ग को भी अवरुद्ध कर दिया और बिजबेहरा में एक घंटे से अधिक समय तक विरोध प्रदर्शन किया, जो निर्वाचन क्षेत्र में लागू सीआरपीसी की धारा 144 का उल्लंघन है.’

महबूबा ने कहा कि वह ‘आश्चर्यचकित’ हैं कि उनके खिलाफ ‘आचार संहिता का उल्लंघन’ करने के लिए एफआईआर दर्ज की गई है.

उन्होंने एक्स पर एक पोस्ट में कहा, ‘यह पीडीपी को सत्ता के सामने सच बोलने की कीमत चुकानी पड़ी है. हमारा विरोध स्थानीय प्रशासन के साथ मिलीभगत करके भारत सरकार द्वारा मतदान से ठीक पहले पीडीपी के सैकड़ों पोलिंग एजेंटों और कार्यकर्ताओं को हिरासत में लेने के खिलाफ था.  प्रशासन फिर भी संतुष्ट नहीं हुआ और उसने हमारे मतदाताओं को आतंकित करने और उन्हें वोट देने के अपने अधिकार का प्रयोग करने से रोकने के लिए पीडीपी के पारंपरिक गढ़ वाले क्षेत्रों में घेराबंदी और तलाशी अभियान शुरू कर दिया. उल्टा चोर कोतवाल को डांटे.’

बीते 25 मई को पुलिस ने गिरफ़्तारियों का बचाव किया था, लेकिन साथ ही कहा था कि केवल कुछ लोगों को हिरासत में लिया गया है, जिनका रिकॉर्ड ‘दागी’ है और जो मतदान के दौरान कानून-व्यवस्था के लिए ख़तरा बन सकते हैं. एक पुलिस अधिकारी ने कहा था, ‘हिरासत में लिए गए लोग ओवरग्राउंड वर्कर हैं और शांतिपूर्ण मतदान सुनिश्चित करने के लिए उन्हें एहतियातन हिरासत में लिया गया है.’

महबूबा की बेटी और मीडिया सलाहकार इल्तिजा मुफ़्ती ने चुनाव के दिन अपनी मां के विरोध को सही ठहराया. उन्होंने एफ़आईआर को डराने-धमकाने की रणनीति बताया है.

इल्तिजा ने बुधवार को पूछा, ‘जब एक पूर्व मुख्यमंत्री को सड़कों पर उतरना पड़ता है, तो यह लोकतंत्र के बारे में क्या कहता है?’ उन्होंने कहा, ‘हम घुटने नहीं टेकेंगे. हम सच बोलने के लिए यहां हैं.’

उन्होंने कहा कि सरकार चुनाव से 10 से 12 घंटे पहले सैकड़ों लोगों को हिरासत में लेकर, घेराबंदी करके और गिरफ़्तारी अभियान चलाकर चुनाव में धांधली करना चाहती थी.

उन्होंने कहा कि इसके परिणामस्वरूप मतदान उनकी उम्मीदों से कम रहा. इल्तिजा ने कहा, ‘आप हमारे लड़कों को छूने की हिम्मत नहीं कर सकते. हम आपको लोकतंत्र का जनाज़ा नहीं निकालने देंगे.’

टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक, विरोध प्रदर्शन के दौरान मुफ्ती ने कहा था, ‘पीडीपी कार्यकर्ताओं को बिना किसी कारण के पुलिस थानों में बंद किया जा रहा है. डीजी, एलजी और ऊपर से नीचे तक सभी अधिकारी इसमें शामिल हैं. उन्होंने पीडीपी के पोलिंग एजेंटों को पुलिस थानों में बंद कर दिया है. आपने कहा था कि स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव होंगे लेकिन आप यह सब कर रहे हैं. जगह-जगह से शिकायतें मिल रही हैं कि मशीनों (ईवीएम) से छेड़छाड़ करने की कोशिश की जा रही है.’

इससे पहले 13 मई को उन्होंने पार्टी कार्यकर्ताओं के कथित उत्पीड़न और अवैध गिरफ्तारी को रोकने के लिए चुनाव आयोग को एक पत्र भी लिखा था. मुफ्ती अनंतनाग-राजौरी सीट पर नेशनल कॉन्फ्रेंस (एनसी) के उम्मीदवार मियां अल्ताफ अहमद और ‘अपनी पार्टी’ के उम्मीदवार जफर इकबाल मन्हास के खिलाफ चुनावी मैदान में हैं.

चुनाव आयोग के ताजा आंकड़ों के अनुसार, अनंतनाग-राजौरी निर्वाचन क्षेत्र में 54.3 प्रतिशत मतदान हुआ. 2019 के लोकसभा चुनाव में निर्वाचन क्षेत्र में मतदान 14.3 प्रतिशत था.