नई दिल्ली: जम्मू-कश्मीर में भारतीय सेना के जवानों ने कथित तौर पर थाने में घुसकर पुलिसवालों पर हमला किया है. घटना मंगलवार (28 मई) रात की है. उत्तरी कश्मीर के कुपवाड़ा जिले में तैनात सेना की एक इकाई ने जम्मू-कश्मीर पुलिस के एक हेड कांस्टेबल का कथित तौर पर अपहरण कर लिया. इसके अलावा आरोप है कि सेना ने चार पुलिस अधिकारियों से मारपीट की और उनके फोन लूट लिए.
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, पुलिस ने सैनिकों के खिलाफ दंगा, डकैती, अपहरण और हत्या के प्रयास से संबंधित आईपीसी की धाराएं लगाईं हैं. हालांकि, श्रीनगर स्थित रक्षा प्रवक्ता ने किसी भी तरह के विवाद से इनकार करते हुए कहा है कि ‘मामूली मतभेद’ थे जिन्हें ‘सौहार्दपूर्ण तरीके से सुलझा लिया गया’.
क्या है पूरा मामला?
रिपोर्ट के मुताबिक, एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने बताया कि उत्तर कश्मीर में तैनात टेरिटोरियल आर्मी की एक टीम मंगलवार रात कुपवाड़ा पुलिस थाने में घुस गई. यूनिट का नेतृत्व कर रहे सैन्य अधिकारी ने अपने एक सदस्य की हिरासत को लेकर थाना प्रभारी मोहम्मद इसहाक से बहस की. सूत्रों के अनुसार, पुलिस थाने के अंदर उस समय हाथापाई शुरू हो गई जब सेना के एक अधिकारी ने कथित तौर पर थाना प्रभारी के साथ दुर्व्यवहार किया.
दरअसल, दिन में पुलिस ने कुपवाड़ा के बटपोरा गांव में टेरिटोरियल आर्मी के एक जवान के घर पर छापा मारा था. जवान की पहचान तत्काल नहीं हो सकी थी, जिसके बाद पुलिस ने जवान को एक अज्ञात मामले में पूछताछ के लिए हिरासत में लिया था. सैनिक की हिरासत के कुछ घंटों बाद, उसकी यूनिट कुपवाड़ा पुलिस थाने पहुंची थी.
सीसीटीवी कैमरे में कैद हुई घटना
सोशल मीडिया पर प्रसारित एक धुंधली सीसीटीवी फुटेज में ऑटोमैटिक राइफलों से लैस दर्जन भर से अधिक सेना के जवान एक व्यक्ति को पुलिस थाने से बाहर निकालते हुए दिखाई दे रहे हैं.
फुटेज में यह भी नज़र आ रहा है कि एक सैनिक हिरासत में लिए गए व्यक्ति को बार-बार थप्पड़ और घूंसे मार रहा है, जबकि अन्य सैनिक उसे बचा रहे हैं. बताया जा रहा है कि सेना द्वारा हिरासत में लिया गया व्यक्ति कथित तौर पर एक पुलिस अधिकारी है.
इसके बाद की घटनाओं में चार पुलिस अधिकारियों, कांस्टेबल जहूर अहमद और सलीम मुश्ताक तथा विशेष पुलिस अधिकारियों रईस खान और इम्तियाज अहमद मलिक पर हमला किया गया. इस बात को पुलिस और सेना दोनों ने गुप्त रखा है.
घायलों को श्रीनगर के शेर-ए-कश्मीर इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज ले जाया गया, जहां उनकी हालत स्थिर बताई जा रही है.
थाने की संचार व्यवस्था बाधित
कुपवाड़ा पुलिस कंट्रोल रूम के एक अधिकारी ने द वायर को बताया, ‘एसएचओ समेत कई पुलिसकर्मियों के फोन सेना के जवानों ने छीन लिए या तोड़ दिए, जिसके कारण कुपवाड़ा पुलिस थाना अब भी पहुंच से बाहर है.’
उन्होंने कहा, ‘जब तक संचार बहाल नहीं हो जाता, हमें किसी के हाथों दस्तावेज भेजने होंगे और वहां से दस्तावेज मंगाने होंगे.’
रिपोर्ट्स के मुताबिक, सैनिक की हिरासत से सेना अधिकारी नाराज़ थे. पीटीआई के मुताबिक, एक मामले में ‘चल रही जांच’ के तहत सैनिक से पूछताछ की गई.
द वायर ने सेना के जवान को हिरासत में लिए जाने के मामले में अधिक जानकारी के लिए पुलिस महानिरीक्षक (कश्मीर) वीके बिरदी और कुपवाड़ा जिला पुलिस के अन्य वरिष्ठ अधिकारियों से संपर्क किया. उनका जवाब मिलते ही स्टोरी को अपडेट कर दिया जाएगा.
सूत्रों के अनुसार, सेना और जम्मू-कश्मीर पुलिस के वरिष्ठ अधिकारियों के हस्तक्षेप के बाद ही कथित तौर पर अगवा किए गए हेड कांस्टेबल गुलाम रसूल को टेरिटोरियल आर्मी के जवान के बदले बुधवार को रिहा किया गया.
कुपवाड़ा जिला पुलिस ने घटना के संबंध में आईपीसी की धारा 307 (हत्या का प्रयास), 365 (अपहरण), 392 (डकैती), 147 (दंगा), 342 (गलत तरीके से बंधक बनाना), 397 (डकैती या डकैती के दौरान घातक हथियार का इस्तेमाल), 186 (लोक सेवक के काम में बाधा डालना), 332 (लोक सेवक को कर्तव्य करने से रोकने के लिए नुकसान पहुंचाना) और 149 (अपराध में शामिल समूह के सभी सदस्य दोषी) के तहत एफआईआर दर्ज की है.
‘मामूली मतभेद’ का इतिहास
श्रीनगर स्थित रक्षा प्रवक्ता ने इन तमाम आरोपों से इनकार किया है. प्रवक्ता ने कहा, ‘पुलिस और सैन्यकर्मियों के बीच विवाद और पुलिसकर्मियों की पिटाई की खबरें गलत और निराधार हैं. पुलिसकर्मियों और टेरिटोरियल आर्मी यूनिट के बीच एक ऑपरेशन को लेकर हुए मामूली मतभेदों को सौहार्दपूर्ण ढंग से सुलझा लिया गया है.’
जम्मू-कश्मीर में सेना और पुलिस के बीच टकराव की घटनाएं नई नहीं हैं. 2017 में मध्य कश्मीर के गांदरबल जिले में एक चौकी के सामने सेना के चार वाहनों को रोकने पर आठ पुलिसकर्मी को घायल कर दिया गया था. घटना के खिलाफ तत्कालीन पुलिस महानिदेशक एसपी वैद ने श्रीनगर स्थित 15 कोर कमांडर के समक्ष विरोध दर्ज कराया था. सेना ने इस मामले में जांच के आदेश भी दिए थे. लेकिन नतीजा क्या निकला, यह अभी तक नहीं पता चल पाया है.
दिलचस्प है कि श्रीनगर स्थित प्रवक्ता ने उस घटना को भी ‘मामूली विवाद’ बताया था और कहा था, ‘वरिष्ठ अधिकारियों के व्यक्तिगत हस्तक्षेप से मामला सुलझा लिया गया है. ऐसी घटना की पुनरावृत्ति रोकने के लिए उपाय किए गए हैं.’
2014 में सेना के हाई एल्टीट्यूड वारफेयर स्कूल के जवानों ने सोनमर्ग पुलिस थाने में हिट एंड रन मामले में पूछताछ कर रहे पुलिसकर्मियों के साथ हाथापाई की थी, जिसमें कम से कम छह पुलिसकर्मी घायल हो गए थे. कुछ सैनिक सोनमर्ग पुलिस थाने में घुस गए थे और कथित तौर पर गोलीबारी की थी.
इससे पहले 2012 में जम्मू के कठुआ जिले में इसी तरह की एक घटना में सेना के जवानों ने कथित तौर पर एक पुलिस थाने में तोड़फोड़ की थी और पुलिसकर्मियों के साथ मारपीट की थी.