नई दिल्ली: मध्य, पूर्वी और उत्तरी भारत में भीषण गर्मी के कारण कम से कम 54 लोगों की मौत हो गई, दिल्ली सहित कई स्थानों पर अधिकतम तापमान 45 डिग्री सेल्सियस से अधिक दर्ज किया गया.
इंडिय टुडे की रिपोर्ट के मुताबिक, बिहार में लू लगने से 32 लोगों की मौत हुई, जिनमें से 17 औरंगाबाद में, छह आरा में, तीन-तीन गया और रोहतास में, दो बक्सर में और एक पटना में मौत हुई है. ओडिशा के राउरकेला में 10 लोगों की मौत हुई. झारखंड के पलामू और राजस्थान में पांच-पांच लोगों की मौत हुई, जबकि उत्तर प्रदेश के सुल्तानपुर में एक व्यक्ति की मौत हुई.
इससे पहले बिहार के दरभंगा के रहने वाले 40 वर्षीय व्यक्ति की दिल्ली में लू लगने से मौत हो गई. बताया गया है कि उनके शरीर का तापमान सामान्य से लगभग 10 डिग्री अधिक 108 डिग्री फारेनहाइट तक बढ़ जाने के कारण कई अंगों के काम करना बंद कर दिया था.
फाइनेंशियल एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, बिहार के कैमूर में गर्मी से संबंधित कारणों से चार लोगों की मौत हुई है, जिसमें चुनाव ड्यूटी पर तैनात एक कर्मचारी भी शामिल है.
एनडीटीवी की रिपोर्ट के मुताबिक, बिहार के औरंगाबाद शहर में गुरुवार (30 मई) को अधिकतम तापमान 44 डिग्री और बुधवार (29 मई) को 48.2 डिग्री सेल्सियस था, जो बिहार का सबसे गर्म स्थान रहा.
सोशल मीडिया पर वायरल वीडियो में मृतकों के परिजनों को अस्पताल में रोते हुए देखा जा सकता है. एक डॉक्टर ने कहा कि गर्मी से संबंधित कारणों से कम से कम 35 और मरीजों को भर्ती कराया गया है.
डॉक्टरों का कहना है कि उनके पास पर्याप्त डॉक्टर, दवाएं और आइस पैक हैं और अधिक कूलर की भी व्यवस्था की गई है.
भीषण गर्मी की चपेट के चलते राज्य सरकार ने बुधवार को सभी निजी और सरकारी स्कूलों, कोचिंग संस्थानों और आंगनवाड़ी केंद्रों को 8 जून तक बंद करने का आदेश दिया था. गर्मी के कारण दर्जनों छात्रों के बेहोश होने के बाद यह निर्णय लिया गया.
शेखपुरा जिले के एक सरकारी स्कूल में कम से कम 16 छात्राएं बेहोश हो गईं और एंबुलेंस की व्यवस्था न हो पाने के कारण उन्हें दोपहिया वाहनों और ई-रिक्शा से अस्पताल ले जाया गया. बेगूसराय और जमुई से भी छात्राओं के बेहोश होने की खबरें आई हैं.
वहीं, राजद नेता और पूर्व उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव ने बिहार सरकार और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर निशाना साधा है.
उन्होंने कहा, ‘बिहार में न तो लोकतंत्र है और न ही सरकार. यहां केवल नौकरशाही है. मुख्यमंत्री इतने कमजोर क्यों हैं? तापमान 47 डिग्री है. डॉक्टरों का कहना है कि ऐसे मौसम में बच्चों को बचाना चाहिए. और यहां स्कूल खुले हैं.’
भारत मौसम विज्ञान ने अगले दो दिनों तक भीषण गर्मी की चेतावनी दी
इस बीच, भारत मौसम विज्ञान विभाग ने देश के विभिन्न हिस्सों में अगले दो दिनों के लिए भीषण गर्मी का अलर्ट जारी किया है.
इंडिया टुडे की रिपोर्ट के मुताबिक, आईएमडी ने कहा कि गुरुवार को राजस्थान, हरियाणा, चंडीगढ़, दिल्ली के कई हिस्सों, उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड, ओडिशा, पूर्वी मध्य प्रदेश और विदर्भ के कुछ इलाकों में अधिकतम तापमान 45-48 डिग्री सेल्सियस के बीच रहा.
पश्चिम मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, तटीय आंध्र प्रदेश, यनम के कई हिस्सों, गुजरात, तेलंगाना और रायलसीमा के कुछ इलाकों में अधिकतम तापमान 42-45 डिग्री सेल्सियस के बीच रहा. उत्तर-पश्चिम भारत के कई हिस्सों और मध्य और पूर्वी भारत के कुछ इलाकों में तापमान सामान्य से 3-6 डिग्री सेल्सियस अधिक रहा.
आईएमडी के अनुसार, 31 मई और 1 जून को पंजाब, हरियाणा, चंडीगढ़, दिल्ली, राजस्थान, उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड और ओडिशा के अलग-अलग इलाकों में भीषण लू चलने की संभावना है.
31 मई को मध्य प्रदेश, विदर्भ और उत्तराखंड के अलग-अलग इलाकों में लू चलने की संभावना है. 31 मई और 1 जून को कोंकण और गोवा के अलग-अलग इलाकों में और 31 मई को पश्चिम बंगाल के गंगा के मैदानी इलाकों में गर्म और आर्द्र मौसम की भविष्यवाणी की गई है.
31 मई और 1 जून को पंजाब, हरियाणा, चंडीगढ़, दिल्ली, बिहार और ओडिशा में और 31 मई को उत्तर प्रदेश में गर्म रातें रहने की भविष्यवाणी की गई है.
मानव-प्रेरित जलवायु परिवर्तन
अल ज़जीरा की रिपोर्ट के मुताबिक, शोधकर्ताओं का कहना है कि मानव-प्रेरित जलवायु परिवर्तन ने भारत में विनाशकारी गर्मी के प्रभाव को बढ़ावा दिया है और इसे एक चेतावनी के रूप में लिया जाना चाहिए.
इंपीरियल कॉलेज लंदन में जलवायु विज्ञानी और वर्ल्ड वेदर एट्रिब्यूशन के निदेशक फ्रेडरिक ओटो ने कहा, ‘इस सप्ताह भारत जिस पीड़ा का सामना कर रहा है, वह जलवायु परिवर्तन के कारण और भी बदतर है, जो कोयला, तेल और गैस जलाने और वनों की कटाई के कारण हुआ है.’
दुनिया का सबसे अधिक आबादी वाला देश ग्रीनहाउस गैसों का तीसरा सबसे बड़ा उत्सर्जक है, लेकिन इसने 2070 तक शुद्ध जीरो उत्सर्जन अर्थव्यवस्था हासिल करने की प्रतिबद्धता जताई है – लेकिन अधिकांश औद्योगिक पश्चिम देशों के 20 साल बाद.
अभी के लिए यह बिजली उत्पादन के लिए कोयले पर अत्यधिक निर्भर है.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार का कहना है कि जीवाश्म ईंधन से भारत की बढ़ती ऊर्जा जरूरतों को पूरा करने और लाखों लोगों को गरीबी से बाहर निकालने का प्रयास जारी है.