नई दिल्ली: अर्धसैनिक बल की दो महिलाकर्मियों के यौन उत्पीड़न मामले में केंद्र ने गुरुवार (30 मई) को केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) के उप महानिरीक्षक खजान सिंह को सेवा से बर्खास्त कर दिया है.
खबर के मुताबिक, खजान सिंह केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल के मुख्य खेल अधिकारी के रूप में कार्यरत थे, जब उन पर साल 2021 में दो महिलाओं के यौन उत्पीड़न का आरोप लगा था.
मालूम हो कि खजान सिंह एक पूर्व राष्ट्रीय तैराकी चैंपियन हैं और उन्हें 1984 में अर्जुन पुरस्कार से सम्मानित किया गया था. उन्होंने 1986 के सियोल एशियाई खेलों में 200 मीटर बटरफ्लाई स्पर्धा में रजत पदक अपने नाम किया था.
समाचार एजेंसी पीटीआई की रिपोर्ट के अनुसार, यौन उत्पीड़न के आरोप लगने के बाद सीआरपीएफ ने सिंह को साल 2021 में सेवा से निलंबित कर दिया गया था. हालांकि, सिंह ने तब इन आरोपों को ‘बिल्कुल गलत’ बताते हुए इनका खंडन किया था.
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के कार्यालय ने गुरुवार को उन्हें सेवा से बर्खास्त करने का आदेश जारी किया, जो शुक्रवार (31 मई) से लागू हो गया है. यह केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल द्वारा हाल के महीनों में सिंह को दो कारण बताओ नोटिस दिए जाने के बाद उठाया गया कदम है.
ज्ञात हो कि केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल द्वारा शुरू की गई आंतरिक जांच में सिंह को दोषी पाया गया था. जिसके निष्कर्षों के आधार पर संघ लोक सेवा आयोग ने केंद्रीय गृह मंत्रालय से सिंह को बर्खास्त करने की सिफारिश की थी. जिसे मंत्रालय द्वारा स्वीकार करने के बाद सिंह को ये नोटिस जारी किए गए थे.
द वायर ने एक रिपोर्ट में बताया था कि 2021 में केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल की एक कांस्टेबल ने सिंह पर यौन उत्पीड़न, बलात्कार और कई वर्षों तक उसे और अन्य महिला कांस्टेबलों को धमकी देने का आरोप लगाया था.
कांस्टेबल ने आरोप लगाया था कि सिंह ने अपने अपराधों को अंजाम देने के लिए अपने पद, शक्ति और अर्धसैनिक बल में अन्य प्रशिक्षकों और अधिकारियों के समर्थन का इस्तेमाल किया.
गौरतलब है कि एफआईआर में ये भी आरोप लगाया था कि खजान सिंह और उनके सहयोगी सुरजीत सिंह, दोनों सीआरपीएफ के भीतर एक सेक्स स्कैंडल चलाते हैं और इनके कई साथी हैं. वे महिला कॉन्स्टेबल का यौन उत्पीड़न करते हैं.
कांस्टेबल ने अधिकारियों पर गुप्त रूप से फिल्म बनाने और उसकी तस्वीरों के साथ उसे ब्लैकमेल करने का भी आरोप लगाया था.
उन्होंने ये भी कहा था कि 2014 में महानिरीक्षक (सीआरपीएफ) से एक आधिकारिक शिकायत की थी, लेकिन आरोपी ने उन्हें शिकायत वापस लेने के लिए मजबूर किया.