नई दिल्ली: महाराष्ट्र के पुणे में तेज रफ्तार पोर्श कार से दुर्घटना में दो लोगों की मौत संबंधी मामले में आरोपी नाबालिग के माता-पिता शिवानी और विशाल अग्रवाल को रविवार (2 जून) को अदालत में पेश किया गया. अदालत ने दोनों को पांच जून तक के लिए पुलिस हिरासत में भेज दिया है.
इससे पहले, शनिवार को पुलिस ने नाबालिग की मां को गिरफ्तार किया था. उन पर शहर के ससून अस्पताल में अपने 17 वर्षीय बेटे के खून के नमूने (ब्लड सैंपल) बदलने का आरोप है, जिसे सबूतों के साथ छेड़छाड़ माना जा सकता है. वहीं, पिता पर अपने ड्राइवर को गलत तरीके से बंधक बनाने का आरोप है.
बता दें कि 19 मई को कथित तौर पर नशे की हालत में एक नाबालिग किशोर ने अपने परिवार की लग्जरी पोर्श कार से मोटरसाइकिल सवार दो लोगों को कुचल दिया था. घटना में दुर्घटनाग्रस्त दोनों सॉफ्टवेयर इंजीनियरों की मौत हो गई थी.
अब तक इस मामले में आठ अन्य लोगों के अलावा अग्रवाल परिवार के चार सदस्यों को गिरफ्तार किया जा चुका है, जिनमें नाबालिग, उसके दादा सुरेंद्र और उसके माता-पिता (शिवानी और विशाल) शामिल हैं.
माता-पिता ने माना कि उनका बेटा चला रहा था पोर्श कार
हिंदुस्तान टाइम्स की एक रिपोर्ट के अनुसार, शनिवार (1 जून) को दोपहर करीब तीन बजे क्राइम ब्रांच द्वारा गिरफ्तार किए गए माता-पिता ने पूछताछ के दौरान दुर्घटना में अपने बच्चे की संलिप्तता स्वीकार की. उन्होंने माना की उनका बेटा पोर्श कार चला रहा था. समाचार रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि नाबालिग की मां ने यह कबूल किया कि ससून जनरल अस्पताल में लिए गए ब्लड सैंपल की रिपोर्ट में हेरफेर के लिए उनके खून का इस्तेमाल किया गया था.’
क्राइम ब्रांच की प्रेस रिलीज में बताया गया, ‘आरोपी से पूछताछ के दौरान यह स्पष्ट हो गया कि मां के ब्लड सैंपल को नाबालिग के ब्लड सैंपल से बदल दिया गया था.’
प्रेस रिलीज के मुताबिक, पुलिस ने अस्पताल से निलंबित फोरेंसिक विभाग के प्रमुख डॉ. अजय टावरे, कैजुअल्टी मेडिकल ऑफिसर डॉ. श्रीहरि हलनोर और शवगृह के कर्मचारी अतुल घलकंबले से भी पूछताछ की है, जिन्हें 27 मई को नाबालिग लड़के के ब्लड सैंपल को उसकी मां के ब्लड सैंपल से बदलने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था.
यह दूसरी बार है जब पिता को क्राइम ब्रांच ने इस मामले में गिरफ्तार किया है. इससे पहले नाबालिग के पिता और दादा को परिवार के ही एक ड्राइवर के अपहरण में कथित भूमिका निभाने के आरोप में हिरासत में लिया गया था.
जुवेनाइल जस्टिस बोर्ड ने निबंध लिखवा कर छोड़ दिया था
घटना के बाद गवाहों ने कहा था कि लड़का नशे की हालत में था, लेकिन ब्लड सैंपल से छेड़छाड़ के कारण यह पता लगाना मुश्किल हो गया था. दुर्घटना के कुछ घंटों बाद जुवेनाइल जस्टिस बोर्ड ने 300 शब्दों का निबंध लिखवाने की शर्त पर नाबालिग को रिहा कर दिया.
बोर्ड के इस फैसले से लोगों में भारी आक्रोश फैल गया. इसके बाद नाबालिग को हिरासत में लेकर सुधार गृह भेज दिया गया. स्थानीय पुलिस ने आरोपी से पूछताछ के लिए बोर्ड से अनुमति मांगी थी, जो तुरंत ही मिल गई.