दिल्ली: आतंकी हमले की साज़िश में गिरफ़्तार दो लोगों को बरी करने के लिए पुलिस ने कोर्ट में आवेदन दिया

दिल्ली पुलिस ने लश्कर-ए-तैयबा के कथित पूर्व साउथ इंडिया कमांडर टी. नज़ीर और संदिग्ध आईएसआईएस आतंकवादी सी. ख्वाज़ा मोइनुद्दीन को आतंकवाद के एक मामले में बरी करने के लिए एक अदालत में आवेदन दायर किया है. पुलिस ने ऐसा इसलिए किया है क्योंकि दोनों के अपराध को साबित करने वाला कोई सबूत ही नहीं मिल पाया है.

(प्रतीकात्मक फोटो साभार: ट्विटर/@GujaratPolice)

नई दिल्ली: मार्च 2024 में दिल्ली पुलिस ने दो लोगों को आतंकवादी होने के संदेह में गिरफ्तार किया था. अब दिल्ली पुलिस ने ही दोनों को बरी करने के लिए एक अदालत में आवेदन दिया है क्योंकि उनके खिलाफ कोई भी सबूत नहीं मिले हैं. आवेदन को मंजूरी भी मिल गई है.

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, दिल्ली पुलिस ने लश्कर-ए-तैयबा के कथित पूर्व साउथ इंडिया कमांडर टी. नजीर और संदिग्ध आईएसआईएस आतंकवादी सी. ख्वाजा मोइनुद्दीन को आतंकवाद के एक मामले में बरी करने के लिए एक अदालत में आवेदन दायर किया है. पुलिस ने ऐसा इसलिए किया है क्योंकि दोनों के अपराध को साबित करने वाला कोई सबूत ही नहीं मिल पाया है.

दिल्ली पुलिस ने नजीर उर्फ हाजी साहब को बेंगलुरु सेंट्रल जेल और मोइनुद्दीन को दिल्ली के तिहाड़ जेल से गिरफ्तार किया था. नजीर 2008 के बेंगलुरु विस्फोट केस और मोइनुद्दीन एक अन्य मामले में पहले से जेल में बंद थे.

किस मामले में जेल से गिरफ़्तार किए गए थे नज़ीर और मोइनुद्दीन

पिछले साल बेंगलुरु पुलिस की केंद्रीय अपराध शाखा ने आतंकवाद के एक मामले में पांच लोगों को गिरफ्तार किया था. इन पांच में से एक व्यक्ति को विस्फोटक सामग्री पहुंचाने के आरोप में एक अन्य व्यक्ति को पश्चिम बंगाल से गिरफ्तार किया था. उस गिरफ्तारी के बाद नजीर और मोइनुद्दीन की गिरफ्तारी हुई थी.

बेंगलुरु के कनकनगर क्षेत्र से गिरफ्तार किए गए पांच लोगों (सैयद सुहेल, उमर, जनीद, मुदस्सिर और जाहिद) को कथित तौर पर बेंगलुरु के परप्पना अग्रहारा जेल में नजीर ने कट्टरपंथी बनाया था.

दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल की नई दिल्ली रेंज द्वारा 18 जनवरी को एक एफआईआर दर्ज की गई थी, जिसमें कहा गया था कि विश्वसनीय जानकारी मिली है कि पाकिस्तान के आतंकवादी संगठन भारतीय जमीन पर पाक प्रशिक्षित आतंकवादियों की घुसपैठ कराकर दिल्ली में आतंकवादी हमले करने की योजना बना रहे हैं.

क्या है मामले का बिहार कनेक्शन?

जांच के दौरान केंद्रीय एजेंसियों को बिहार के बेगूसराय जिले के मूल निवासी विक्रम के बारे में पता चला, जिसने साल 2018 में बेंगलुरु के एक व्यक्ति की हत्या कर दी थी और जमानत पर बाहर आने के बाद से फरार था.

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, केंद्रीय एजेंसी के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया ‘जेल में वह (विक्रम) नजीर के संपर्क में आया, जिसने कथित तौर पर उसे कट्टरपंथी बनाया और धर्म परिवर्तन के लिए प्रेरित किया. बाद में उसने धर्म परिवर्तन कर लिया और उसकी नई पहचान मोहम्मद उस्मान है. तकनीकी निगरानी की मदद से पुलिस ने पश्चिम बंगाल के मालदा से विक्रम उर्फ मोहम्मद उस्मान को गिरफ्तार किया.’

उस्मान ने खुलासा किया कि उसे जुनैद नाम के व्यक्ति ने नजीर का हवाला देकर आईईडी तैयार करने के लिए हरियाणा के अंबाला से एक पार्सल लाने को कहा था. एक अधिकारी ने बताया, ‘उस्मान ने उस पार्सल को बेंगलुरु मामले में गिरफ्तार सैयद सुहेल को सौंप दिया और जुनैद से 8,00,000 रुपये ले लिए. योजना के अनुसार, यह तय किया गया था कि इन आईईडी का इस्तेमाल आगामी लोकसभा चुनाव 2024 के दौरान दिल्ली और भारत के अन्य हिस्सों में आतंकी हमले करने के लिए किया जाएगा.’

उस्मान के खुलासे के आधार पर दिल्ली पुलिस ने मार्च में नजीर को बेंगलुरु सेंट्रल जेल से और मोइनुद्दीन को तिहाड़ जेल से गिरफ्तार किया था. अधिकारी ने बताया, ‘पूछताछ के दौरान दोनों ने उस्मान से किसी भी तरह के संबंध होने से इनकार किया और उनके खिलाफ कोई भी सबूत नहीं मिला. 28 अप्रैल को जांच अधिकारी एसीपी ललित मोहन नेगी ने उन्हें बरी करने के लिए दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 169 के तहत एक आवेदन दायर किया और हाल ही में अदालत ने उनके अनुरोध को मंजूरी दे दी है.’