नई दिल्ली: केंद्र सरकार के डेटा के अनुसार, मार्च से मई तक पूरे देश में हीटस्ट्रोक से कम से कम 56 लोगों की मौत की पुष्टि हुई है, जिनमें से 46 मौतें अकेले मई में हुई हैं, अधिकारियों ने अलग से कहा कि ये आंकड़े कम हो सकती हैं.
हिंदुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, ये डेटा 30 मई तक की मौतों से संबंधित हैं और अखबार द्वारा संकलित रिपोर्ट्स और आंकड़ों के अनुसार, 31 मई से 2 जून के बीच कम से कम 191 और लोग – जिनमें चुनाव ड्यूटी पर तैनात दर्जनों लोग शामिल हैं – हीटस्ट्रोक के कारण मारे गए.
इस मामले से अवगत एक अधिकारी ने कहा कि केंद्र सरकार के पास मौजूद आंकड़े शायद ज़्यादा हो गए हैं, क्योंकि यह राज्यों द्वारा बताए गए आंकड़ों पर निर्भर करता है.
उन्होंने कहा, ‘दस्तावेजीकरण पूरी तरह से उन राज्यों पर निर्भर करता है, जिन्हें वास्तविक समय के आधार पर डेटा रिपोर्ट करना होता है. कुछ राज्यों ने डेटा एंट्री के साथ समस्याओं की सूचना दी है और हो सकता है कि वे वास्तविक समय में दस्तावेजीकरण करने में सक्षम न हों. इसलिए, इसमें थोड़ी देरी हो सकती है.’
लेकिन, अधिकारी ने कहा कि इन आंकड़ों में वे लोग भी शामिल हैं जिनकी मौत तेज गर्मी के कारण हुई है और यह ‘100% सटीक’ है.
कई राज्यों में अधिकारियों ने पोस्टमार्टम रिपोर्ट उपलब्ध न होने पर गर्मी के कारण होने वाली मौतों को वर्गीकृत करने में हिचक दिखाई है. तीन दिनों में हुई 191 मौतों में वे लोग शामिल हैं जिनकी मौत की पुष्टि हो चुकी है और वे लोग भी शामिल हैं जिनकी मौत गर्मी के कारण होने वाले लक्षणों के कारण हुई.
इन 56 मौतों में से सबसे अधिक मौतें मध्य प्रदेश में 14 लोगों की हुई, उसके बाद महाराष्ट्र (11), आंध्र प्रदेश (6) और राजस्थान (5) का स्थान रहा. इन मौतों को केंद्र सरकार के राष्ट्रीय गर्मी से संबंधित बीमारियों और मृत्यु निगरानी कार्यक्रम के तहत ट्रैक किया गया.
हीटस्ट्रोक के मामलों में 1 मार्च से अब तक 24,849 मामले सामने आए हैं, जिनमें से 19,189 मामले मई में सामने आए.
6,584 मामलों के साथ मध्य प्रदेश हीटस्ट्रोक सूची में सबसे ऊपर है, उसके बाद राजस्थान (4,357), आंध्र प्रदेश (3,239), छत्तीसगढ़ (2,418), झारखंड (2,077) और ओडिशा (1,998) हैं.
राष्ट्रीय निगरानी डेटा से पता चला है कि मई में 605 हृदय संबंधी मौतें भी हुई हैं, जो तीव्र गर्मी के दौर से जुड़ी हैं.
भारतीय मौसम विज्ञान विभाग के अनुसार, पूर्वी और दक्षिण-पूर्वी प्रायद्वीपीय भारत में 5 से 7 अप्रैल के बीच और ओडिशा और पश्चिम बंगाल में 15 से 30 अप्रैल के बीच आर्द्र गर्मी के दो तीव्र दौर आए, जो बिहार, झारखंड और दक्षिण प्रायद्वीपीय भारत तक फैल गए. दो और तीव्र गर्मी के दौर आए, जिनमें से एक 1 से 7 मई के बीच ओडिशा, गंगीय पश्चिम बंगाल और प्रायद्वीपीय भारत के कुछ हिस्सों में आया.
दूसरा दौर 16 से 26 मई के बीच हुआ, राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र, हरियाणा, उत्तर प्रदेश और पंजाब में 5-7 दिन लू चली, जिसमें अधिकतम तापमान 44 से 48 डिग्री तक पहुंच गया.
यह सामान्य से काफी अलग था, क्योंकि आमतौर पर मार्च, अप्रैल और मई के गर्मियों के महीनों में चार से आठ दिन लू चलने की उम्मीद होती है. भीषण गर्मी के ये दौर 19 अप्रैल से 1 जून के बीच होने वाले लोकसभा चुनावों के साथ मेल खाते हैं.
मौसम ब्यूरो के एक अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर कहा, ‘गर्मी के दौर के दौरान पूर्वी भारत के तटीय क्षेत्रों में सापेक्ष आर्द्रता 50% से अधिक और उत्तर-पश्चिम भारत में लगभग 20% से 30% थी. उमस भरी गर्मी से स्वास्थ्य पर बहुत गंभीर प्रभाव पड़ सकता है और हमें डर है कि बड़ी संख्या में लोग इससे प्रभावित हुए होंगे. यही बात उत्तर-पश्चिम भारत पर भी लागू होती है.’
दिल, फेफड़े और गुर्दे की पुरानी बीमारियों और मोटापे से पीड़ित लोगों के अलावा, बुजुर्गों और छोटे बच्चों जैसी कमजोर आबादी और बीटा-ब्लॉकर्स, मूत्रवर्धक और अवसाद-रोधी जैसी कुछ दवाओं का सेवन करने वाले लोगों के प्रभावित होने का उच्च जोखिम है.
नई दिल्ली के साकेत में मैक्स सुपरस्पेशलिटी अस्पताल में आंतरिक चिकित्सा के निदेशक डॉ. रोमेल टिक्कू ने कहते हैं, ‘अगर हीट स्ट्रोक का संदेह है, तो व्यक्ति को जल्द से जल्द डॉक्टर या अस्पताल ले जाना चाहिए. यह सुनिश्चित करना भी महत्वपूर्ण है कि प्रभावित व्यक्ति को छांव में लाया जाए, ठंडे पानी से नहलाया जाए या तापमान को कम करने के लिए व्यक्ति के सिर, गर्दन, पैर और हथेलियों पर गीला तौलिया रखा जाए.’
डॉक्टरों ने सीधे धूप में जाने से बचने की भी सलाह दी, खासकर तेज धूप के समय- डॉ. टिक्कू ने कहा, ‘सुबह 10 बजे से शाम 4 बजे के बीच धूप से बचना सबसे अच्छा है. लेकिन अगर आपको बाहर निकलना ही है, तो घर से निकलने से ठीक पहले कम से कम दो गिलास पानी पीना ज़रूरी है.’
मालूम हो कि बीते 31 मई को भारत में गर्मी से संबंधित कम से कम 40 संभावित मौतें दर्ज की गई थी, जिनमें से 25 उत्तर प्रदेश और बिहार में लोकसभा चुनाव ड्यूटी पर तैनात कर्मचारियों की थीं.
ओडिशा सरकार ने शुक्रवार (31 मई) को लू लगने से पांच लोगों की मौत की पुष्टि की गई थी, जबकि 18 अन्य लोगों की जांच चल रही थी, जिनके लू लगने से संबंधित बीमारी से जुड़े होने का संदेह था.
इससे पहले 30 मई देशभर में भीषण गर्मी के कारण कम से कम 54 लोगों की मौत दर्ज की गई थी. सबसे ज्यादा बिहार में लू लगने से 32 लोगों की मौत हुई थी, जिनमें से 17 औरंगाबाद में, छह आरा में, तीन-तीन गया और रोहतास में, दो बक्सर में और एक पटना में मौत हुई थी. ओडिशा के राउरकेला में 10 लोगों की मौत हुई थी. झारखंड के पलामू और राजस्थान में पांच-पांच लोगों की मौत हुई थी, जबकि उत्तर प्रदेश के सुल्तानपुर में एक व्यक्ति की मौत हुई थी.