ओडिशा विधानसभा: भाजपा ने नवीन पटनायक के गढ़ पर कब्ज़ा किया

ओडिशा विधानसभा में भाजपा ने 147 में से 78 सीटें जीत कर बहुमत के आंकड़े को पार कर लिया है, वहीं सत्तारूढ़ बीजू जनता दल (बीजेडी) 51 सीटे मिली हैं. जबाकि कांग्रेस ने 14 सीटे हासिल की हैं. नतीज़ों से साफ है कि ये पहला मौका होगा, जब ओडिशा में भाजपा सरकार बनाने में कामयाब हो पाएगी.

(फोटो: द वायर)

नई दिल्ली: ओडिशा में विधानसभा की 147 सीटें और लोकसभा की 21 सीटों के लिए एक साथ चार चरणों में 13 मई से 1 जून के बीच मतदान हुए थे. अब इन दोनों चुनावों में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने शानदार जीत हासिल की है. ओडिशा विधानसभा में भाजपा 147 में से 78 सीटें जीत कर बहुमत के आंकड़े को पार कर लिया है, वहीं सत्तारूढ़ बीजू जनता दल (बीजेडी) 51 सीटे मिली हैं. जबाकि कांग्रेस ने 14 सीटे हासिल की हैं. नतीज़ों से साफ है कि ये पहला मौका होगा, जब ओडिशा में भाजपा सरकार बनाने में कामयाब हो पाएगी.

मालूम हो कि 2024 के विधानसभा चुनावों में बीजेडी की तरफ से नवीन पटनायक एक बार चुनावी मैदान में थे, तो दूसरी तरफ भाजपा ने बिना किसी क्षेत्रीय चेहरे के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की लोकप्रियता के भरोसे यह चुनाव लड़ा था. जिसका नतीज़ा भाजपा के पक्ष में आता नज़र आ रहा है. भाजपा की ओडिशा में जीत ऐतिहासिक कही जा सकती है.

2019 विधानसभा और लोकसभा चुनाव के नतीज़े

बीते विधानसभा चुनाव 2019 को देखें, तो कुल 147 सीटों में से बीजेडी को 112 सीटें मिली थीं. जबकि भाजपा को 23 सीटें, कांग्रेस को 9, सीपीआई एम को 1 और 1 सीट निर्दलीय के खाते में गई थी. इस चुनाव में बीजेडी को करीब 45% वोट मिले थे. जबकि भाजपा को करीब 33% वोट मिले थे. कांग्रेस के खाते में 16% वोट और अन्य को 6% वोट मिले थे.

2019 लोकसभा चुनाव की बात करें, तो कुल 21 सीटों में से बीजेडी ने 12, भाजपा ने आठ और कांग्रेस ने एक पर जीत हासिल की थी. हालांकि इस बार लगभग सभी एग्जिट पोल सर्वे ने भाजपा को सत्तारूढ़ बीजेडी से आगे दिखाया था. लेकिन साल 2014 और 2019 में ओडिशा के एग्जिट पोल्स गलत साबित हुए थे.

ओडिशा का चुनाव प्रचार

ये कहना कोई अतिशयोक्ति नहीं होगी कि इस बार ओडिशा में भाजपा का चुनाव प्रचार एकदम केंद्रित और आक्रामक था. मुख्यमंत्री नवीन पटनायक पर व्यक्तिगत हमले, विकास के नाम पर आरोप-प्रत्यारोप, पुरी में श्री जगन्नाथ मंदिर समेत कई मुद्दों पर भाजपा ने कभी अपनी ही सहयोगी रही बीजेडी को खूब घेरा. राजनीति के जानकार पहले ही कयास लगा रहे थे, कि ओडिशा में भाजपा इस बार बेहतर प्रदर्शन करेगी.

गौरतलब है कि नवीन पटनायक ने पिछले 25 बरस में ओडिशा को अपना गढ़ बनाया था. वो देश में सबसे लंबे अरसे तक मुख्यमंत्री बने रहने वाले नेताओं की सूची में दूसरे नंबर पर हैं. पवन कुमार चामलिंग के बाद लगातार 24 साल से अधिक समय तक नवीन पटनायक ने ओडिशा की कमान संभाले रखी. वो पांच बार लगातार गंजाम ज़िले की हिंजली विधानसभा सीट से विधायक रहे हैं. और इस बार भी इस सीट को बचाने में कामयाब रहे. उन्होंने भाजपा के शिशिर कुमार मिश्रा को 4636 वोटों से हराया.  इससे पहले दो बार वो यहीं की आस्का लोकसभा सीट से जीते थे, जिस पर भाजपा की प्रत्याशी अनिता सुदर्शिनी ने इस बार जीत हासिल की है.