केंद्रीय एजेंसियों की जांच की आंच से भागकर भाजपा में गए नेताओं को जनता ने नकारा

लोकसभा चुनाव 2024 में भाजपा के करीब एक चौथाई उम्मीदवार दूसरे दलों से आयात किए हुए थे. भाजपा की इस रणनीति से राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के कई कार्यकर्ता नाराज़ थे.

प्रनीत कौर (बाएं) और कृपाशंकर सिंह. (फोटो साभार: फेसबुक)

नई दिल्ली: लोकसभा चुनाव 2024 में 13 ऐसे उम्मीदवार मैदान में थे, जो खुद या उनके परिवार के सदस्य केंद्रीय जांच एजेंसियों (ईडी, सीबीआई, आदि) के रडार पर हैं. इन 13 में से नौ चुनाव हार गए हैं. हारने वाले नौ उम्मीदवारों में से सात भाजपा या उसके सहयोगी दलों के हैं.

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, जांच एजेंसियों के दायरे में आने वाले 13 उम्मीदवारों में से आठ दूसरे दलों से भाजपा में आए थे (सात कांग्रेस से और एक तृणमूल कांग्रेस से). इन आठ में से छह चुनाव हार गए हैं. इसके अलावा शिवसेना (यूबीटी) के दो नेता शिवसेना (शिंदे गुट ) में शामिल हो गए थे, उनमें से एक की हार हुई है. इस तरह भाजपा या उसके सहयोगी दल में जाने वाले कुल सात ऐसे नेताओं की हार हुई है.

विपक्षी दलों की बात करें तो झारखंड विकास पार्टी और पीईपी (पंजाब एकता पार्टी) के एक-एक नेता जो कांग्रेस में शामिल हो गए थे, वे भी हार गए हैं.

भाजपा के करीब एक चौथाई उम्मीदवार दलबदलू

लोकसभा चुनाव 2024 में भाजप ने करीब एक चौथाई ऐसे नेताओं को मैदान में उतारा, जो दूसरे दल से आए थे. भाजपा के कुल 435 उम्मीदवारों में से 106 दलबदलू थे. 90 तो पिछले पांच साल में भाजपा में शामिल हुए थे.

इतना ही नहीं, लोकसभा चुनाव के इर्द-गिर्द कम से कम 25 नेता दूसरी पार्टियों से भाजपा में जाकर चुनाव लड़े. इन 25 में से 20 चुनाव हार गए हैं.

नेता सीट पिछली पार्टी
सुशील कुमार रिंकू जलंधर (पंजाब) आप
अशोक तंवर सिरसा (हरियाणा) कांग्रेस
रणजीत सिंह चौटाल हिरास (हरियाणा) कांग्रेस
महेंद्रजीत मालवीय बांसवाड़ा (राजस्थान) कांग्रेस
रवनीत सिंह बिट्टू लुधियाना (पंजाब) कांग्रेस
तापस रॉय कोलकाता उत्तर (पश्चिम बंगाल) टीएमसी
सुरेश बोरा नगांव (असम) कांग्रेस
सी. रघुनाथ कन्नूर (केरल) कांग्रेस
परनीत कौर पटियाला (पंजाब) कांग्रेस
बीबी पाटिल जहीराबाद (तेलंगाना) बीआरएस
भारत प्रसाद पोथुगंती नगरकुरनूल (तेलंगाना) बीआरएस
ए. सीताराम नाईक महबूबाबाद (तेलंगाना) बीआरएस
साईद रेड्डी नलगोंडा (तेलंगाना) बीआरएस
अरूरी रमेश वारंगल (तेलंगाना) बीआरएस
ज्योति मिर्धा नागौर (राजस्थान) कांग्रेस
रितेश पांडे अंबेडकर नगर (उत्तर प्रदेश) बसपा
अर्जुन सिंह बैरकपुर (पश्चिम बंगाल) टीएमसी
गीता कोड़ा सिंहभूम (झारखंड) कांग्रेस
किरण कुमार रेड्डी राजमपेट (आंध्र प्रदेश) कांग्रेस
सीता सोरेन दुमका (झारखंड) जेएमएम

हरियाणा: 10 में से 6 दलबदलू उम्मीदवार

हरियाणा में भाजपा की सरकार है. पिछले आम चुनाव में भाजपा सभी 10 सीटों पर जीती थी. इस बार भाजपा ने जीत के लिए दूसरे दलों से आए नेताओं पर भी भरोसा किया. भाजपा ने 10 में से छह सीटों पर ऐसे नेताओं को टिकट दिया, जो 2014 के बाद भाजपा में आए थे. इन छह में से तीन (रंजीत सिंह चौटाला, नवीन जिंदल और अशोक तंवर) तो लोकसभा चुनाव के तारीखों की घोषणा के बाद भाजपा में शामिल हुए थे.

हरियाणा में भाजपा 2019 का पिछला प्रदर्शन नहीं दोहरा पाई है. भाजपा आधी हो गई है. कांग्रेस को पांच सीटों पर जीत मिली है.

सिरसा से अशोक तंवर, कांग्रेस की शैलजा से 25 हजार से ज्यादा वोटों से हार गए हैं. पूर्व उपप्रधानमंत्री देवी लाल के बेटे रंजीत सिंह चौटाला को हिसार से हार गए हैं. कांग्रेस के जय प्रकाश 60 हजार से ज्यादा वोटों से जीते हैं. पूर्व कांग्रेसी और उद्योगपति नवीन जिंदल ने कांग्रेस के सुशील गुप्ता को कुरुक्षेत्र से हरा दिया है.

पंजाब में आधे से ज्यादा उम्मीदवार दलबदलू

1996 के बाद पहली बार पंजाब में अपने दम पर चुनाव लड़ने उतरी भाजपा ने कुल 13 में से सात सीटों पर दूसरे दलों से आए नेताओं को टिकट दिया. पंजाब में भाजपा खाता भी नहीं खोल पाई. सात पर कांग्रेस, तीन पर आम आदमी पार्टी (आप) और एक पर शिरोमणि अकाली दल को जीत मिली है. दो निर्वाचन क्षेत्र में निर्दलीय उम्मीदवार भी जीते हैं.

पूर्व कांग्रेस नेता और पंजाब के पूर्व सीएम कैप्टन अमरिंदर सिंह की पत्नी प्रनीत कौर को भाजपा ने पटियाला से टिकट दिया था. कौर कांग्रेस के धर्मवीर गांधी और आप के बलबीर सिंह के बाद तीसरे स्थान पर रही हैं.

गौरतलब है कि कैप्टन अमरिंदर सिंह के बेटे रणिंदर सिंह 2020 में फॉरेक्स उल्लंघन के मामले में ईडी की जांच के घेरे में आए थे. नवंबर 2021 में अमरिंदर सिंह ने कांग्रेस छोड़ दी और अगले ही साल भाजपा में शामिल हो गए.

आप नेता और पूर्व मंत्री गुरमीत सिंह सोढ़ी साल 2022 में भाजपा में शामिल हुए थे. भाजपा ने सोढ़ी को फिरोजपुर से उम्मीदवार बनाया था, वह तीसरे नंबर पर आए हैं. कांग्रेस के शेर सिंह घुबाया को जीत मिली हैं. दूसरे नंबर पर आप के जगदीप सिंह हैं.

कांग्रेस से आप और पिछले साल मार्च में भाजपा जॉइन करने वाले सुशील कुमार रिंकू जालंधर से चुनाव हार गए हैं. जालंधर निर्वाचन क्षेत्र से कांग्रेस के चरनजीत सिंह चन्नी की जीत हुई है.

साल 2022 में कांग्रेस छोड़ भाजपा में शामिल होने वाले गेज्जा राम वाल्मीकि फतेहगढ़ साहिब से चुनाव हार गए हैं. निर्वाचन क्षेत्र से कांग्रेस के अमर सिंह की जीत हुई है. दूसरे नंबर पर आप के गुरप्रीत सिंह रहे हैं.

उत्तर प्रदेश: भाजपा के 31 प्रतिशत प्रत्याशी दलबदलू

उत्तर प्रदेश से चौंकाने वाले नतीजे आए हैं. संसदीय चुनाव हो या राज्य विधानसभा चुनाव, यूपी में पिछले एक दशक में भाजपा का दबदबा रहा है. आम चुनाव 2024 के लिए भाजपा ने 80 में से 74 सीटों (पार्टी के चुनाव चिह्न पर चुनाव लड़ने वाले एक सहयोगी को छोड़कर) पर अपने उम्मीदवार उतारे. इन 74 में से 23 ऐसे नेता हैं, जो 2014 के बाद भाजपा में आए. इन 23 में से 14 ने अपनी सीट गंवा दी है.

मुंबई कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष कृपाशंकर सिंह के खिलाफ साल 2012 में आय से अधिक संपत्ति के मामले में एंटी करप्शन ब्यूरो (महाराष्ट्र) ने जांच शुरू की थी. मोदी सरकार में ईडी ने एसीबी की जांच को आधार बनाकर जांच शुरू की. 2019 में कृपाशंकर सिंह ने कांग्रेस से इस्तीफा दे दिया और 2021 में भाजपा में शामिल हो गए.

2024 में वह जौनपुर लोकसभा सीट से भाजपा उम्मीदवार थे, जहां उनकी हार हुई है.

उत्तर प्रदेश में भाजपा को 33 सीटों पर जीत मिली है. वहीं समाजवादी पार्टी ने 37 और कांग्रेस छह सीटें जीती हैं. भाजपा के सहयोगी आरएलडी को दो सीटों पर जीत मिली है. यह यूपी में पिछले 10 सालों में भाजपा का सबसे खराब प्रदर्शन है.

दूसरे दल से आकर भाजपा के टिकट पर चुनाव लड़कर हारने वाले नेताओं के नाम हैं:

नेता  सीट  पिछली पार्टी
नीरज शेखर बलिया सपा
रितेश पांडे अंबेडकर नगर बसपा
जयवीर सिंह मैनपुरी सपा
जितिन प्रसाद पीलीभीत कांग्रेस
कृपाशंकर सिंह जौनपुर कांग्रेस
दिनेश प्रताप सिंह रायबरेली कांग्रेस
ओम कुमार नगीना बसपा
घनश्याम सिंह लोधी रामपुर सपा
ठाकुर विश्वदीप सिंह फिरोजाबाद बसपा
धर्मेंद्र कश्यप आंवला सपा
राजेश वर्मा सीतापुर बसपा
संगमलाल गुप्ता प्रतापगढ़ अपना दल (एस)
प्रवीण कुमार निषाद संत कबीर नगर सपा
बीपी सरोज मछलीशहर बसपा

उत्तर प्रदेश में भाजपा की बुरी हार का एक कारण ‘बाहरी’ पर निर्भर होने को भी माना जा रहा है. भाजपा की इस रणनीति से संघ के लोग नाराज थे.

द वायर से बातचीत में संघ की विचारधारा से ताल्लुक रखने वाले एक व्यक्ति ने कहा था, ‘सच यह है कि हमारा कार्यकर्ता नाराज है. आप बाहरी लोगों को ले आए हो. जिन लोगों के खिलाफ हम कल तक संघर्ष कर रहे थे, वे हमारे पाले में आ गए हैं.’

अन्य राज्य

तमिलनाडु में भाजपा के कुल उम्मीदवारों में 26 प्रतिशत दलबदलू थे. राज्य के कुल 39 सीटों में से एक पर भी भाजपा को सफलता नहीं मिली है.

राजस्थान में भाजपा ने दो दलबदलू नेताओं (महेंद्रजीत मालवीय और ज्योति मिर्धा) को टिकट दिया था, दोनों हार गए.

महाराष्ट्र में भाजपा ने 48 निर्वाचन क्षत्रों में से 28 पर अपने उम्मीदवार उतारे थे, इन 28 में से सात दूसरे दल से आए नेता थे. भाजपा को सिर्फ नौ सीटों पर जीत मिली है.