लोकसभा चुनाव: यूपी में भाजपा के 49 मौजूदा सांसदों में से केंद्रीय मंत्रियों सहित 27 की हार हुई

उत्तर प्रदेश की 80 लोकसभा सीटों पर भाजपा ने उसके 33 निवर्तमान सांसदों को तीसरी या उससे अधिक बार चुनावी मैदान में उतारा था, जिनमें से आधे से ज़्यादा (20) सांसदों ने अपनी सीट गंवाई है. 

(बाएं से) अजय मिश्रा 'टेनी, स्मृति ईरानी, संजीव बालियान और निरंजन ज्योति. (सभी फोटो साभार: संबंधित फेसबुक पेज)

नई दिल्ली: लोकसभा चुनाव 2024 के नतीज़ों से ये साफ हो गया है कि इस बार के चुनाव में मोदी लहर की जगह भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और उसके नेताओं को सत्ता विरोधी लहर का सामना करना पड़ा है.

टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक, इस बार उत्तर प्रदेश में भाजपा के वर्तमान सांसदों को सबसे ज्यादा चुनौती का सामना करना पड़ा है. यहां भाजपा द्वारा चुनाव में दोहराए गए उम्मीदवारों में 49 मौजूदा सांसद थे, जिनमें से 27 की हार हुई है.

यहां 33 वर्तमान सांसद तीसरी या उससे अधिक बार चुनावी मैदान में उतरे थे, जिनमें से आधे से ज़्यादा (20) सांसद अपनी सीटें हार गए.

मालूम हो कि भाजपा ने 2019 में चुनाव लड़ने वाले 54 उम्मीदवारों को इस बार फिर से टिकट दिया था, जिसमें 31 प्रत्याशियों को हार का मुंह देखना पड़ा है. पार्टी द्वारा फिर से मैदान में उतारे गए उम्मीदवारों में अंबेडकरनगर के उम्मीदवार रितेश पांडे भी शामिल थे, जो बहुजन समाज पार्टी (बसपा) से भाजपा में आए थे.

भाजपा के वर्तमान सांसदों में से 33 सांसद तीसरी बार या उससे अधिक बार चुनाव लड़ रहे थे, इनमें से 20 इस बार अपनी सीट नहीं बचा सके.

इन नेताओं में स्मृति ईरानी (अमेठी), अजय मिश्रा ‘टेनी’ (खीरी), कौशल किशोर (मोहनलालगंज), महेंद्र नाथ पांडे (चंदौली), साध्वी निरंजन ज्योति (फतेहपुर), भानु प्रताप सिंह वर्मा (जालौन) और संंजीव बालियान (मुजफ्फरनगर) जैसे दिग्गज सांसद और केंद्रीय मंत्रियों के नाम शामिल हैं.

इस बार के चुनाव में आठ बार की सांसद मेनका गांधी (सुल्तानपुर) और पूर्व सीएम कल्याण सिंह के बेटे राजवीर सिंह (एटा) जैसे हाई-प्रोफाइल सांसदों को भी हार का सामना करना पड़ा.

इसके अलावा भाजपा को अयोध्या के संसदीय क्षेत्र फैजाबाद में भी हार मिली. यहां लल्लू सिंह भाजपा के प्रत्याशी थे. कन्नौज में सुब्रत पाठक भी अपनी सीट नहीं बचा सके और पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के हाथों हार गए.

टाइम्स ऑफ इंडिया को  एक राजनीतिक विश्लेषक ने बताया, ‘ इस हार से साफ पता चलता है कि लोग उनके (मौजूदा सांसदों) काम से नाखुश थे, फिर भी भाजपा नेताओं ने उन पर गलत भरोसा दिखाया.’

इस चुनाव के आंकड़ों से पता चलता है कि तीसरी या अधिक बार चुनाव लड़ रहे 33 में से केवल 14 भाजपा सांसदों को ही जीत मिल पाई है. इसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (वाराणसी), महेश शर्मा (जीबी नगर), भोला सिंह (बुलंदशहर), राजनाथ सिंह (लखनऊ), और हेमा मालिनी (मथुरा) आदि शामिल हैं.

हालांकि, पहली बार चुनावी मैदान में उतरे भाजपा के कई प्रत्याशियों के हाथ भी जीत लगी है, जिसमें जितिन प्रसाद (पीलीभीत), छत्रपाल सिंह गंगवार (बरेली), अतुल गर्ग (गाजियाबाद), आनंद गोंड (बहराइच), और करण भूषण सिंह (कैसरगंज) के नाम प्रमुख हैं.

राजनीतिक पर्यवेक्षकों के अनुसार, पहली सूची में 51 उम्मीदवारों में से 46 को दोहराने के भाजपा के फैसले ने कई लोगों को आश्चर्यचकित कर दिया था, क्योंकि उनमें से कई के खिलाफ स्थानीय नाराजगी थी. एक पर्यवेक्षक का कहना है, ‘यह धारणा कि मोदी-योगी फैक्टर उन्हें आगे ले जाएगा, गलत साबित हुआ.’

दूसरी बार चुनाव लड़ने वालों में 16 मौजूदा सांसद सहित 19 कुल उम्मीदवार थे, इनमें से सात मौजूदा सांसदों समेत दस को अपनी सीटें गंवानी पड़ीं, जिसमें प्रदीप कुमार (कैराना), राम शंकर कठेरिया (इटावा), संगम लाल गुप्ता (प्रतापगढ़), प्रवीण निषाद (संत कबीर नगर) और आरके सिंह पटेल (बांदा) प्रमुख रहे.