सुकमा पुलिस अधीक्षक इंदिरा कल्यान एलेसेला ने कहा है कि ईशा खंडेलवाल और शालिनी गेरा जैसे मानवाधिकार कार्यकर्ताओं को वाहन से सड़क पर कुचल देना चाहिए.
जिस वक्त मानवाधिकार हनन के लिए कुख्यात बस्तर को लेकर चर्चाएं गर्म हैं, उसी समय सुकमा के पुलिस अधीक्षक ने कहा है मानवाधिकार कार्यकर्ताओं को सड़क पर कुचल देना चाहिए. बस्तर के जगदलपुर में एक कार्यक्रम में शिरकत करने पहुंचे सुकमा के पुलिस अधीक्षक इंदिरा कल्याण एलेसेला ने नक्सल उन्मूलन पर चर्चा के दौरान यह विवादित बात कही.
छत्तीसगढ़ के अख़बार नवभारत में छपी ख़बर में कहा गया है कि ‘गुरूवार को एक आईपीएस अधिकारी के बयान ने विवाद को जन्म दे दिया है. एक निजी कार्यक्रम में शिरकत करने पहुंचे सुकमा पुलिस अधीक्षक इंदिरा कल्याण एलेसेला नक्सल उन्मूलन को लेकर चर्चा कर ही रहे थे कि अचानक कह गए कि मानवाधिकार कार्यकर्ता ईशा खंडेलवाल और शालिनी गेरा जैसे लोगों को सड़क पर कुचल देना चाहिए.’
अख़बार ने आगे लिखा है, ‘एलेसेला ने कहा कि आधुनिक तकनीक वाले वाहनों के लिए बस्तर की सड़कें अभी तैयार नहीं हैं. राज्य सरकार इसे लेकर प्रयास कर रही है और जल्द ही बस्तर में उम्दा सड़कों का निर्माण हो सकेगा, जिसके बाद आधुनिक तकनीकों वाले वाहनें सरपट गति से दौड़ सकेंगे. इसी बीच उन्होंने मानवाधिकार कार्यकर्ताओं को नक्सल समर्थक बताते हुए उन्हें इन्हीं आधुनिक तकनीकों वाली वाहनों के नीचे सड़क पर कुचल देने की बात कह दी. उन्होंने मानवाधिकार कार्यकर्ताओं की ओर ईशारा करते हुए कहा कि लोग पालतु कुत्ते-बिल्ली को लेकर घूूमते हुए पुलिस पर आरोप लगाते हैं. उन्होंने सरकार की खिलाफत करने और नक्सलियों के हिमायती लोगों पर कार्रवाई करने में कोई गुरेज नहीं किया जाएगा.’
पत्रिका अख़बार ने पहले पन्ने पर यह ख़बर लगाई है जिसमें कहा गया है, ‘यह एक आॅटोमोबाइल कंपनी का कार्यक्रम था. ऐलेसेला ने कहा, ईशा खंडेलवाल और शालिनी गेरा जैसे मानवाधिकार कार्यकर्ताओं को वाहन से सड़क पर कुचल देना चाहिए.’
छत्तीसगढ़ की राजधानी में मौजूद एक वरिष्ठ पत्रकार ने इस पर चर्चा करते हुए कहा, ‘एसपी के इस बयान को लेकर शुक्रवार को विधानसभा में हंगामा भी हुआ. विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष टीएस सिंहदेव ने इस मामले को सदन में उठाया जिसके बाद ख़ासा हंगामा हुआ.’
जिस कार्यक्रम में एलेसेला ने यह बयान दिया, उसमें बस्तर के पूर्व पुलिस महानिरीक्षक एसआरपी कल्लूरी और जगदलपुर एसपी आरएन दास भी मौजूद थे. एसआरपी कल्लूरी तीन दिनों से बस्तर में हैं. उन्हें हाल ही बस्तर से हटाकर प्रदेश पुलिस हेडक्वार्टर अटैच कर दिया गया था. एक पत्रकार ने कहा, ‘आईजी कल्लूरी के कारनामों से सरकार की फ़ज़ीहत होने लगी तो उन्हें वहां से हटा दिया गया था. अब सवाल उठता है कि तबादले के बाद आईजी कल्लूरी बस्तर में क्या कर रहे हैं?’
आईजी कल्लूरी लगातार एक के बाद एक ऐसे अटपटे या ग़ैरक़ानूनी काम करते रहते हैं जिससे वे चर्चा में बने रहते हैं. वे आजकल फिर से एक कथित वीडियो वायरल कराने को लेकर चर्चा में हैं. मीडिया में प्रकाशित ख़बरों के मुताबिक, उन्होंने व्हाट्सएप पर एक कथित वीडियो प्रसारित किया जिसमें उत्तर प्रदेश समेत चार राज्यों में भाजपा की जीत का दावा किया गया था. इस वीडियो के प्रसारित होने के बाद छत्तीसगढ़ कांग्रेस ने सिविल सेवा आचरण संहिता का हवाला देते हुए उनके ख़िलाफ़ अनुशासनात्मक कार्रवाई की मांग की थी.
छत्तीसगढ़ में लंबे समय से काम कर रहे गांधीवादी कार्यकर्ता हिमांशु कुमार ने ‘द वायर’ से बातचीत में कहा, ‘एलेसेला पहले बीजापुर में एडीशनल एसपी थे. जब सोनी सोरी पर आईजी कल्लूरी ने अटैक करवाया था, उस समय एक एसआईटी बनी थी. इन लोगों ने सोनी के ही रिश्तेेदारों को बुला-बुलाकर पीटना शुरू कर दिया था. सोनी के बहनोई को पीटते समय इसने लात मारते हुए कहा था कि मुझे 250 एनकाउंटर का टॉर्गेट मिला था लेकिन सोनी और लिंगा की वजह से हो नहीं पाया. इन्हीं के टाइम में मड़कम हिड़मे को फ़र्ज़ी मुठभेड़ में मारा गया था.’
हिमांशु कुमार ने निराशा जताते हुए कहा, ‘देखिए, अधिकारी कह रहा है कि ईशा और शालिनी को सड़क पर कुचल देना चाहिए. हमारा पूरा राजपाट इस समय गुंडों के हाथ में है. देश में इनको समर्थन भी देने वाले लोग हैं. वे भी इनका समर्थन करते हुए कहते हैं कि हां, कुचल देना चाहिए. लोग समर्थन करते हैं इसलिए प्रशासन का हौसला बढ़ा हुआ है.’