नई दिल्ली: जम्मू-कश्मीर लोकसभा चुनाव 2024 के नतीज़ों ने सबको हैरान कर दिया है. एक ओर घाटी के कई दिग्गज चुनाव हार गए, तो वहीं जम्मू-कश्मीर की पांच लोकसभा सीटों के लिए चुनाव लड़ रहे करीब 90 प्रतिशत उम्मीदवारों की जमानत जब्त हो गई. यानी वे अपने-अपने निर्वाचन क्षेत्रों में डाले गए वोटों का छठा हिस्सा भी हासिल नहीं कर पाए.
टाइम्स ऑफ इंडिया की खबर के मुताबिक, चुनाव आयोग के आंकड़ों से पता चला है कि यहां के मतदाताओं ने केंद्र शासित प्रदेश में एक लोकसभा क्षेत्र को छोड़कर बाकी सभी सीटों पर अंतिम विजेता को निर्णायक जनादेश दिया है. इसके अलावा मैदान में उतरे 100 उम्मीदवारों में से 89 की जमानत जब्त हो गई.
बारामुला लोकसभा सीट पर पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला और पीपुल्स कॉन्फ्रेंस के अध्यक्ष सज्जाद गनी लोन जैसे राजनीतिक दिग्गजों को हराने वाले एक निर्दलीय उम्मीदवार शेख अब्दुल राशिद एकमात्र विजेता उम्मीदवार थे, जिन्हें कुल डाले गए वोटों का 50 प्रतिशत से भी कम वोट मिला, उनका वोट शेयर 45.70 प्रतिशत रहा.
जम्मू-कश्मीर में बारामुला एकमात्र ऐसा निर्वाचन क्षेत्र रहा, जहां तीसरे स्थान पर रहे उम्मीदवार सज्जाद गनी लोन अपनी जमानत बचाने में सफल रहे. लोन को जमानत बचाने के लिए 16.34 प्रतिशत वोट की जरूरत थी और उन्हें 16.76 प्रतिशत वोट मिले.
नेशनल कॉन्फ्रेंस (एनसी) के नेता आगाह रूहुल्लाह मेहदी को सबसे अधिक 52.85 प्रतिशत वोट मिले, जबकि जम्मू लोकसभा सीट से तीसरी बार जीतने वाले भाजपा के जुगल किशोर को 52.80 प्रतिशत वोट मिले.
उधमपुर में लगातार तीसरी बार जीतने वाले भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) नेता और केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह को 51.28 प्रतिशत वोट मिले, जबकि अनंतनाग-राजोरी सीट से पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती को हराने वाले नेशनल कॉन्फ्रेंस के मियां अल्ताफ अहमद को 50.85 प्रतिशत वोट मिले.
गुलाम नबी आजाद की डेमोक्रेटिक प्रोग्रेसिव आजाद पार्टी (डीपीएपी) को चुनाव में करारी हार का सामना करना पड़ा. उनके तीनों उम्मीदवारों की जमानत जब्त हो गई. उनकी पार्टी का कोई भी उम्मीदवार चार प्रतिशत वोट भी हासिल नहीं कर पाया.
उधमपुर लोकसभा सीट से चुनावी मैदान में उतरे गुलाम मोहम्मद सरूरी को 3.56 प्रतिशत वोट मिले, जबकि अनंतनाग-राजोरी में मोहम्मद सलीम पर्रे को 2.49 प्रतिशत और श्रीनगर में आमिर भट को 2.24 प्रतिशत वोट मिले. इन पांच निर्वाचन क्षेत्रों में सात महिलाएं मैदान में थीं और केवल पीडीपी अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती ही अपनी जमानत बचाने में सफल रहीं.
गौरतलब है कि जम्मू कश्मीर की 5 लोकसभा सीटों पर 35 साल बाद रिकॉर्ड 58 फीसदी से अधिक वोटिंग का दावा किया गया. भाजपा ने जम्मू कश्मीर की पांच में से सिर्फ 2 लोकसभा सीटों- उधमपुर और जम्मू पर अपने उम्मीदवार उतारे थे, जिसे जीतने में वो सफल रही.