नई दिल्ली: बेंगलुरु की एक विशेष अदालत ने भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की कर्नाटक इकाई द्वारा दायर एक मानहानि मामले में कांग्रेस नेता राहुल गांधी को शुक्रवार (7 जून) को जमानत दे दी.
रिपोर्ट के मुताबिक, कर्नाटक भाजपा ने राहुल गांधी, कर्नाटक के मौजूदा मुख्यमंत्री सिद्धारमैया और उपमुख्यमंत्री डीके शिवकुमार सहित कई कांग्रेस नेताओं के खिलाफ मानहानि का मामला दायर किया था.
मालूम हो कि ये मानहानि का मामला 2023 के विधानसभा चुनावों से पहले स्थानीय अखबारों में प्रकाशित भाजपा को भ्रष्ट बताने वाले विज्ञापनों से संबंधित था.
भाजपा ने अपनी शिकायत में कहा था कि कांग्रेस ने पार्टी को बदनाम करने के उद्देश्य से समाचार पत्रों में विज्ञापन दिए. इन विज्ञापनों में भाजपा पर भ्रष्टाचार में लिप्त होने का आरोप लगाते हुए कहा गया था कि इसके नेताओं ने सीएम पद पर नियुक्ति के लिए 2,500 करोड़ रुपये और मंत्री पद के लिए 500 करोड़ रुपये की कीमत तय की थी.
ज्ञात हो कि इससे पहले इसी केस में कर्नाटक के कांग्रेस प्रमुख डीके शिवकुमार और मुख्यमंत्री सिद्दारमैया को 1 जून को जमानत मिल चुकी है.
लाइव लॉ की रिपोर्ट के अनुसार, राहुल गांधी अदालत के 1 जून के आदेशानुसार संबंधित मजिस्ट्रेट के सामने भी पेश हुए.
गौरतलब है कि पिछले साल कर्नाटक में हुए विधानसभा चुनाव के दौरान भ्रष्टाचार सबसे महत्वपूर्ण चुनावी मुद्दों में से एक था. कांग्रेस ने बार-बार इस बात पर ज़ोर दिया था कि राज्य में पूर्ववर्ती भाजपा सरकार में विभिन्न कार्य कराने के लिए कमीशन तय किए गए थे. इस चुनाव में कांग्रेस ने भारी बहुमत से जीत दर्ज की थी और वो सत्ता में वापसी करने में सफल रही थी.
इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक, पिछले साल मई में प्रकाशित इन विज्ञापनों में यह आरोप लगाया गया था कि तत्कालीन भाजपा सरकार द्वारा कोविड-किट टेंडर सौदों में 75 प्रतिशत, पीडब्ल्यूडी टेंडर पर 40 प्रतिशत और धार्मिक संगठनों को अनुदान के लिए 30 प्रतिशत कमीशन तय किया गया था.
उल्लेखनीय है कि इससे पहले कांग्रेस नेता राहुल गांधी के ख़िलाफ़ भाजपा विधायक और गुजरात के पूर्व मंत्री पूर्णेश मोदी द्वारा 13 अप्रैल, 2019 को केस दर्ज कराया गया था. उन्होंने कर्नाटक के कोलार में लोकसभा चुनाव के समय एक रैली में राहुल द्वारा मोदी उपनाम वालों के संबंध में की गई टिप्पणी को लेकर शिकायत की थी.
इस मामले 23 मार्च 2023 को गुजरात की एक स्थानीय अदालत ने राहुल गांधी को दोषी ठहराते हुए उन्हें दो साल की सजा सुनाई थी, जिसके बाद लोकसभा सचिवालय ने 24 मार्च को राहुल गांधी को अयोग्य घोषित कर दिया था. हालांकि, बाद में राहुल गांधी को सुप्रीम कोर्ट से राहत मिल गई थी और सर्वोच्च अदालत ने उनकी सज़ा पर रोक लगा दी थी.