नई दिल्ली: भाजपा ने दिल्ली की सभी सात लोकसभा सीटों पर जीत हासिल की है. लेकिन 2019 की तुलना में इस बार प्रत्येक लोकसभा क्षेत्र में विपक्ष पर भाजपा की बढ़त कम हो गई.
भाजपा उम्मीदवारों ने दिल्ली के ग्रामीण इलाकों, अनधिकृत कॉलोनियों और अल्पसंख्यकों की प्रधानता वाले निर्वाचन क्षेत्रों में काफी वोट खो दिया है. भाजपा के वोट शेयर में 2.3 प्रतिशत की गिरावट आई है. 2019 में भाजपा का वोट शेयर 56.7 प्रतिशत था, 2024 में यह घटकर 54.4 प्रतिशत हो गया है.
2019 में भाजपा उम्मीदवारों ने दिल्ली की 70 विधानसभा क्षेत्रों में से 65 में कांग्रेस और आम आदमी पार्टी (आप) पर बढ़त हासिल की थी. पांच साल में पार्टी ने काफी जमीन खो दी और केवल 52 विधानसभा क्षेत्रों में ही बढ़त हासिल कर सकी है.
ओखला में भाजपा को सबसे ज्यादा नुकसान
भाजपा का वोट सबसे अधिक ओखला विधानसभा क्षेत्र में कम हुआ है.
टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक, ओखला में भाजपा को 68,130 वोटों का नुकसान हुआ है. यह दर्शाता है कि मुसलमानों ने इस बार ओखला में भाजपा के खिलाफ एकमुश्त वोट दिया है.
ज्ञात हो कि यह इलाका सीएए (नागरिकता संशोधन विधेयक) विरोधी आंदोलन का केंद्र था.
ओखला विधानसभा क्षेत्र पूर्वी दिल्ली लोकसभा क्षेत्र के अंतर्गत आता है. इस लोकसभा क्षेत्र में भाजपा के हर्ष मल्होत्रा और आप के कुलदीप कुमार (मोनू) के बीच मुकाबला था. मल्होत्रा को कुल 6,64,819 वोट मिले हैं, उन्होंने आप नेता को 93,663 मतों से हरा दिया है.
2019 में भाजपा को इस सीट पर 55.35 प्रतिशत वोट मिले थे. 2024 में 52.59 प्रतिशत वोट मिले हैं.
अनधिकृत कॉलोनी वाले इलाकों में भाजपा के वोट हुए कम
बड़ी संख्या में अनधिकृत कॉलोनियों और गांवों वाले बदरपुर विधानसभा क्षेत्र ने 2019 के लोकसभा चुनावों में भाजपा को 85,799 वोटों की बढ़त दिलाई थी. इस बार बदरपुर से भाजपा को मात्र 25,181 वोट ही मिले.
बदरपुर विधानसभा क्षेत्र दक्षिणी दिल्ली लोकसभा क्षेत्र के अंतर्गत आता है. इस लोकसभा क्षेत्र से भाजपा ने विवादित बयानों के लिए कुख्यात रमेश बिधूड़ी का टिकट काटकर दिल्ली विधानसभा में विपक्ष के नेता रामवीर सिंह बिधूड़ी को मैदान में उतारा था.
बिधूड़ी के सामने आप ने सहीराम पहलवान को टिकट दिया था. रामवीर सिंह बिधूड़ी को कुल 6,92,832 वोट मिले हैं. सहीराम पहलवान की 1,24,333 मतों से हार हुई है.
दक्षिणी दिल्ली में भाजपा को कुल 53.46 प्रतिशत वोट मिले हैं. पिछली बार यह आंकड़ा 56.58 प्रतिशत था.
कई अनधिकृत कॉलोनियों वाले एक अन्य विधानसभा क्षेत्र विकासपुरी में भी भाजपा के वोट कम हुए हैं. 2019 के लोकसभा चुनाव में विकासपुरी विधानसभा क्षेत्र से भाजपा को 83,165 वोट मिले थे, इस बार 27,511 वोट मिले हैं. भाजपा को करीब 56,000 वोटों का नुकसान हुआ है.
विकासपुरी विधानसभा क्षेत्र पश्चिमी दिल्ली लोकसभा क्षेत्र के अंतर्गत आता है. इस लोकसभा क्षेत्र से भाजपा ने कमलजीत सेहरावत और आप ने महाबल मिश्रा को मैदान में उतारा था. कमलजीत सेहरावत 8,42,658 वोट लाकर 1,99,013 मतों से जीत गई हैं.
पश्चिमी दिल्ली लोकसभा क्षेत्र में भाजपा को 55.27 प्रतिशत वोट मिले हैं, पिछले आम चुनाव में 60.05 प्रतिशत वोट मिले थे.
दिल्ली के ग्रामीण क्षेत्रों में भी भाजपा को नुकसान
मटियाला और पालम जैसे बड़ी ग्रामीण आबादी वाले विधानसभा क्षेत्रों में भाजपा को करीब एक लाख वोटों का नुकसान हुआ है. पिछले आम चुनाव की तुलना में मटियाला में भाजपा को 55,101 वोट कम मिले हैं. वहीं पालम में 48,240 वोट कम मिले हैं.
ध्यान रहे 2019 में दिल्ली के भीतर भाजपा, आप और कांग्रेस के बीच त्रिकोणीय मुकाबला था. लेकिन इस बार चुनाव से पहले ही आप और कांग्रेस ने सीटों का बंटवारा कर लिया था. भाजपा विरोधी वोटों के विभाजन को रोकने के लिए आप ने चार और कांग्रेस ने तीन निर्वाचन क्षेत्रों में अपने उम्मीदवार उतारे थे.
हालांकि, एक भी सीट न जीतकर विपक्षी गठबंधन भाजपा को कड़ी चुनौती देने में विफल रहा लेकिन जीत के अंतर को कम करने में कामयाब रहा.
जिन विधानसभा क्षेत्रों में भाजपा ने आप-कांग्रेस गठबंधन के सामने अपनी बढ़त खो दी, उनमें नई दिल्ली, दिल्ली कैंट, आरके पुरम, सीमापुरी, बाबरपुर, अंबेडकर नगर, संगम विहार, तुगलकाबाद, सुल्तानपुर माजरा, जंगपुरा, तिलक नगर और राजौरी गार्डन शामिल हैं.
ग्रामीण भारत ने भाजपा को दिया झटका
महंगाई, बेरोजगारी और कम मजदूरी की समस्या से जूझ रहे ग्रामीण भारत ने भाजपा को झटका दिया है.
द मिंट की एक रिपोर्ट के मुताबिक, पिछले आम चुनाव में भाजपा 235 ग्रामीण लोकसभा क्षेत्र जीतने में सफल रही थी. इस बार यह आंकड़ा 193 है. चुनाव के बहुत पहले से ग्रामीण क्षेत्र के लोग संकट का सामना कर रहे थे लेकिन विकास के चमकदार आंकड़ों के पीछे उन्हें अनदेखा किया गया.
कितने प्रतिशत ग्रामीण आबादी वाले क्षेत्र में भाजपा कितनी सीटें जीती है:
लोकसभा चुनाव | 30 से 40 प्रतिशत ग्रामीण आबादी वाले लोकसभा क्षेत्र | 40 से 50 प्रतिशत ग्रामीण आबादी वाले लोकसभा क्षेत्र | 50 प्रतिशत ज्यादा ग्रामीण आबादी वाले लोकसभा क्षेत्र |
2024 | 4 | 72 | 117 |
2019 | 7 | 67 | 179 |
ग्रामीण भारत से मिले झटके ने ही भाजपा की सीटों की संख्या घटा दी है, ज्यादातर सीटों पर वोट शेयर में गिरावट देखी गई और जीत का अंतर भी कम हो गया है.
पिछले दो चुनावों में प्रचंड जीत दर्ज करने वाली भाजपा इस बार क्षेत्रीय दलों के सहारे सरकार बनाने को तैयार है. ग्रामीण भारत से मिला झटका भाजपा को आर्थिक मुद्दों के समाधान के लिए अपनी आर्थिक रणनीति पर पुनर्विचार करने के लिए मजबूर कर सकता है.