टीडीपी-जदयू अपने घोषणापत्र के मुताबिक भाजपा के विभाजनकारी एजेंडे का विरोध करें: जमात

राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन के घटक दल तेलुगु देशम पार्टी के नेता और एन. चंद्रबाबू नायडू के बेटे एन. लोकेश नायडू ने कहा है कि परिसीमन और समान नागरिक संहिता जैसे विवादास्पद मुद्दों पर निर्णय एकतरफा न लिए जाएं. साथ ही, उन्होंने आश्वासन दिया है कि किसी भी समुदाय का आरक्षण नहीं छीना जाएगा.

प्रधानमंत्री आवास पर 5 जून को हुई बैठक में नरेंद्र मोदी, चंद्रबाबू नायडू और नीतीश कुमार. (फोटो साभार: भाजपा)

नई दिल्ली: सामाजिक-धार्मिक संगठन जमात-ए-इस्लामी हिंद ने शनिवार (8 जून) को लोकसभा चुनाव के परिणामों को घृणा और विभाजनकारी राजनीति के खिलाफ जनादेश बताया. जमात ने सभी राजनीतिक दलों को जनादेश के संदेश को समझने और आत्मनिरीक्षण करने की सलाह दी है. जदयू (जनता दल यूनाइटेड) और टीडीपी (तेलुगु देशम पार्टी) समेत भाजपा के सभी सहयोगियों से जमात ने आग्रह किया है कि वे भाजपा के ‘विभाजनकारी एजेंडे’ और देश के किसी भी वर्ग के साथ अन्याय का विरोध करें.

वहीं, नई सरकार के शपथ ग्रहण से एक दिन पहले टीडीपी नेता और एन. चंद्रबाबू नायडू के बेटे एन. लोकेश नायडू ने परिसीमन और समान नागरिक संहिता जैसे विवादास्पद मुद्दों पर निर्णय एकतरफा न लिए जाएं. साथ ही, उन्होंने आश्वासन दिया है कि किसी भी समुदाय का आरक्षण नहीं छीना जाएगा.

इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक, पत्रकारों से बात करते हुए जमात-ए-इस्लामी हिंद के प्रमुख सैयद सदातुल्लाह हुसैनी ने कहा, ‘नई सरकार अकेले भाजपा की नहीं, बल्कि एनडीए (राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन) की है. टीडीपी और जदयू ने अपने घोषणापत्र में समावेशी नीतियों, सभी के लिए न्याय और विभाजनकारी एजेंडे का विरोध करने की बात कही है… उन्हें भाजपा के विभाजनकारी एजेंडे का विरोध करना चाहिए.’

उत्तर प्रदेश के चुनाव परिणामों का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा, ‘भाजपा की हार सांप्रदायिक नफरत भरे भाषणों, बुलडोजर की राजनीति और विभाजनकारी राजनीति के खिलाफ संदेश है. फैजाबाद (जिसका अयोध्या भी एक हिस्सा है) के नतीजों से पता चलता है कि लोगों ने भाजपा की मंदिर-मस्जिद की राजनीति को खारिज कर दिया है.’

हुसैनी ने आगे कहा, ‘महाराष्ट्र में लोगों ने जोड़-तोड़ की सियासत, विपक्षी दलों को तोड़ने और ईडी के दुरुपयोग के खिलाफ कड़ा संदेश दिया है. सत्तारूढ़ पार्टी को सरकार बनाने का एक और मौका मिला है, लेकिन कड़ी चेतावनी के साथ. प्रधानमंत्री, उनकी कैबिनेट और सत्ताधारी पार्टी को यह समझना चाहिए और आत्मनिरीक्षण करना चाहिए.’ जमात-ए-इस्लामी हिंद के उपाध्यक्ष मोहम्मद सलीम इंजीनियर ने कहा कि नई लोकसभा में मुसलमानों का प्रतिनिधित्व केवल 4.4% है, जिसे बेहतर किया जाना चाहिए.

चंद्रबाबू नायडू के बेटे ने कहा- टीडीपी हमेशा धर्मनिरपेक्ष रहेगी

टीडीपी नेता और एन. चंद्रबाबू नायडू के बेटे एन. लोकेश नायडू ने इंडियन एक्सप्रेस के साथ बातचीत में कहा है, ‘पार्टी यह सुनिश्चित करेगी कि परिसीमन और समान नागरिक संहिता जैसे विवादास्पद मुद्दों पर निर्णय एकतरफा न लिए जाएं, न ही किसी समुदाय का आरक्षण छीना जाएगा.’ लोकेश ने अपने राज्य में चार प्रतिशत मुस्लिम आरक्षण के बारे में बोलते हुए कहा कि समुदाय को चिंता करने की कोई बात नहीं है.

उन्होंने कहा, ‘टीडीपी हमेशा से धर्मनिरपेक्ष पार्टी रही है और रहेगी. हम किसी का कोटा नहीं छीनेंगे. किसी को इस बारे में चिंता करने की जरूरत नहीं है. भाजपा का यह रुख है कि वह धर्म आधारित कोटा तभी हटाएगी जब वह अपने दम पर सत्ता में आएगी, न कि तब जब गठबंधन सरकार में होगी. मैं यह आश्वासन देना चाहता हूं कि टीडीपी किसी भी समुदाय का कोटा नहीं हटाएगी. चंद्रबाबू नायडू ने हमेशा यह माना है कि सामाजिक और आर्थिक रूप से पिछड़े समुदायों को, चाहे वे किसी भी धर्म या जाति के हों, गरीबी से निपटने के लिए लाभ मिलना चाहिए और यह जारी रहेगा.’

गौरतलब है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने स्वयं अपने चुनावी भाषणों में मुस्लिम आरक्षण खत्म किए जाने की बात कही थी. यह भी मालूम हो कि तेलंगाना में मुस्लिम समुदाय को आरक्षण प्राप्त है.

भाजपा द्वारा 2026 तक परिसीमन के प्रस्तावित मुद्दे पर लोकेश ने कहा कि तेदेपा यह सुनिश्चित करेगी कि निर्णय अलग-अलग न लिए जाएं और न केवल आंध्र प्रदेश बल्कि अन्य राज्यों के हितों और प्रतिनिधित्व को भी ध्यान में रखा जाए. उन्होंने कहा, ‘परिसीमन, समान नागरिक संहिता आदि जैसे मुद्दों पर विस्तार से चर्चा की जाएगी और सौहार्दपूर्ण तरीके से हल किया जाएगा. हम इन सभी मुद्दों पर आम सहमति बनाने की कोशिश करेंगे. चर्चा करने के लिए बहुत कुछ है.’

बता दें कि टीडीपी 16 सांसदों के साथ एनडीए का दूसरी सबसे बड़ा घटक दल है.

जदयू क्या चाहती है?

नीतीश कुमार की जदयू 12 सांसदों के साथ एनडीए की तीसरी सबसे बड़ी घटक दल है. खबरों के मुताबिक, जदयू अग्निवीर योजना पर पुनर्विचार, देशव्यापी जाति जनगणना, बिहार को विशेष राज्य का दर्जा और समान नागरिक संहिता (यूसीसी) पर व्यापक चर्चा चाहती है. हालांकि, जदयू नेता केसी त्यागी ने स्पष्ट किया है कि कोई पूर्व शर्त नहीं है, पार्टी ने बिना शर्त समर्थन दिया है.

एनडीए में किसके पास कितने सांसद, देखें:

पार्टी पार्टी प्रमुख सीट
भारतीय जनता पार्टी जेपी नड्डा 240
ऑल झारखंड स्टूडेंट यूनियन सुदेश महतो 1
अपना दल (सोनेलाल) अनुप्रिया पटेल 1
असम गण परिषद अतुल बोरा 1
हिल स्टेट पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी के पी पंगनियांग 0
जनता दल (एस) एचडी देवगौड़ा 2
जनता दल (यू) नीतीश कुमार 12
लोक जनशक्ति पार्टी (राम विलास) चिराग पासवान 5
नेशनलिस्ट कांग्रेस पार्टी अजित पवार 1
शिव सेना एकनाथ शिंदे 7
सिक्किम क्रांतिकारी मोर्चा प्रेम सिंह तमांग 1
तेलगू देशम पार्टी एन. चंद्रबाबू नायडू 16
यूनाइटेड पीपुल्स पार्टी लिबरल प्रमोद बोरो 1
हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा जीतनराम मांझी 1
जन सेना पार्टी पवन कल्याण 1
राष्ट्रीय लोक दल जयंत सिंह 2