नई दिल्ली: लोकसभा चुनाव 2024 में चंडीगढ़ से भाजपा उम्मीदवार संजय टंडन ‘इंडिया’ गठबंधन के मनीष तिवारी से हार गए हैं. तिवारी की जीत का मतलब है कि भाजपा ने चंडीगढ़ नगर निगम पर अपनी पकड़ भी खो दी है.
इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक, लोकसभा चुनाव से पहले 36 सदस्यों वाले नगर निगम में सांसद किरण खेर के अलावा भाजपा के 14, आम आदमी पार्टी (आप) के 13, कांग्रेस के 7 और शिरोमणि अकाली दल से एक पार्षद थे. इसका मतलब था कि भाजपा के 16 वोट पक्के थे- 14 उसके पार्षदों के, एक उसके सांसद का और एक तत्कालीन अकाली दल पार्षद हरदीप सिंह का, क्योंकि तब दोनों दल सहयोगी थे.
लेकिन अब, तिवारी के पदेन सदस्य (जो पहले किरण खेर हुआ करती थीं) के तौर पर आने से आप और कांग्रेस के कुल वोट भाजपा से अधिक हो गए हैं. हरदीप सिंह के पाला बदलकर आप में शामिल होने के बाद अब नगर निगम में पार्टी के पार्षदों की संख्या 14 हो गई है. कांग्रेस के सात पार्षद और तिवारी के सांसद बनने की वजह से आप-कांग्रेस गठबंधन के पास अब 36 में से 22 वोट हो गए हैं. इसका मतलब है यह हुआ कि नगर निगम में अब कोई भी महत्वपूर्ण फैसला आप-कांग्रेस गठबंधन के बिना नहीं लिया जा सकेगा.
पहले क्या होती थी परेशानी?
पहले बजट मीटिंग में आप-कांग्रेस गठबंधन को अक्सर मुफ्त पानी या पार्किंग से संबंधित एजेंडा पारित करने के लिए संघर्ष करना पड़ता था. अब वह महापौर (आप के कुलदीप कुमार) और तिवारी के समर्थन पर भरोसा कर सकता है. वरिष्ठ उप महापौर और उप महापौर भाजपा के हैं, लेकिन वह कोई एजेंडा शामिल नहीं कर सकते हैं.
भाजपा की ऐसी योजना थी कि लोकसभा चुनाव के बाद कांग्रेस-आप गठबंधन टूट जाएगा और वह महापौर के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव ले आएगी, लेकिन उसकी यह योजना अब विफल हो गई है. भाजपा को जनवरी में होने वाले महापौर चुनाव में भी मुश्किलों का सामना करना पड़ सकता है.
11 जून को नगर निगम की बैठक
करीब दो महीने के बाद चंडीगढ़ नगर निगम की एक अहम बैठक 11 जून को होने वाली है. बैठक में नव निर्वाचित सांसद मनीष तिवारी भी शामिल होंगे. बैठक के लिए एजेंडा पार्षदों को भेजा जा चुका है. दैनिक भास्कर ने सूत्रों के हवाले से लिखा है कि बैठक में चंडीगढ़ के लोगों को 20,000 लीटर हर महीने मुफ्त पानी देना और बिजली को लेकर प्रस्ताव लाया जा सकता है. मनीष तिवारी पहले भी चंडीगढ़ में महंगी बिजली के खिलाफ सोशल मीडिया पर लिख चुके हैं.