ओडिशा: बीजू जनता दल चुनाव हारने के बाद वीके पांडियन ने राजनीति छोड़ने का ऐलान किया

हाल ही में हुए ओडिशा विधानसभा चुनावों में बीजू जनता दल की हार के बाद आलोचना का सामना कर रहे पूर्व नौकरशाह और नवीन पटनायक के करीबी वीके पांडियन ने विधानसभा और लोकसभा चुनावों में पार्टी की हार के लिए माफ़ी मांगते हुए कहा कि वे राजनीति छोड़ रहे हैं.

वी.के. पांडियन. (फोटो साभार: वीडियो स्क्रीनग्रैब)

नई दिल्ली: हाल ही में हुए चुनावों में क्षेत्रीय पार्टी की हार के बाद बीजू जनता दल (बीजद) के भीतर से भी आलोचना का सामना कर रहे पूर्व नौकरशाह और नवीन पटनायक के करीबी वीके पांडियन ने रविवार को घोषणा की कि वह राजनीति छोड़ रहे हैं.

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, तमिल मूल के होने के कारण भाजपा द्वारा निशाना बनाए जाने के बावजूद हाल ही में संपन्न हुए चुनावों में बीजद के अभियान का नेतृत्व करने वाले पूर्व आईएएस अधिकारी ने विधानसभा और लोकसभा चुनावों में पार्टी की हार के लिए भी माफी मांगी.

अपने इंस्टाग्राम पेज पर पोस्ट किए गए एक वीडियो संदेश में पांडियन ने कहा, ‘मेरा राजनीति में आने का एकमात्र मकसद सिर्फ और सिर्फ नवीन बाबू की मदद करना था. अब मैंने तय किया है कि मैं खुद को सक्रिय राजनीति से दूर कर रहा हूं. मुझे खेद है कि मेरे खिलाफ चलाए गए अभियान ने बीजू जनता दल की हार में भूमिका निभाई है. मैं इसके लिए सभी कर्मियों सहित पूरे बीजू परिवार से माफी मांगता हूं.’

बीजद की चुनावी हार के बाद यह उनकी पहली सार्वजनिक उपस्थिति है. ओडिशा विधानसभा की 147 सीटों में से भाजपा ने 78 सीटें जीतीं, जिससे बीजद की सीटें घटकर 51 रह गईं, जबकि 2019 में उसने 113 सीटें जीती थीं. बीजद एक भी लोकसभा सीट जीतने में विफल रही.

तमिलनाडु में जन्मे 2000 बैच के आईएएस अधिकारी, जिन्होंने 2011 से मुख्यमंत्री कार्यालय में नवीन पटनायक के निजी सचिव के रूप में काम किया था, ने पिछले साल अक्टूबर में सेवा से स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति ले ली थी. एक महीने बाद वह 27 नवंबर को बीजद में शामिल हो गए थे. उन्हें पटनायक के बाद पार्टी में दूसरा सबसे शक्तिशाली व्यक्ति माना जाता था, भले ही उनके पास कोई पद नहीं था. उन्होंने घोषणा की थी कि वह 2024 का चुनाव नहीं लड़ेंगे.

पांडियन का यह फैसला इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि उन्होंने 10 मई को एक चुनावी रैली में कहा था कि अगर नवीन पटनायक 9 जून को मुख्यमंत्री पद की शपथ नहीं लेते हैं तो वह राजनीति छोड़ देंगे. वह प्रधानमंत्री की उस टिप्पणी का जवाब दे रहे थे जिसमें उन्होंने 10 जून को ओडिशा में भाजपा की सरकार बनने की भविष्यवाणी की थी.

सक्रिय राजनीति से हटने का यह निर्णय ऐसे समय में आया है जब एक दिन पहले ही ओडिशा के निवर्तमान मुख्यमंत्री ने पूर्व नौकरशाह के खिलाफ आलोचना को ‘दुर्भाग्यपूर्ण’ बताया था और कहा था कि एक अधिकारी के रूप में उन्होंने शानदार काम किया.

पटनायक ने पांडियन का बचाव करते हुए कहा, ‘पिछले 10 वर्षों में पांडियन ने राज्य में दो चक्रवातों और कोविड-19 महामारी से निपटने में मदद की है… वह एक ईमानदार इंसान हैं और उन्हें इन सबके लिए याद किया जाना चाहिए.’

माना जा रहा था कि ओडिशा में पांडियन नवीन पटनायक के उत्तराधिकारी होंगे और भाजपा ने इस बात को चुनावी मुद्दा बनाया था. हालांकि, नवीन पटनायक पहले ही स्पष्ट कर चुके हैं कि पांडियन उनके राजनीतिक उत्तराधिकारी नहीं हैं.

अपने वीडियो में पांडियन ने यह भी कहा कि बीजद में शामिल होने का उनका फैसला ‘कठिन चुनाव’ से पहले अपने गुरु नवीन पटनायक की सहायता करना था. उन्होंने कहा कि उन्हें किसी विशेष पद या शक्ति की कोई इच्छा नहीं है.

पांडियन ने कहा, ‘मेरा एकमात्र उद्देश्य उनकी मदद करना था, जैसा कि कोई भी व्यक्ति अपने गुरु या परिवार की मदद करता है. मैं कुछ धारणाओं और कथनों को सही करना चाहता हूं. शायद यह मेरी कमी रही है कि मैं सही समय पर इनमें से कुछ राजनीतिक कथनों का प्रभावी ढंग से मुकाबला नहीं कर पाया.’