बंगाल: यौन शोषण के आरोपों पर भाजपा के अमित मालवीय ने पार्टी नेता के भाई को नोटिस भेजा

ख़ुद को आरएसएस कार्यकर्ता बताने वाले बंगाल के एक नेता शांतनु सिन्हा ने एक सोशल मीडिया पोस्ट में आरोप लगाया था कि भाजपा की आईटी सेल के प्रमुख और पश्चिम बंगाल के सह प्रभारी अमित मालवीय महिलाओं के यौन शोषण में 'संलिप्त' हैं. बताया गया है कि शांतनु भाजपा नेता राहुल सिन्हा के संबंधी हैं.

भाजपा आईटी सेल प्रमुख अमित मालवीय. (फोटो साभार: फेसबुक)

नई दिल्ली: हालिया संपन्न लोकसभा चुनाव में पश्चिम बंगाल में अपने खराब प्रदर्शन के बाद भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की राज्य इकाई में गुटबाजी खुलकर सामने आ गई है, जिसमें पार्टी के आईटी सेल के प्रमुख और राज्य के सह प्रभारी अमित मालवीय ने पार्टी के एक वरिष्ठ नेता के भाई को कानूनी नोटिस भेजकर माफी मांगने कहा है और 10 करोड़ रुपये का हर्जाना मांगा है.

द हिंदू की एक रिपोर्ट में बताया गया है कि शांतनु सिन्हा, जो खुद को राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) का कार्यकर्ता बताते हैं, ने सोशल मीडिया पर पोस्ट करके आरोप लगाया था कि मालवीय महिलाओं के यौन शोषण में ‘संलिप्त’ हैं.

बताया गया है कि शांतनु भाजपा नेता राहुल सिन्हा के संबंधी हैं.

शांतनु सिन्हा की पोस्ट को लेकर अमित मालवीय के वकील द्वारा जारी नोटिस में आरोप लगाया गया है, ‘आरोपों की प्रकृति बेहद आपत्तिजनक है क्योंकि इनमें मेरे मुवक्किल पर यौन दुराचार का झूठा आरोप लगाया गया है. यह मेरे मुवक्किल की गरिमा और प्रतिष्ठा के लिए घातक है, जो अपने पेशेवर तौर पर एक जाने-माने (पब्लिक फिगर) व्यक्ति हैं.’

इस घटना पर पश्चिम बंगाल ही नहीं बल्कि पूरे देश से तीखी प्रतिक्रिया सामने आई है. कांग्रेस प्रवक्ता सुप्रिया श्रीनेत ने 10 जून को एक संवाददाता सम्मेलन में भी इस मुद्दे को उठाया.

श्रीनेत ने कहा कि सिन्हा कोई साधारण व्यक्ति नहीं हैं, वे आरएसएस के कार्यकर्ता हैं, जिनके विचारों को गंभीरता से लिया जाना चाहिए. श्रीनेत ने मांग की कि मालवीय को बर्खास्त किया जाए और सिन्हा द्वारा उनके खिलाफ लगाए गए आरोपों की स्वतंत्र जांच कराई जाए.

श्रीनेत ने कहा, ‘भाजपा नेता राहुल सिन्हा के संबंधी आरएसएस सदस्य शांतनु सिन्हा ने कहा है कि भाजपा आईटी सेल के प्रमुख अमित मालवीय घृणित गतिविधियों में संलिप्त हैं, वे न केवल पांच सितारा होटलों में बल्कि पश्चिम बंगाल में भाजपा कार्यालयों में भी महिलाओं के यौन शोषण में संलिप्त हैं.’

हालांकि, पश्चिम बंगाल का भाजपा नेतृत्व मालवीय के बचाव में उतर आया है.

पश्चिम बंगाल भाजपा प्रवक्ता शमिक भट्टाचार्य ने कहा, ‘अमित मालवीय की व्यक्तिगत, राजनीतिक और सामाजिक ईमानदारी सवालों से परे है.’

राज्यसभा सदस्य भट्टाचार्य ने कहा कि लोगों को मालवीय की कार्यशैली से मतभेद हो सकते हैं, लेकिन उनकी व्यक्तिगत निष्ठा पर सवाल उठाना गलत है.

तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) नेतृत्व ने भी भाजपा की पश्चिम बंगाल इकाई के भीतर गुटबाजी को उजागर करने का मौका नहीं गंवाया. टीएमसी प्रवक्ता कुणाल घोष ने कहा, ‘भाजपा में बहुत सारे गुट हैं- पुराना गुट बनाम नया गुट, दिलीप गुट बनाम सुवेंदु गुट.’

उधर, शांतनु सिन्हा ने पीटीआई से कहा, ‘मेरी फेसबुक पोस्ट किसी के खिलाफ नहीं थी. मैं राज्य के उन भाजपा नेताओं से सवाल करना चाहता था जो अपने दिल्ली के आकाओं को खुश करने के लिए संदिग्ध तरीकों का इस्तेमाल करते हैं ताकि वे यहां अपने पदों पर बने रह सकें. मेरी पोस्ट को गलत तरीके से पेश किया गया है.’

उन्होंने आगे कहा, ‘मैंने जो कुछ भी कहा है, उस पर कायम हूं. मैंने न तो अपना पोस्ट हटाई है और न ही किसी धमकी के आगे झुकने वाला हूं. मैंने कानूनी नोटिस का जवाब देने के लिए समय मांगा है. इस बीच अगर वे कोई दीवानी या आपराधिक कार्यवाही शुरू करते हैं, तो मैं उसके मुताबिक जवाब दूंगा.’

यह पहली बार नहीं है जब राज्य में वरिष्ठ भाजपा नेताओं पर इस तरह के आरोप लगे हैं. पश्चिम बंगाल में 2021 के विधानसभा चुनाव में भाजपा की हार के बाद वरिष्ठ भाजपा नेता और मेघालय के पूर्व राज्यपाल तथागत रॉय ने भाजपा नेतृत्व पर ‘कामिनी-कंचन (स्त्री और धन)’ की खातिर चुनाव में पार्टी की संभावनाओं को नुकसान पहुंचाने का आरोप लगाया था.

पश्चिम बंगाल की 42 लोकसभा सीटों में से भाजपा महज 12 जीत सकी है, जबकि टीएमसी को 29 सीटें मिलीं.

केवल मालवीय-सिन्हा विवाद से ही बंगाल भाजपा के भीतरी मतभेद उजागर नहीं हुए हैं, बल्कि बंगाल भाजपा के पूर्व अध्यक्ष दिलीप घोष, जो बर्धमान-दुर्गापुर से टीएमसी के कीर्ति आजाद से हारे हैं, अपनी हार के लिए लगातार अपने लोकसभा क्षेत्र को बदले जाने के फैसले को जिम्मेदार ठहरा रहे हैं.

इसी बीच, भाजपा के बिष्णुपुर लोकसभा सांसद सौमित्र खान ने सोमवार को केंद्रीय मंत्रिपरिषद में जगह नहीं मिलने पर अपनी नाराजगी जाहिर की है.

खान ने प्रदेश भाजपा अध्यक्ष सुकांत मजूमदार पर निशाना साधते हुए कहा कि मजूमदार को सांसद के रूप में उनके पहले कार्यकाल में ही प्रदेश भाजपा अध्यक्ष बना दिया गया था और दो कार्यकाल जीतने के बाद उन्हें राज्य मंत्री बना दिया गया, जबकि वे (स्वयं सौमित्र खान) राजनीति में बंगाल भाजपा अध्यक्ष से काफी वरिष्ठ हैं.’