नई दिल्ली: भारतीय जनता पार्टी के नेतृत्व वाले राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) के पुराने सहयोगियों में से एक ऑल झारखंड स्टूडेंट्स यूनियन (आजसू) ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नए मंत्रिमंडल में जगह न मिलने पर नाराज़गी जताई है.
द टेलीग्राफ के मुताबिक, आजसू के एकमात्र सांसद चंद्र प्रकाश चौधरी, जिन्हें 2024 लोकसभा चुनाव में गिरिडीह से दोबारा जीत मिली है, उन्हें मोदी कैबिनेट में जगह नहीं दी गई. चं
द्र प्रकाश चौधरी ने मंत्रिमंडल में खुद को नज़रअंदाज किए जाने पर निराशा व्यक्त करते हुए संकेत दिया कि इसका असर इस साल के अंत में होने वाले झारखंड विधानसभा चुनाव में देखने को मिल सकता है.
चंद्र प्रकाश चौधरी ने द टेलीग्राफ से बात करते हुए कहा, ‘मुझे इस पर कुछ नहीं कहना है. मोदी कैबिनेट में चुनाव हारने वाले उम्मीदवारों तक को शामिल किया गया है और एनडीए के सबसे पुराने सहयोगियों में से एक आजसू को एक भी जगह नहीं दी गई है. मुझे लगता है कि इसका असर झारखंड में विधानसभा चुनाव के दौरान देखने को मिल सकता है.’
मालूम हो कि गिरिडीह से दूसरी बार सांसद चुने गए चंद्रप्रकाश चौधरी झारखंड में कुर्मी समुदाय के बीच एक लोकप्रिय नेता हैं. उनकी पत्नी सुनीता चौधरी रामगढ़ से विधायक हैं. उन्हें कांग्रेस विधायक ममता देवी के अयोग्य घोषित किए जाने के बाद 2023 में चुना गया था. ममता देवी को पुलिस फायरिंग मामले में हज़ारीबाग जिला अदालत द्वारा दोषी ठहराया गया था और पांच साल की सजा सुनाई गई थी.
चंद्र प्रकाश चौधरी ने राज्य में एनडीए की स्थिति की ओर इशारा करते हुए कहा कि झारखंड में लोकसभा नतीजों के करीबी विश्लेषण से पता चलता है कि आदिवासियों और अल्पसंख्यकों ने एनडीए को छोड़ दिया है और अगर कुर्मी, जो एनडीए के पारंपरिक मतदाता रहे हैं, वो भी ऐसा करते हैं तो परिणाम को समझा जा सकता है.
ध्यान रहे कि झारखंड में भाजपा इस बार सभी पांच अनुसुचित जाति की आरक्षित सीटें -दुमका, राजमहल, सिंहभूम, लोहरदगा और खूंटी हार गई है.
कुर्मी मतदाता रांची, पूर्वी सिंहभूम (जमशेदपुर लोकसभा क्षेत्र), धनबाद, गिरिडीह, हज़ारीबाग और बोकारो जिलों के अंतर्गत आने वाले विधानसभा क्षेत्रों में चुनाव के नतीजों को प्रभावित करते हैं.
नवगठित मंत्रिमंडल में में झारखंड के दो चेहरों को जगह मिली है, जिनमें कोडरमा सांसद अन्नपूर्णा देवी को महिला एवं बाल विकास मंत्रालय जबकि रांची सांसद संजय सेठ को रक्षा राज्यमंत्री का जिम्मा सौंपा गया है.
चौधरी ने कहा, ‘एनडीए के घटक दलों की बैठक में सभी को उचित प्रतिनिधित्व देने की बात कही गई थी, लेकिन मंत्रिमंडल में आजसू पार्टी को दरकिनार कर दिया गया. मुझे लगातार अपने शुभ चिंतकों के फोन आ रहे हैं. वह मुझसे जानना चाह रहे हैं कि आखिर पार्टी को ऐसे नज़रअंदाज़ किया गया.’
हालांकि, इस मामले में आजसू सुप्रीमो सुदेश महतो की तरफ से कोई बयान सामने नहीं आया है. लेकिन आजसू के केंद्रीय प्रवक्ता देव शरण भगत ने कहा कि नरेंद्र मोदी टीम के कप्तान हैं और हर कप्तान को अपनी टीम चुनने का अधिकार है. लेकिन उन्हें ये याद रखना चाहिए कि झारखंड में इस साल के अंत में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं.
गौरतलब है कि 2019 में रघुबर दास की अगुवाई में भाजपा जब विधानसभा चुनाव अकेले लड़ी थी, तो कुल 81 सीटों में से भाजपा के खाते में महज 25 सीटें आई थी. ऐसे में मोदी कैबिनेट में आजसू की अनदेखी का असर राज्य के विधानसभा चुनावों पर पड़ सकता है.
उल्लेखनीय है कि नरेंद्र मोदी मंत्रिमंडल के गठन के बाद एनडीए के की अन्य घटक दलों के नाराज़ होने की खबर भी सामने आई है. एनसीपी अजित गुट ने भी मंत्री पद नहीं मिलने के बाद अपनी नाराजगी जाहिर की थी.
पार्टी नेता प्रफुल्ल पटेल ने कहा था, ‘शपथ ग्रहण से पहले हमें बताया गया था कि हमारी पार्टी को स्वतंत्र प्रभार वाला एक राज्य मंत्री मिलेगा. मैं पहले केंद्र सरकार में कैबिनेट मंत्री था, इसलिए यह मेरे लिए एक डिमोशन होता. हमने भाजपा नेतृत्व को सूचित कर दिया है और उन्होंने हमें कहा है कि बस कुछ दिन इंतजार करें, वे सुधारात्मक उपाय करेंगे.’
एकनाथ शिंदे गुट की शिवसेना भी मोदी मंत्रिमंडल में जगह नहीं मिलने पर नाराज़ नज़र आई. पार्टी के चीफ ह्विप श्रीरंग बारणे ने कहा कि एक तरफ जहां, चिराग पासवान, जीतन राम मांझी और एचडी कुमारस्वामी की पार्टी को कम सीट मिलने के बाद भी कैबिनेट मंत्री बनाया गया है. वहीं, उनकी पार्टी के सात सांसद होने के बावजूद सिफ्र स्वतंत्र प्रभार के साथ राज्य मंत्री का ही पद दिया गया.
बारणे ने कहा कि वे कैबिनेट में जगह की उम्मीद कर रहे थे. चिराग पासवान के पांच सांसद हैं, मांझी के एक सांसद हैं, जेडीएस के दो सांसद हैं, फिर भी उन्हें एक कैबिनेट मंत्रालय मिला है, फिर सात लोकसभा सीटें मिलने के बावजूद शिवसेना को सिर्फ एक राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) क्यों मिला.