शिवराज के कृषि मंत्री बनने का विरोध, एसकेएम ने कहा- वो मंदसौर में किसानों की हत्या के ज़िम्मेदार

मध्य प्रदेश के मंदसौर में 6 जून 2017 को किसान आंदोलन के दौरान पुलिस की फायरिंग में छह किसानों की मौत हो गई थी. संयुक्त किसान मोर्चा ने इसके लिए राज्य के तत्कालीन मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को जिम्मेदार ठहराया है और उन्हें केंद्रीय कृषि और किसान कल्याण मंत्रालय आवंटित करने के एनडीए सरकार के फैसले का विरोध जताया है.

शिवराज सिंह चौहान. (फोटो साभार: फेसबुक)

नई दिल्ली: संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) ने बुधवार को मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को केंद्रीय कृषि और किसान कल्याण मंत्री नामित किए जाने पर आपत्ति जताई और आरोप लगाया कि चौहान जून 2017 में मध्य प्रदेश के मंदसौर में पुलिस गोलीबारी में छह प्रदर्शनकारी किसानों की मौत के लिए जिम्मेदार थे.

द हिंदू के मुताबिक, एसकेएम के बयान में कहा गया है, ‘एसकेएम 6 जून 2017 को मंदसौर के छह किसानों की हत्या के लिए जिम्मेदार शिवराज सिंह चौहान को केंद्रीय कृषि और किसान कल्याण मंत्रालय आवंटित करने के एनडीए नेतृत्व के फैसले का कड़ा विरोध करता है.’

विभिन्न किसान संगठनों के समूह एसकेएम ने कहा कि यह निर्णय भाजपा सरकार द्वारा प्रदर्शित अहंकार और असंवेदनशीलता का प्रतीक है. इसने देश भर के किसानों और ग्रामीण लोगों में रोष पैदा कर दिया है.

मंदसौर के पिपलिया मंदिर इलाके में उस समय 6 किसानों की मौत हो गई थी जब पुलिस ने फसलों के बेहतर दाम और कृषि ऋण माफी की मांग को लेकर विरोध प्रदर्शन कर रहे किसानों पर गोलियां चला दी थीं.

चौहान के कार्यालय ने इस मामले पर कोई टिप्पणी नहीं की थी.

नवंबर 2023 में भाजपा द्वारा राज्य विधानसभा चुनाव जीतने के बाद मध्य प्रदेश के सबसे लंबे समय तक मुख्यमंत्री रहे चौहान की जगह मोहन यादव को नियुक्त किया गया था.

वहीं, चौहान को हालिया संपन्न लोकसभा चुनाव में अपने पारंपरिक विदिशा निर्वाचन क्षेत्र से जीतने के बाद मोदी सरकार में कृषि विभाग दिया गया है, जो उन्हें अपने गृह राज्य मे कृषि क्षेत्र में उनके योगदान के लिए दिया गया है. चौहान को ग्रामीण विकास विभाग भी दिया गया है.

एसकेएम ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में नवगठित एनडीए सरकार की भी आलोचना करते हुए कहा कि इसकी पहली कैबिनेट बैठक में ‘तीव्र कृषि संकट और किसानों की आत्महत्याओं को दूर करने, किसानों की लंबे समय से लंबित मांगों जैसे कि सी2+50% पर गारंटीकृत एमएसपी, व्यापक ऋण माफी, बिजली के निजीकरण को निरस्त करने, उत्पादन लागत में कमी और सुनिश्चित बीमा और पेंशन को पूरा करने के लिए कोई निर्णय नहीं लिया गया.’

एसकेएम का एक प्रतिनिधिमंडल गुरुवार को अक्टूबर 2021 में उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी में मारे गए किसानों के परिवारों से भी मुलाकात करेगा. एसकेएम ने कहा कि 10 जुलाई को होने वाली संगठन की आम सभा की बैठक चुनाव के बाद के परिदृश्य का आकलन करेगी और अपनी मांगों के संदर्भ में भविष्य की कार्ययोजना पर विचार करेगी.

गौरतलब है कि मंदसौर में 6 जून 2017 को किसान आंदोलन के दौरान पुलिस की फायरिंग में छह किसानों की मौत हो गई थी. जिसके बाद राज्य सरकार ने कार्रवाई करते हुए तत्कालीन कलेक्टर, एसपी और सीएसपी को निलंबित कर दिया था.

गोलीकांड की जांच के लिए सेवानिवृत्त जज जेके जैन की अध्यक्षता में एक आयोग का गठन किया गया था. जेके जैन आयोग ने अपनी जांच रिपोर्ट राज्य सरकार को सौंपी थी, जिसमें आयोग ने संबंधित अधिकारियों को सीधे दोषी न मानते हुए मामले में क्लीनचिट दी थी.

आयोग ने अपनी रिपोर्ट में लिखा था कि गोली चलाना परिस्थितियों के मुताबिक आवश्यक और न्यायसंगत था.