नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने नीट-यूजी परीक्षा से जुड़ी याचिकाओं पर गुरुवार (13 जून) को सुनवाई की. इस दौरान परीक्षा में किसी भी गड़बड़ी से इनकार करने वाली केंद्र सरकार ने अब इस मामले पर यू-टर्न लेते हुए सुप्रीम कोर्ट को बताया है कि उसने उन 1563 छात्रों को मिले ग्रेस नंबर रद्द करने और उनकी दोबारा परीक्षा लेने का फैसला किया है.
रिपोर्ट के मुताबिक, इस परीक्षा का आयोजन करने वाली नेशनल टेस्टिंग एजेंसी यानी एनटीए ने 8 जून को घोषणा की थी कि छह केंद्रों में परीक्षा देने वाले छात्रों को दिए गए ग्रेस अंकों की जांच के लिए एक उच्चाधिकार प्राप्त समिति का गठन किया जाएगा.
यह ग्रेस नंबर इस पूरे विवाद के केंद्र में हैं, जिसके चलते इस परीक्षा प्रक्रिया की शुचिता पर सवाल उठ रहे हैं क्योंकि इन ग्रेस नंबरों का जिक्र परीक्षा से पहले जारी किए गए प्रॉस्पेक्टस नहीं था.
हालांकि, अपनी प्रेस वार्ता में एनटीए महानिदेशक सुबोध कुमार ने दावा किया था कि परीक्षा प्रक्रिया में कुछ भी गलत नहीं है. लेकिन गुरुवार सुप्रीम कोर्ट में केंद्र सरकार ने बताया कि छात्रों को मिले ग्रेस मार्क्स रद्द किए जाएंगे. जिन छात्रों को ग्रेस मार्क्स मिले हैं उन्हें या तो इसे छोड़ना पड़ेगा या फिर चाहें तो वो दोबारा परीक्षा में बैठक सकते हैं. जो लोग इस पुन: परीक्षा में नहीं बैठना चाहते, उन्हें बिना ग्रेस मार्क के ही परिणाम से संतुष्ट होना पड़ेगा.
लाइव लॉ के अनुसार, केंद्र सरकार का प्रतिनिधित्व कर रहीं वकील कनु अग्रवाल ने जस्टिस विक्रम नाथ और जस्टिस संदीप मेहता की अवकाश पीठ को बताया कि यह निर्णय बुधवार (12 जून) को राष्ट्रीय परीक्षण एजेंसी (एनटीए) द्वारा गठित पैनल ने ‘छात्रों के डर को दूर करने’ के लिए लिया है.
अग्रवाल ने आगे कहा कि ग्रेस अंक समय की देरी के आधार पर दिए गए थे, लेकिन इसकी वजह से एक जटिल स्थिति पैदा हो गई.
इस संबंध में करिअर्स 360 के संस्थापक और विशेषज्ञ महेश्वर पेरी ने एक्स पर लिखा था कि ग्रेस मार्क्स देने का सवाल शुरू से ही पेचीदा था. उन्होंने यह कैसे मापा कि किसने कितना समय बर्बाद किया? इसकी न तो सूचना दी गई, न ही इसका दस्तावेजीकरण किया गया और न ही इसकी कोई घोषणा ही हुई.’
सुप्रीम कोर्ट ने एनटीए की बात को रिकॉर्ड पर लेते हुए वरिष्ठ अधिवक्ता नरेश कौशिक की दलील को भी दर्ज किया, जिसमें उन्होंने कहा कि दोबारा परीक्षा की तारीख गुरुवार को ही तय होगी और संभवतः 23 जून को आयोजित की जाएगी. 30 जून से पहले इसके नतीजे आ जाएंगे ताकि 6 जुलाई को होने वाली काउंसलिंग शुरू हो सके.
इस वर्ष नीट परीक्षा को लेकर अदालत जिन याचिकाओं पर सुनवाई कर रही है, उनमें से एक ट्यूटोरियल दिग्गज फिजिक्स वाला के सीईओ अलख पांडे द्वारा दायर की गई है, जिनका कहना है कि उन्हें 20,000 छात्रों के अभ्यावेदन मिले हैं, जो स्पष्ट रूप से दर्शाता है कि कम से कम 1,500 छात्रों को मनमाने तरीके से लगभग 70 से 80 अंक ग्रेस नंबर के तौर पर दिए गए हैं.
ग्रेस मार्क्स पर दो अन्य याचिकाएं स्टूडेंट्स इस्लामिक ऑर्गनाइजेशन ऑफ इंडिया के सदस्यों अब्दुल्ला मोहम्मद फैज और डॉ. शेख रोशन मोहिद्दीन और उम्मीदवार जरीपिति कार्तिक द्वारा दायर की गई थीं, दोनों ने अंक देने की सांख्यिकीय असंभवता पर सवाल उठाया था. कार्तिक की याचिका का निपटारा कर दिया गया.
अदालत ने दो अन्य याचिकाओं के कुछ हिस्सों को जीवित रखा है जिनमें कथित पेपर लीक जैसे मुद्दों का जिक्र है.
गौरतलब है कि इससे पहले नीट-यूजी 2024 में कथित विसंगतियों के आरोपों के बीच नेशनल टेस्टिंग एजेंसी ने इसकी गवर्निंग बॉडी के अध्यक्ष को ही जांच पैनल का प्रमुख नियुक्त किया था. इस निर्णय के बाद जांच की निष्पक्षता को लेकर सवाल उठाए जा रहे थे.
इस मामले में मंगलवार (11जून) को सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार और नेशनल टेस्टिंग एजेंसी को नोटिस जारी किया था. सुनवाई के दौरान अदालत ने कहा था कि नीट परीक्षा की शुचिता (sanctity) प्रभावित हुई है, इसलिए एनटीए को जवाब देने की जरूरत है. हालांकि कोर्ट ने फिलहाल नीट की काउंसलिंग पर रोक लगाने से इनकार कर दिया था.
नीट परीक्षा के पेपर लीक होने के भी आरोप लगे हैं. इस मामले में बिहार पुलिस ने कम से कम 13 लोगों को गिरफ्तार भी किया है. पुलिस का दावा है कि उन्होंने आरोपियों के कब्जे से आपत्तिजनक दस्तावेज और इलेक्ट्रॉनिक उपकरण भी जब्त किए हैं.
गौरतलब है कि नीट पेपर लीक के आरोप ऐसे समय में सामने आए हैं, जब अन्य राज्यों में कई पेपर लीक इस बार के लोकसभा चुनावों में कई राजनीतिक दलों के मुख्य मुद्दों में शामिल थे.
नीट परीक्षा मामले में कांग्रेस ने निष्पक्ष जांच की मांग की है. महाराष्ट्र और कर्नाटक की सरकारों ने भी नीट के आयोजन के तरीके पर सवाल उठाया है और मांग की है कि परीक्षा रद्द की जानी चाहिए.
उल्लेखनीय है कि इस बार नीट परीक्षा पांच मई को हुई थी और इसमें शामिल होने के लिए 24 लाख से अधिक विद्यार्थियों ने अपना रजिस्ट्रेशन कराया था. इनमें 23.33 लाख बच्चे परीक्षा में शामिल हुए.
पूर्व निर्धारित कार्यक्रम के अनुसार, परीक्षा के परिणाम 14 जून को घोषित होने थे. हालांकि, रिज़ल्ट दस दिन पहले यानी चार जून को घोषित कर दिए गए.