लद्दाख के डेपसांग मैदानों में इंफ्रास्ट्रक्चर निर्माण कर रहा है चीन: रिपोर्ट

केंद्रीय गृह मंत्रालय से जुड़े एक सुरक्षा अधिकारी का कहना है कि चीनी सेना डेपसांग मैदानों में भारत के दावे वाली सीमा में तेज़ी से अपनी इंफ्रास्ट्रक्चर परियोजनाओं को बढ़ा रही है और इसने अन्य अतिक्रमण बिंदुओं पर अपनी सैन्य स्थिति मजबूत कर ली है.

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(फोटो साभार: विकिमीडिया कॉमन्स)

नई दिल्ली: भारत और चीन के बीच लंबे समय से सीमा पर तनाव देखने को मिल रहा है. इस बीच, चीन एक बार फिर भारत के खिलाफ लद्दाख में अपनी स्थिति को मजबूत करने में लगा है.

द टेलीग्राफ की रिपोर्ट के मुताबिक, चीनी सेना डेपसांग मैदानों में अपने बुनियादी ढांचे (इंफ्रास्ट्रक्चर) को बेहतर कर रही है, जिससे वहां उन्हें फायदा मिल सकता है.

खुफिया जानकारी के अनुसार, चीनी सेना डेपसांग मैदानों में भारत के हिस्से वाली सीमा के अंदर कब्जे वाले इलाके में तेजी से बुनियादी ढांचों का निर्माण कर रही है. पूर्वी लद्दाख में कई अतिक्रमण बिंदुओं पर चीन ने अपनी स्थिति मजबूत कर ली है.

द टेलीग्राफ ने केंद्रीय गृह मंत्रालय से जुड़े एक सुरक्षा अधिकारी के हवाले से बताया है कि हाल की जमीनी रिपोर्ट्स से पता चलता है कि चीनी सेना ने डेपसांग मैदानों में भारत के दावे वाली सीमा में अपनी बुनियादी ढांचा विकास परियोजनाओं की गति तेज़ कर दी है और अन्य अतिक्रमण बिंदुओं पर अपनी सैन्य स्थिति मजबूत कर ली है.

अधिकारी ने आगे कहा, ‘पीपुल्स लिबरेशन आर्मी डेपसांग मैदानों में अतिरिक्त राजमार्ग और सड़कें बना रही है. इसने पूर्वी लद्दाख में भारत के दावे वाली सीमा के भीतर पैंगोंग झील के उत्तर और दक्षिण तटों पर सैन्य बुनियादी ढांचे के निर्माण में भी तेजी ला दी है.’

मई 2020 से चल रहे सीमा गतिरोध का कोई समाधान नहीं हुआ

सूत्रों का कहना है कि मई 2020 से चल रहे सीमा गतिरोध का कोई भी समाधान नहीं हुआ है, जिसके कारण भारतीय सेना ने पहाड़ी इलाकों में अपनी सैन्य चौकियों को बढ़ा दिया है, ताकि किसी भी चीनी दुस्साहस और उकसावे से निपटा जा सके.

चीन ने अब तक डेपसांग मैदानों में कब्जे वाले क्षेत्र से सैनिकों को पीछे हटाने से इनकार किया है. जबकि गलवान घाटी, पैंगोंग झील, हॉट स्प्रिंग्स और गोगरा से आंशिक सैनिकों को पीछे हटाने पर सहमति व्यक्त की है.

विघटन समझौते (disengagement agreement) के तहत दोनों सेनाएं एक बफर जोन बनाकर समान दूरी से पीछे हट गई हैं. हालांकि, चीन अभी भी भारत पर दावा करने वाली सीमा के भीतर जमा हुआ है और भारतीय अपने क्षेत्र में पीछे हट रहे हैं – जिससे उन पर चीन के लिए ‘आगे की जमीन छोड़ने’ का आरोप लग रहा है.

गौरतलब है कि साल 2020 में 15 जून की रात को गलवान इलाके में चीनी सैनिकों के साथ हुई हिंसक झड़प में 20 भारतीय सैनिक मारे गए थे. 1962 के चीनी मानचित्र में उसकी सीमा श्योक नदी तक जाती है, जो कि आज भारत के लिए विवादित क्षेत्र है. हालांकि, भारत ने गलवान घाटी को हमेशा ऐसे क्षेत्र के रूप में देखा है, जहां वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पैंगोंग सो की तरह विवादित नहीं रही है.

भारत-चीन विवाद में गलवान की अहम भूमिका रही है क्योंकि यह पहला भारतीय पोस्ट था, जिसे चीन ने 1962 की गर्मियों में पार किया था और यहीं से पहली लड़ाई की शुरुआत हुई थी. भारतीय सैन्य सूत्रों के अनुसार, उसके बाद से गलवान एलएसी का शांतिपूर्ण इलाका बना रहा, जहां अन्य विवादित क्षेत्रों की तरह भारतीय और चीनी गश्ती दल आमने-सामने नहीं आए, लेकिन अब हालात बदल गए हैं.

उल्लेखनीय है कि पूर्वी लद्दाख के पैंगोंग सो, गलवान घाटी, डेमचोक और दौलत बेग ओल्डी इलाके में भारतीय और चीनी सेना के बीच गतिरोध चल रहा है. पैंगोंग सो सहित कई इलाकों में चीनी सैन्यकर्मियों ने सीमा का अतिक्रमण किया है.