फ़िलिस्तीन के प्रधानमंत्री ने भारत से गाज़ा पर ‘दृढ़ रुख़’ अपनाने को कहा

भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को उनके तीसरे कार्यकाल के लिए भेजे गए बधाई संदेश में फ़िलिस्तीनी प्रधानमंत्री मोहम्मद मुस्तफ़ा ने लिखा है कि एक वैश्विक नेता और मानवाधिकारों तथा शांति को महत्व देने वाले राष्ट्र के रूप में भारत, गाज़ा में हो रहे नरसंहार को समाप्त करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है.

फिलिस्तीनी प्रधानमंत्री मोहम्मद मुस्तफा और नरेंद्र मोदी. (फोटो साभार: विकिमीडिया कॉमंस और फेसबुक)

नई दिल्ली: फिलिस्तीन ने भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से गाजा में ‘तत्काल युद्धविराम’ का आह्वान करने और लोगों पर हो रहे अत्याचारों के खिलाफ ‘दृढ़ रुख’ अपनाने का अनुरोध किया है.

तीसरे कार्यकाल के लिए चुने जाने के बाद भारतीय प्रधानमंत्री को भेजे गए बधाई संदेश में फिलिस्तीनी प्रधानमंत्री मोहम्मद मुस्तफा ने लिखा कि ‘एक वैश्विक नेता और मानवाधिकारों और शांति को महत्व देने वाले राष्ट्र के रूप में, भारत गाजा में हो रहे नरसंहार को समाप्त करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है.’

रिपोर्ट के मुताबिक, उन्होंने भारत से तत्काल युद्धविराम के लिए सभी कूटनीतिक रास्तों का उपयोग करने की अपील की है. साथ ही, गाजा को मानवीय सहायता बढ़ाने और फिलिस्तीनी नागरिकों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए अंतर्राष्ट्रीय समुदाय के साथ सहयोग करने का आह्वान किया है. उन्होंने वहां लोगों पर हो रहे अत्याचारों के खिलाफ भारत से दृढ़ रुख अपनाने का आग्रह किया है.

12 जून को लिखे गए पत्र में यह भी कहा गया है कि फिलिस्तीनी मुद्दे और फिलिस्तीनी लोगों के अधिकारों के प्रति भारत के ‘समर्थन और एकजुटता’ की फिलिस्तीन सराहना करता है.

पिछले साल 7 अक्टूबर को फिलिस्तीनी आतंकवादी गुट हमास ने दक्षिणी इज़राइल पर हमला करके चौंका दिया था, जिसके परिणामस्वरूप लगभग 1,200 लोग मारे गए थे और 250 से अधिक लोगों को बंधक बनाकर गाजा में रखा गया था.

इसके बाद इज़राइल ने कड़ी सैन्य कार्यवाई करते हुए गाजा पर बड़े पैमाने पर हमले शुरू कर दिए थे. तब से नौ महीनों में, महिलाओं और बच्चों सहित 36,000 से अधिक लोग मारे गए हैं.

भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 7 अक्टूबर के आतंकवादी हमले के बाद तुरंत इज़राइल के साथ एकजुटता प्रदर्शित की थी.

हालांकि, सप्ताह भर बाद भारत ने अपना रुख बदलते हुए फिलिस्तीनी हितों को अपने दीर्घकालिक समर्थन की पुष्टि की और द्वि-राज्य समाधान की वकालत की. इसने संयुक्त राष्ट्र महासभा के उस प्रस्ताव के पक्ष में भी. मतदान किया था जिसमें विश्व निकाय में फिलिस्तीन को अतिरिक्त शक्तियां दिए जाने की मांग की गई थी

भारत ने लगातार इजरायल की स्पष्ट रूप से आलोचना करने से परहेज किया है और कहा है कि आतंकवाद के सभी रूपों की निंदा की जानी चाहिए. बहरहाल, नई दिल्ली ने नागरिकों की सुरक्षा, शांतिपूर्ण समाधान के लिए बातचीत की वापसी और मानवीय सहायता तक पहुंच का हमेशा ही आह्वान किया है.

अक्टूबर 2023 में भारत ने संयुक्त राष्ट्र महासभा के एक प्रस्ताव पर मतदान करने से परहेज किया था जिसमें मानवीय कारणों के चलते युद्ध में ठहराव का आह्वान किया गया था. साथ ही, संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद में एक अन्य प्रस्ताव पर भी मतदान नहीं किया था जिसमें सभी देशों से हथियारों पर प्रतिबंध लगाने का आग्रह किया गया था.

तब से भारत ने उन प्रस्तावों के पक्ष में मतदान किया है जो मानवीय कारणों के चलते युद्धविराम का आह्वान करते हैं, लेकिन आधिकारिक बयानों में इसका स्पष्ट रूप से उल्लेख नहीं किया जाता है.

हालांकि, जब संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद ने मार्च में ‘तत्काल युद्धविराम’ के लिए एक प्रस्ताव अपनाया, तो भारत ने इसे ‘सकारात्मक पहल’ करार किया था.

द वायर की रिपोर्ट के अनुसार, 7 अक्टूबर के हमले और गाजा ऑपरेशन की शुरुआत के बाद भारतीय कंपनियों ने इज़राइल को गोला-बारूद की आपूर्ति की है. इसके अतिरिक्त, भारत ने इजरायल में फ़िलिस्तीनी श्रमिकों पर प्रतिबंध के कारण उत्पन्न श्रम बल की कमी को दूर करने में मदद करने के लिए भारतीय श्रमिकों को इज़राइल भेजा है.