नई दिल्ली: राजकोट स्थित टीआरपी गेमिंग जोन, जहां बीते माह आग लगने से 28 लोगों की मौत हो गई थी, से संबंधित दस्तावेजों में कथित तौर पर कुछ बदलाव करने के आरोप में राजकोट नगर निगम (आरएमसी) के दो अधिकारियों को पुलिस ने गिरफ्तार किया है.
द टेलीग्राफ की रिपोर्ट के अनुसार, पुलिस ने रविवार (16 जून) को इस संबंध में सूचना दी है.
पुलिस के अनुसार, इन गिरफ्तारियों के साथ ही टीआरपी गेमिंग जोन में 25 मई को हुई घटना के सिलसिले में अब तक छह सरकारी कर्मचारियों समेत 12 लोगों को गिरफ्तार किया जा चुका है.
पुलिस उपायुक्त (अपराध) पार्थराजसिंह गोहिल ने कहा कि शहर की अपराध शाखा ने शनिवार (15 जून) को आरएमसी के सहायक नगर नियोजन अधिकारी राजेश मकवाना और सहायक अभियंता जयदीप चौधरी को आगजनी की घटना के बाद आधिकारिक रजिस्टर में बदलाव करने में उनकी कथित संलिप्तता के लिए गिरफ्तार किया है.
उन्होंने कहा, ‘आग लगने की घटना के बाद उन्होंने टीआरपी गेम जोन से संबंधित सरकारी दस्तावेजों में कुछ बदलाव किए. उन्होंने फर्जी दस्तावेज भी बनाए.’
गोहिल ने आगे कहा, ‘अब तक हमने टीआरपी गेम जोन में आग लगने के मामले में छह सरकारी कर्मचारियों और छह अन्य व्यक्तियों को गिरफ्तार किया है.’
इससे पहले गिरफ्तार किए गए चार सरकारी कर्मचारियों में राजकोट के नगर नियोजन अधिकारी (टीपीओ) एमडी सागथिया, सहायक टीपीओ मुकेश मकवाना और गौतम जोशी तथा कलावड रोड फायर स्टेशन के पूर्व स्टेशन अधिकारी रोहित विगोरा शामिल हैं.
गेम जोन के एक सह-मालिक अशोकसिंह जडेजा ने गुरुवार (13 जून) की शाम पुलिस के सामने आत्मसमर्पण कर दिया था.
जडेजा टीआरपी गेम ज़ोन के छह मालिकों में से एक हैं, जिनमें से पांच को अब तक गिरफ्तार किया जा चुका है, वहीं एक की 25 मई की आग में मौत हो गई थी.
मामले में गेम जोन के एक मैनेजर को भी गिरफ्तार किया गया है.
घटना की जांच के दौरान यह पुष्टि की गई कि गेम जोन के सह-मालिकों में से एक प्रकाश हिरन, जिसका नाम एफआईआर में दर्ज था और त्रासदी के बाद से लापता था, की 25 मई की आग में मौत हो गई थी. वह आग लगने के दौरान गेम जोन के अंदर ही थे.
सीसीटीवी कैमरे की फुटेज से पता चला कि ग्राउंड फ्लोर पर वेल्डिंग के काम के दौरान थर्मोकोल शीट पर चिंगारी गिरने से आग लग गई थी. हालांकि, वहां मौजूद कर्मचारियों ने आग बुझाने वाले यंत्रों से आग पर काबू पाने की कोशिश की, लेकिन यह आग काफी तेजी से फैल गई और अंततः गेम जोन को भी अपनी चपेट में ले लिया.
पुलिस के अनुसार, गेम ज़ोन को आरएमसी के अग्निशमन विभाग से अनापत्ति प्रमाणपत्र (एनओसी) के बिना संचालित किया जा रहा था.
राजकोट की घटना के बाद राज्य भर में कई गेमिंग ज़ोन और अन्य मनोरंजन केंद्रों को सील कर दिया गया और अनिवार्य अनुमति के बिना इन केंद्रों को चलाने के लिए मालिकों के खिलाफ एफआईआर भी दर्ज की गई.