बिहार: युवतियों को बंधक बनाकर महीनों तक यौन उत्पीड़न का आरोप, मामला दर्ज

मामला मुज़फ़्फ़रपुर का है. बताया गया है कि नौकरी देने के नाम पर युवतियों को बुलायाकर बंधक बना लिया गया. उनमें से एक क़ैद से भागकर थाने गई थीं पर पुलिस ने शिकायत दर्ज करने से इनकार कर दिया. बाद में वो कोर्ट पहुंचीं और नौ लोगों के ख़िलाफ़ शिकायत दर्ज कराई. सभी आरोपी फरार हैं.

(इलस्ट्रेशन: द वायर)

नई दिल्ली: बिहार के मुजफ्फरपुर में नौकरी के नाम पर कई युवतियों को बंधक बनाकर उनका यौन शोषण करने की खबर सामने आई है.

समाचार एजेंसी पीटीआई के मुताबिक, एक  स्थानीय अदालत के निर्देश के बाद युवतियों को बंधक बनाकर रखने और यौन उत्पीड़न के आरोप में नौ लोगों पर मुकदमा दर्ज किया गया है.

पीटीआई के अनुसार, पुलिस उपाधीक्षक विनीता सिन्हा ने बताया कि पीड़ित युवतियों में से एक ने अदालत में नौ लोगों के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई थी. आरोपियों ने पीड़ित युवतियों को बंधक बना लिया था. फिलहाल इस मामले से जुड़े सभी नौ आरोपी फरार हैं और पुलिस ने उन्हें पकड़ने के लिए उनकी तलाश शुरू कर दी है.

उन्होंने आगे बताया, ‘ पीड़िता ने कहा है कि पुलिस ने शुरू में उसकी शिकायत दर्ज करने से इनकार कर दिया और इस वजह से उसने अदालत का दरवाजा खटखटाया. इसकी जांच की जाएगी कि पुलिस ने पहले उनकी शिकायत क्यों नहीं दर्ज की.’

क्या है पूरा मामला?

पुलिस द्वारा प्राप्त जानकारी के मुताबिक ये पूरा मामला एक फर्जी मार्केटिंग कंपनी और उसके नाम पर युवा लड़कियों को नौकरी का झांसा देने से जुड़ा हुआ है. पीड़ित की शिकायत से पता चला है कि आरोपी ने पहली बार जून 2022 में उनसे सोशल मीडिया के माध्य से संपर्क किया था और अच्छी नौकरी का हवाला देते हुए उन्हें मुजफ्फरपुर बुलाया था.

जब पीड़िता मुजफ्फरपुर आईं, तो सबसे पहले उन्हें एक कमरे में रखा गया. वहां कई अन्य युवतियां पहले से भी रह रही थीं. बाद में उन्हें एक अज्ञात स्थान पर भेज दिया गया. आरोपी सभी युवा महिलाओं को कॉल कर उन्हें अपनी जाली फर्म में आकर्षक नौकरियों की पेशकश करते थे.

पुलिस का ये भी कहना है कि उन्होंने शिकायतकर्ता के साथ-साथ कई अन्य पीड़ितों के बयान दर्ज किए हैं.

उन्होंने बताया है कि कुछ समय बाद आरोपी व्यक्ति पीड़ितों के साथ रहने लगे. पीड़ितों को आरोपियों ने बंदी बना लिया था. उनके साथ कथित तौर पर  मारपीट और यौन शोषण भी किया गया. शिकायतकर्ता और अन्य पीड़ितों को शादी के लिए भी मजबूर किया गया.

विनीता सिन्हा ने बताया कि शिकायतकर्ता युवती का धोखे से गर्भपात भी कराया गया था. शिकायतकर्ता ने पुलिस को यह भी बताया कि जब भी वे सभी अपना वेतन मांगती थीं, तो आरोपी उन्हें बताते थे कि वे अब वो इस कंपनी का हिस्सा हैं. अंत में, पीड़िता जैसे-तैसे भागने में सफल रहीं और एफआईआर दर्ज कराने के लिए थाने पहुंचीं, जहांं पुलिस ने शुरू में उनकी शिकायत लेने से इनकार कर दिया और जिसके चलते उन्हें अदालत का दरवाजा खटखटाना पड़ा.

बीते साल 2023 में जारी राष्‍ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो की रिपोर्ट के मुताबिक बिहार में साल 2022 में महिलाओं के खिलाफ अपराध के 20,222 मामले दर्ज किए गए. ये साल 2021 से बढ़ोत्तरी थी. 2021 में कुल 17,950 मामले पुलिस थानों तक पहुंचे थे. जबकि 2020 में ये आंकड़ा 15,359 था.