नई दिल्ली: श्रीनगर की अंजुमन औकाफ़ जामिया मस्जिद ने बताया कि स्थानीय अधिकारियों ने लगातार छठी बार पुराने शहर की ऐतिहासिक जामिया मस्जिद में सोमवार को ईद की नमाज़ की अनुमति देने से इनकार कर दिया.
समाचार एजेंसी पीटीआई की रिपोर्ट के मुताबिक, 14वीं सदी की मस्जिद के प्रबंधन निकाय ने एक बयान में कहा, ‘सोमवार को फ़ज्र की नमाज़ के बाद पुलिसकर्मियों ने श्रीनगर में जामिया मस्जिद के दरवाज़े बंद कर दिए और औकाफ़ को सूचित किया कि सुबह 9:00 बजे होने वाली ईद की नमाज़ मस्जिद में पढ़ने की अनुमति नहीं दी जाएगी.’
इसमें यह भी दावा किया गया कि कश्मीर के मौलवी और हुर्रियत नेता मीरवाइज उमर फ़ारूक ईद के ख़ुत्बे के लिए पहुंचने वाले थे, लेकिन उन्हें नज़रबंद कर दिया गया.
2019 से अधिकारियों द्वारा जामिया मस्जिद और ईदगाह में ईद की नमाज़ पर रोक लगा दी गई है. मीरवाइज ने इस इनकार को मुसलमानों की धार्मिक स्वतंत्रता का ‘दुखद उल्लंघन’ बताया.
उन्होंने कहा, ‘ईद की नमाज़, विशेष रूप से सामुदायिक प्रार्थना आयोजित करने से लगातार इनकार करना न केवल अत्यधिक अपमानजनक है, बल्कि लोगों में अलगाव और शिकायत की भावना को भी बढ़ाता है. साथ ही यह कश्मीर में पाबंदियों की स्थिति को उजागर करते हुए अधिकारियों द्वारा कश्मीर में सामान्य स्थिति के बड़े-बड़े दावों की पोल खोलता है.’
मालूम हो कि बीते अप्रैल महीने में रमज़ान के दौरान अधिकारियों द्वारा श्रीनगर की जामिया मस्जिद में सामूहिक शब-ए-कद्र की नमाज अदा करने की अनुमति नहीं दी गई थी. तब भी हुर्रियत अध्यक्ष मीरवाइज उमर फारूक को कथित तौर पर फिर से नजरबंद कर दिया गया था.
उस समय मीरवाइज ने कहा था कि यह कार्रवाई ‘आध्यात्मिक उत्पीड़न’ और ‘कश्मीरी मुसलमानों की धार्मिक स्वतंत्रता और अधिकारों पर हमला’ जैसी थी.
ज्ञात हो कि इसके बाद रमज़ान के आखिरी जुमे पर सामूहिक नमाज़ की भी अनुमति नहीं दी गई थी और मीरवाइज, जिन्होंने जम्मू-कश्मीर उच्च न्यायालय में अपनी ‘अवैध और मनमानी हिरासत’ को चुनौती दी थी, उन्हें भी कथित तौर पर घर में नजरबंद कर दिया गया था.
मीरवाइज़, जो कश्मीर के मुख्य मौलवी भी हैं, उन्हें अनुच्छेद 370 के निरस्त होने के बाद पिछले महीने रमज़ान के दौरान पहली बार जामिया मस्जिद में जुमे की नमाज़ अदा करने की अनुमति दी गई थी. पिछले साल सितंबर में उनकी रिहाई के बाद यह उन्हें मिली चौथी अनुमति थी.