नई दिल्ली: चार जून को लोकसभा चुनाव के नतीजे के साथ ही अठारहवीं लोकसभा के सांसदों की तस्वीर भी साफ हो गई. हालांकि इस बार की लोकसभा में बीते छह दशकों में मुस्लिम सांसदों की हिस्सेदारी सबसे कम देखने को मिली है.
द हिंदू की रिपोर्ट के मुताबिक, मौजूदा सांसदों में मुस्लिम सांसदों की संख्या पांच प्रतिशत से भी कम है, बावजूद इसके कि इस समुदाय की आबादी देश में कुल जनसंख्या का 15 प्रतिशत से अधिक हिस्सा है.
कुल मिलाकर देखें तो, वर्तमान समय में लोकसभा में कुल 24 मुस्लिम सांसद (4.4 प्रतिशत) हैं. इस बार विपक्ष की सबसे बड़ी पार्टी कांग्रेस के मुस्लिम सांसदों की हिस्सेदारी में इज़ाफ़ा हुआ है, लेकिन लोकसभा में कुल मुस्लिम सांसदों की संख्या में रिकॉर्ड गिरावट आई है.
इस बार 2024 के चुनाव परिणाम में सबसे बड़ी पार्टी बनी- भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) में फिलहाल मुस्लिम समुदाय से कोई प्रतिनिधि नहीं है.
इतिहास की बात करें, तो 1990 के दशक में लोकसभा में मुस्लिम सांसदों की हिस्सेदारी में गिरावट ही भाजपा के उदय के साथ शुरू हई थी. तब भाजपा के सांसदों की संख्या 10वीं लोकसभा (1991-96) में पहली बार 100 का आंकड़ा पार कर गई थी.
1980 के दौर में लोकसभा में मुसलमानों की हिस्सेदारी सबसे ज्यादा थी
लोकसभा में मुसलमानों की हिस्सेदारी 1980 के दौर में सबसे ज्यादा 8.3 प्रतिशत थी. इस समय 7वीं (1980-84) और 8वीं (1984-89) लोकसभा के दौरान कांग्रेस सत्ता में थी.
फिर मुसलमान सांसदों की संख्या में गिरावट के बाद 14वीं लोकसभा में संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (यूपीए) के पहले शासनकाल (2004-09) में मुसलमान सांसदों की संख्या फिर बढ़ी और ये करीब 7 प्रतिशत हो गई. इस समय सदन में भाजपा के सांसदों की संख्या में गिरावट देखी गई थी.
मौजूदा लोकसभा सहित पिछली चार लोकसभाओं के आंकड़े देखें, तो यूपीए के दूसरे कार्यकाल के समय 4.8 प्रतिशत मुसलमान सांसद थे, वहीं राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) के पहले कार्यकाल के दौरान इनकी संख्या घटकर 4.7 प्रतिशत हो गई.
2019 में एनडीए दो में ये फिर बढ़कर 5 प्रतिशत हो गई, लेकिन एनडीए 3 में ये गिरावट के साथ आंकड़ा 4.4 प्रतिशत पर सिमट गया है.
कांग्रेस पार्टी के हैं सबसे ज्यादा मुस्लिम सांसद
मौजूदा समय में सात मुस्लिम सांसदों के साथ कांग्रेस पार्टी इस सूची में शीर्ष पर है, जो कुल कांग्रेस सांसदों का 7 प्रतिशत है.
आठवीं लोकसभा (1984-89) के बाद यह पहली बार है कि कांग्रेस में मुस्लिम सांसदों की हिस्सेदारी 7 प्रतिशत के आंकड़े को पार कर गई है. 6वीं, 7वीं और 8वीं लोकसभा (1977-89) में हिस्सेदारी लगभग 7.5 प्रतिशत पर पहुंच गई थी. तबसे, सत्रहवीं लोकसभा (2019-2024) में हिस्सेदारी में तेजी से और लगातार गिरावट आई और यह 1.1 प्रतिशत तक पहुंच गई.
कांग्रेस के बाद, अखिल भारतीय तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) और समाजवादी पार्टी (सपा) क्रमशः पांच और चार मुस्लिम सांसदों के साथ सूची में हैं.
सपा के 11 फीसदी सांसद मुस्लिम हैं और तृणमूल के 17 फीसदी. अन्य मुस्लिम सांसदों में इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग के तीन, जम्मू और कश्मीर नेशनल कॉन्फ्रेंस के दो, ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन के एक और दो निर्दलीय हैं.
असम और केरल में मुस्लिम सांसदों की भागीदारी कम
नवीनतम लोकसभा में मुसलमान सांसदों की कम संख्या के पीछे बड़ी वजह असम और केरल में मुस्लिम सांसदों की हिस्सेदारी में भारी गिरावट है. इस बार असम में इनकी हिस्सेदारी 14 प्रतिशत से घटकर 7 प्रतिशत हो गई थी. वहीं केरल में यह 19 प्रतिशत से घटकर 15 प्रतिशत हो गई थी.
उत्तर प्रदेश में भी 2024 में ‘इंडिया’ गठबंधन द्वारा अधिकांश सीटें जीतने के बावजूद राज्य में मुस्लिम सांसदों की हिस्सेदारी पिछली लोकसभा के 8 प्रतिशत से गिरकर 2024 में 6 प्रतिशत हो गई है.
कुल मिलाकर मौजूदा संसद में केवल दस राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों से कम से कम एक मुस्लिम सांसद चुनकर आए हैं. वहीं, अरुणाचल प्रदेश, छत्तीसगढ़, गोवा, मणिपुर, मेघालय, मिजोरम, सिक्किम और उत्तराखंड जैसे राज्यों ने कभी भी मुस्लिम सांसद नहीं चुना है.