नई दिल्ली: कर्नाटक हाईकोर्ट ने अपनी एक अहम टिप्पणी में कहा है कि अगर दो लोगों के बीच आपसी समहति से संबंध बनता है तो इसका मतलब ये कतई नहीं है कि इसमें महिला से मारपीट करने का लाइसेंस मिल गया है.
टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक, ये मामला जुलाई 2022 का है. याचिकाकर्ता और महिला दोनों बेंगलुरु के रहने वाले हैं और एक सॉफ्टवेयर कंपनी में साथ काम करते थे. दोनों पांच सालों से रिलेशनशिप में थे.
महिला ने 2022 में पुलिस में शिकायत दर्ज करवाई थी कि एक पुरुष ने शादी का वादे करके उसके साथ शारीरिक संबंध बनाए लेकिन बाद में उसे धोखा दे दिया. इसके बाद महिला ने बलात्कार, धोखाधड़ी करने, हमला करने सहित कई अन्य मामलों में भी एफआईआर दर्ज करवाई.
महिला के पार्टनर, जो इस मामले में आरोपी और याचिकाकर्ता भी हैं, उन्होंने इस एफआईआर को चुनौती देते हुए कहा कि महिला इससे पहले भी फरवरी 2020 में ऐसे ही एक पुरुष पर शादी का झांसा देकर रेप करने का आरोप लगा चुकी हैं. वो मामला फिलहाल लंबित है.
आरोपी ने दावा किया कि महिला को ऐसे ही अलग-अलग पुरुषों पर मुकदमा दर्ज करवाने की आदत है.
सहमति से बनाए गए संबंध में बलात्कार और धोखाधड़ी के आरोपों को बरकरार नहीं रखा जा सकता
इस मामले में आरोपी की बातों को सुनने और रिकॉर्ड पर मौजूद सामग्री पर गौर करने के बाद जस्टिस नागप्रसन्ना ने कहा कि सहमति से बनाए गए संबंध के आधार पर बलात्कार और धोखाधड़ी के आरोपों को बरकरार नहीं रखा जा सकता है.
हालांकि, हमला करने और अन्य आपराधिक मुकदमों को लेकर जस्टिस नागप्रसन्ना ने कहा कि महिला द्वारा दिए गए प्रमाणों से यह पता चलता है कि महिला के शरीर पर कई चोटें आईं हैं, जो कि कथित तौर पर आरोपी द्वारा हमला करने के कारण आईं हैं. इसलिए इस मामले में मारपीट और हिंसा की जांच पुलिस करेगी.
अदालत ने इस मामले में प्राप्त तथ्यों को शंभु कारवार बनाम उत्तर प्रदेश राज्य मामले में सुप्रीम कोर्ट द्वारा स्थापित सिद्धांतों के आधार पर देखते हुए कहा कि याचिकाकर्ता के खिलाफ बलात्कार का अपराध अस्पष्ट रूप से रखा गया है और यदि आगे की जांच जारी रखने की अनुमति दी जाती है जैसा कि दूसरे व्यक्ति के खिलाफ मामला पहले ही चल रहा है, तो ये शिकायतकर्ता को एक ही समय में दो अलग-अलग शिकायतों का सामना करने वाली बात होगी, इसलिए याचिकाकर्ता के खिलाफ बलात्कार का अपराध नहीं रखा जा सकता है.
हालांकि, सुनवाई के दौरान अदालत ने ये स्पष्ट किया कि इस मामले में पुलिस मारपीट और हिंसा की जांच करेगी क्योंकि सहमति से बनाया गया संबंध महिला पर हिंसा करने का लाइसेंस नहीं है.