2015 में एफटीआईआई के अध्यक्ष पद पर गजेंद्र चौहान की नियुक्ति को लेकर काफ़ी विवाद हुआ था.
फिल्म एंड टेलीविजन इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया (एफटीआईआई) के विवादित अध्यक्ष अभिनेता गजेंद्र चौहान का बतौर अध्यक्ष कार्यकाल गुरुवार को समाप्त हो गया है. 2015 में अध्यक्ष पद पर नियुक्त हुए चौहान की काफ़ी आलोचना और विरोध भी हुआ था.
एफटीआईआई के अध्यक्ष के रूप में चौहान की क़ाबिलियत पर भी सवाल उठाया गया था. सवाल उठाने वालों में एफटीआईआई छात्रों के अलावा कई बड़े कलाकार और फ़िल्मकार शामिल थे. बता दें कि चौहान ने विरोध के बीच नियुक्ति के सात महीने तक अपना पदभार संभाल नहीं पाए थे.
अपने कार्यकाल के समाप्त होने पर हिंदुस्तान टाइम्स को दिए एक इंटरव्यू में चौहान कहते हैं, ‘मैंने हमेशा छात्रों का साथ दिया है, चाहे वो मेरे विरोधी ही क्यों न हों. मैं अपने कार्यकाल से संतुष्ट हूं और छात्रों को कहना चाहूंगा कि राजनीति से दूर रहें.’ चौहान ने संस्थान में काफ़ी बदलाव लाने के दावे किए हैं.
चौहान के अनुसार उन्होंने संस्थान में परीक्षा में बैठने के लिए अटेंडेन्स को 75 फ़ीसदी अनिवार्य कर दिया. साथ ही लंबे समय से लंबित पोस्ट ग्रैजुएट डिप्लोमा को मास्टर डिग्री में तब्दील किया गया है. संस्थान के लिए उचित फंड आवंटित करा संस्थान की संरचना को भी सुधारने की कोशिश की गई है. अपने कामकाज को बेहतरीन बताने के साथ चौहान का कहना है कि सरकार उनके काम से बहुत ख़ुश है. चौहान ने वापस अध्यक्ष पद पर नियुक्ति के लिए इच्छा ज़ाहिर नहीं की है.
एफटीआईआई सूचना और प्रसारण मंत्रालय के अधीन है और अभी तक एफटीआईआई के नए अध्यक्ष की खोज या फिर चौहान के कार्यकाल को बढ़ाने का कोई औपचारिक बयान नहीं आया है.