नई दिल्ली: नीट परीक्षा के बाद नेशनल टेस्टिंग एजेंसी (एनटीए) द्वारा ही आयोजित यूजीसी-नेट की पवित्रता को लेकर भी गंभीर सवाल खड़े हो गए हैं.
शिक्षा मंत्रालय ने बुधवार (19 मई) देर रात यूजीसी-नेट (विश्वविद्यालय अनुदान आयोग-राष्ट्रीय पात्रता परीक्षा) को रद्द करने की घोषणा की. नेशनल टेस्टिंग एजेंसी (एनटीए) ने ये जानकारी एक प्रेस विज्ञप्ति के जरिये दी.
केंद्रीय गृह मंत्रालय को परीक्षा की शुचिता से समझौता होने की आशंका है. हालांकि, सरकारी बयान में यह स्पष्ट नहीं किया गया है कि परीक्षा की शुचिता से किस तरह समझौता किया गया है, लेकिन इंडियन एक्सप्रेस ने सूत्रों के हवाले से बताया है कि कुछ परीक्षा केंद्रों पर अनियमितताएं देखी गई हैं.
18 जून (मंगलवार) को 317 शहरों में नौ लाख से अधिक उम्मीदवारों ने यूजीसी-नेट की परीक्षा दो पालियों में ओएमआर (पेन एंड पेपर) मोड के जरिये दी थी. शिक्षा मंत्रालय की घोषणा के मुताबिक, परीक्षा में हुई गड़बड़ी की जांच सीबीआई करेगी, दोबारा परीक्षा कब होगी इसकी जानकारी अलग से साझा की जाएगी.
मंत्रालय का यह निर्णय एनटीए के वरिष्ठ अधिकारियों के लिए आश्चर्य की बात है क्योंकि मंगलवार शाम को यूजीसी के चेयरमैन एम. जगदीश कुमार ने ट्वीट किया था कि एनटीए ने यूजीसी-नेट परीक्षा सफलतापूर्वक आयोजित की है.
बता दें कि यूजीसी-नेट भारतीय विश्वविद्यालयों में प्रवेश स्तर की शिक्षण नौकरी पाने और पीएचडी कार्यक्रमों में प्रवेश के लिए महत्वपूर्ण है.
नौजवानों के सपनों का मुर्दाघर बन चुका है एनटीए: श्वेता
दिल्ली के जामिया मिलिया इस्लामिया से हिंदी साहित्य में परास्नातक करने वाली श्वेता ने भी अपने विषय में पीएचडी करने के लिए यूजीसी-नेट की परीक्षा दी थी. पिछले तीन-चार महीनों से परीक्षा की तैयारी में लगी श्वेता का कहना है कि उनके लिए ये सब हताश करने वाला है.
द वायर से बातचीत में उन्होंने कहा, ‘हम लड़कियों को इतने मौके नहीं मिलते जितनी गलतियां एनटीए परीक्षाओं को आयोजित करने में कर रहा है. यूजीसी-नेट की परीक्षा देने वाले उम्र के उस पड़ाव पर होते हैं, जहां उन पर परिवार और समाज का जबरदस्त दबाव होता है. मैंने दूसरी बार पीएचडी के लिए प्रयास किया था. इसके बाद मौका मिलेगा भी या नहीं, पता नहीं. सरकार से हाथ जोड़कर निवेदन एनटीए जैसे पंगू संस्थान को बंद कर दीजिए. यह संस्थान नौजवानों के सपनों का मुर्दाघर बन चुका है.’
‘एनटीए ने विश्वसनीयता खो दी है’
दिल्ली के एक प्रतिष्ठित विश्वविद्यालय से पीएचडी कर रहे एक स्कॉलर ने भी जेआरएफ (जूनियर रिसर्च फेलोशिप- इसके तहत रिसर्च के लिए सरकार की तरफ से पैसा मिलता है) के लिए दोबारा नेट की परीक्षा दी थी.
द वायर से बातचीत में उन्होंने दावा किया, ‘मेरे 150 में से 104 प्रश्न सही हैं, इतने अंक से जेआरएफ आसानी से मिल जाता. लेकिन एनटीए की लापरवाही से सब बर्बाद हो गया. सिर्फ इस परीक्षा के लिए मैं घर नहीं जा रहा था. तीन-चार महीने से दिल्ली की भीषण गर्मी को सहते हुए तैयारी में लगा हुआ था… आज (20 मई) घर जाने का टिकट था. लेकिन अब समझ नहीं आ रहा कि क्या करूं. परीक्षा रद्द होने की खबर ने मुझे तोड़ दिया है. मुझे बहुत बुरे-बुरे ख्याल आ रहे थे… मैंने किसी तरह खुद को संभाला.’
एनटीए को लेकर स्कॉलर ने स्पष्ट कहा कि इसे भंग कर देना चाहिए. उन्होंने कहा, ‘एनटीए ने विश्वसनीयता खो दी है. इतनी परीक्षाओं में अनियमितता सामने आने के बाद इस संस्थान पर भरोसा करने का कोई कारण नहीं बचा है.’
बातचीत के बाद स्कॉलर ने विषेश तौर पर आग्रह किया कि उनका नाम न छापा जाए, क्योंकि अगर इसकी जानकारी उनके विश्वविद्यालय तक पहुंच गई तो परेशानी बढ़ सकती है.
‘शिक्षा का भगवाकरण’
जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय से हिंदी साहित्य की पढ़ाई करने वाले सनी का मानना है कि ये शिक्षा के भगवाकरण और भाई-भतीजावाद का परिणाम है. सनी ने नेट की परीक्षा दी थी. उनका दावा है कि उनके 150 में से 98 प्रश्न सही थे.
द वायर से बातचीत में भावुक होते हुए उन्होंने कहा, ‘ये सब मौजूदा सरकार में जान-पहचान और राजनीतिक झुकाव के आधार पर हो रही नियुक्तियों का नतीजा है. बड़े लोगों के बच्चों के लिए प्रश्न पत्र लीक किए जाते हैं.’
दलित समुदाय से आने वाले जेएनयू के विद्यार्थी अजय विद्रोही शारीरिक अक्षमता से पीड़ित हैं. वे कहते हैं, ‘सिर्फ परीक्षा लीक नहीं हुई है, हमारे अरमानों की हत्या हुई है.’
‘फिर से तैयारी के लिए मानसिक तौर पर तैयार होना चुनौतीपूर्ण’
जामिया से उर्दू में परास्नातक कर रहे अबू हुरैरा ने भी नेट की परीक्षा दी थी. उन्होंने कहा, ‘मेरी परीक्षा अच्छी गई थी. पहले पेपर को छोड़ दें तो मेरे अपने विषय उर्दू में 100 में से 86 प्रश्न सही हैं. पहले पेपर में भी 15-20 नंबर भी मिल जाते तो मुझे जेआरएफ मिल जाता. लेकिन सब बेकार हो गया.’
उन्होंने आगे जोड़ा, ‘मैं इस पेपर के चलते ईद जैसे बड़े त्योहार पर भी घर नहीं गया था. अब फिर से तैयारी के लिए खुद को मानसिक तौर पर तैयार करना और लय हासिल करना एक चुनौती तो है ही. बहुत से कामों के हमने परीक्षा बाद के लिए टाल दिया था.’
हुरैरा पढ़ाई के साथ-साथ अपना खर्च चलाने के लिए अनुवाद का काम करते हैं, जिसे उन्होंने परीक्षा तक के लिए स्थगित कर दिया था.
2018 के बाद पहली बार पेन-पेपर फॉर्मेट में हुई थी परीक्षा
यूजीसी-नेट में दो पेपर होते हैं – पहला सभी के लिए समान होता है और दूसरा उम्मीदवार की विशेषज्ञता के आधार पर विषय-विशिष्ट पेपर होता है. दूसरा पेपर 83 विषयों में दिया जाता है. दोनों पेपरों की कुल अवधि तीन घंटे है. दोनों पेपरों में वस्तुनिष्ठ प्रकार के बहुविकल्पीय प्रश्न होते हैं. कुल 150 प्रश्न पूछे जाते हैं, जिसमें पहले पेपर में 50 प्रश्न और दूसरे पेपर में 100 प्रश्न होते हैं. परीक्षा में कोई निगेटिव मार्किंग नहीं होती है.
यूजीसी-नेट का आयोजन साल में दो बार जून और दिसंबर में किया जाता है. हालांकि, एनटीए दिसंबर 2018 से यूजीसी की ओर से कंप्यूटर आधारित टेस्ट फॉर्मेट में यह परीक्षा आयोजित कर रहा था, लेकिन इस साल एजेंसी ने पेन-एंड-पेपर फॉर्मेट में परीक्षा आयोजित करने का फैसला किया था.
कंप्यूटर आधारित परीक्षा कई शिफ्टों में कई दिनों तक आयोजित की जाती है और पेन-एंड-पेपर मोड की परीक्षा एक ही दिन में एक या दो शिफ्ट में पूरी की जा सकती है.