दिल्ली: भीषण गर्मी और लू के चलते शहर का बुरा हाल, अस्पतालों से सड़कों तक दम तोड़ रहे लोग

दिल्ली के निगम बोध घाट पर अब तक इस महीने 1,101 शवों का अंतिम संस्कार किया जा चुका है. कोविड महामारी के दौरान जून 2021 में यह संख्या 1,210 रही थी. अनुमान है कि मौतों में हुई अचानक वृद्धि हीटवेव से संबंधित है.

(फोटो: अतुल अशोक होवाले/द वायर)

नई दिल्ली: इन दिनों उत्तर भारत का एक बड़ा इलाका भीषण गर्मी और गरम हवा के थपेड़ों से बुरी तरह तप रहा है. हीट वेव की इस समय जो स्थिति है, उसकी गंभीरता का अंदाज़ा इस बात से भी लगाया जा सकता है कि सरकारी आंकड़ों के अनुसार पिछले तीन दिनों में ही दिल्ली के तीन बड़े अस्पतालों में 14 लोगों की मौत हो गई है और सैकड़ों की संख्या में लोग इस समय हीट स्ट्रोक या लू के चलते अस्पतालों में भर्ती हैं.

गैर सरकारी संगठन सेंटर फॉर होलिस्टिक डेवलपमेंट के पास भी आंकड़े हैं. हालांकि, संस्था के आंकडे़ कहते हैं कि 11 जून से 19 जून के बीच दिल्ली में भीषण गर्मी के कारण कुल 192 बेघर लोगों की मौत हो गई है.

ख़बरों के मुताबिक दिल्ली के निगम बोध घाट पर जून में अभी तक 1,101 शवों का अंतिम संस्कार किया जा चुका है, जबकि कोविड के दौरान जून 2021 में 1,210 शवों का अंतिम संस्कार किया गया था.

सेंटर फॉर होलिस्टिक डेवलपमेंट के आंकड़े. (फोटो साभार: सोशल मीडिया)

हिंदुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, दिल्ली के स्वास्थ्य मंत्री सौरभ भारद्वाज ने आधिकारिक तौर पर बताया कि दिल्ली के सरकारी अस्पतालों में बीते 48 घंटों में 310 लोग एडमिट हुए, जिसमें 14 लोगों की मौत हो गई, 112 को डिस्चार्ज कर दिया गया,जबकि 118 अभी भी अस्पतालों में भर्ती हैं.

हालांकि, बीते कई दिनों से दिल्ली की भीषण गर्मी पर खबर दे रहे पत्रकार हेमंत राजौरा ने सोशल मीडिया मंच एक्स पर पिछले 48 घंटों में 24 लोगों के मौत की जानकारी दी है. उन्होंने एक्स पर विस्तार से विभिन्न अस्पतालों के मौत के आंकड़े भी साझा किए हैं.

उनके आंकड़ों के अनुसार,दिल्ली के सफदरजंग अस्पताल में गर्मी के चलते बीते 24 घंटे में 13 मौत रिपोर्ट हुई है.वहीं दिल्ली के दीन दयाल उपाध्याय अस्पताल में एक दिन में 22 लावारिश लाश पहुंचीं, जिसके पीछे गर्मी वजह हो सकती हैं. दिल्ली के बड़े अस्पतालों में से एक राम मनोहर लोहिया, लोकनायक में भी बीते तीन दिनों में हीट स्ट्रोक के 25 मरीज हुए भर्ती हुए हैं.

इस वक्त दिल्ली झुलसती गर्मी के बीच पानी और बिजली दोनों की समस्या का सामना कर रही है,जिसके चलते स्थिति और खतरनाक हो गई है.

इस मामले को करीब से रिपोर्ट करने वाले कई अन्य पत्रकारों ने द वायर को बताया कि बढ़ते तापमान के चलते कई अस्पतालों में एसी, कूलिंग सिस्टम ठीक से काम नहीं कर रहा, जिसके चलते जाने-माने स्पोर्ट्स इंजरी सेंटर में कुछ सर्जरी नहीं हो सकीं, तो कुछ अस्पतालों में पानी के गर्म होने के चलते कई मरीजों की डायलिसिस नहीं हो पा रही है. मरीजों की बढ़ती संख्या के कारण अस्पताल के बेड भर गए हैं, कई मरीजों को एक अस्पताल से दूसरे अस्पताल का चक्कर लगाना पड़ रहा है.

सेंटर फॉर होलिस्टिक डेवलपमेंट के  मुताबिक, पिछले 11 जून से 19 जून के बीच दिल्ली में भीषण गर्मी के कारण कुल 192 बेघर लोगों की मौत हुई है. संस्था का दावा है कि गर्मी के कारण मरने वाले लोगों के लावारिस शवों में से 80 प्रतिशत बेघर लोगों के हैं.

संस्था के संस्थापक सुनील कुमार आलेडिया ने बताया कि दिल्ली में लाखों बेघर गर्मी की मार झेल रहे हैं. सरकार के पास जलवायु परिवर्तन पर न तो कोई एक्शन प्लान है और न ही इससे निपटने के तरीकों पर गंभीरता से काम किया जा रहा है. चूंकि हर साल सर्दी, गर्मी और बरसात में लोग मारे जाते हैं, इसके लिए आपदा प्रबंधन के स्तर पर काम करने की जरूरत है.

सुनील कुमार बताते हैं, ‘मौसम की मार सबसे ज्यादा गरीब और दिहाड़ी मज़दूरों पर पड़ी है. उनके लिए कहीं रहने की सही व्यवस्था नहीं है. रैन बसेरों की हालत खस्ता है. ट्रैफिक ट्रेनिंग पार्क बंगला साहिब रैन बसेरा परिसर में पिछले तीन दिनों से पानी नही आ रहा है, बिजली की स्थिति और खराब है. ऐसे में सरकार को अस्पतालों की व्यवस्था में सुधार करने की जरूरत है.’

गर्मी के बढ़ते प्रकोप को देखते हुए राम मनोहर लोहिया अस्पताल में पहली बार इस साल हीट स्ट्रोक यूनिट बनाई गई है. यहां पर हीट स्ट्रोक के मरीजों के बुखार को कम करने के लिए ठंडे पानी से कूलिंग की व्यवस्था की गई है.

राम मनोहर लोहिया अस्पताल का हीट स्ट्रोक यूनिट. (फोटो साभार: एक्स/@RMLHDelhi )

इस अस्पताल के इमरजेंसी विभाग में कार्यरत एक डॉक्टर ने द वायर को बताया कि इस समय अस्पताल में ज्यादातर तेज बुखार के मरीज आ रहे हैं, इसमें कई ऐसे हैं जिन्हें सीधे वेंटिलेटर की जरूरत है. वहीं, कुछ की सांस फूलने और शरीर के तापमान में एकाएक बढ़ोत्तरी के चलते हालात खराब हो जा रही है. कई लोग ऐसे भी आ रहे हैं, जो अस्पताल पहुंचने के पहले ही दम तोड़ चुके हैं, ऐसे में उनके एकदम सटीक मौत के कारण का पता नहीं लग पा रहा.

दिल्ली सरकार के मंत्री सौरभ भारद्वाज का कहना है कि पिछले कुछ दिनों में दिल्ली का तापमान 52 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच गया है. ये पिछले 60 सालों में तापमान अपने उच्चतम स्तर पर है, वहीं रात का तापमान भी 38 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच रहा है. इस बढ़ते तापमान के पीछे सुनील कुमार वायु प्रदूषण, तीव्र औद्योगिकीकरण, शहरीकरण और वनों की कटाई जैसे कारकों को जिम्मेदार मानते हैं, जिनसे गरीब लोग सबसे ज्यादा प्रभावित हैं.

दिल्ली में रहने वाली डॉक्टर प्रिया सिंह ने द वायर को बताया कि हीट वेव की वजह से इन दिनों अस्पताल में लोगों की संख्या बढ़ी है. शुरुआत में लोग इसे गंभीरता से नहीं लेते, लेकिन लंबे समय तक जब शरीर उच्च तापमान में रहता है, तो इसका असर शरीर के सभी अंगों पर पड़ता है.

प्रिया कहती हैं, ‘इन दिनों हाइपर थर्मिया बुखार, जिसमें मौसम का तापमान बढ़ने के साथ-साथ शरीर का तापमान भी बढ़ने लगता है, इसके ज्यादा मरीज हैं. इसमें दिमाग में मौजूद हाइपोथैलेमस ग्लैंड,जो कि आपके शरीर में हीट रेगुलेटरी सिस्टम की तरह काम करता है, वह काम करना बंद कर देता है, जिससे तापमान का संतुलन बिगड़ जाता है. इसके साथ अन्य दिक्कत जैसे रक्तचाप का बढ़ना, डिहाइड्रेशन से लेकर उल्टी, सिरदर्द, पेटदर्द और डायरिया की भी संभावना बढ़ जाती है, इसलिए ये और जानलेवा लगने लगता है.’

(फोटो: अतुल अशोक होवाले/द वायर)

डॉक्टर प्रिया की मानें, तो बढ़ती गर्मी बुजुर्गों पर बहुत बुरा असर डाल रही है. क्योंकि वे पहले से अन्य स्वास्थ्य समस्याओं से जूझ रहे होते हैं. उनके लिए ये और परेशानी बढ़ा देती है. इसके अलावा कंस्ट्रक्शन साइट और अन्य जगहों पर काम करने वाले मजदूर भी इसकी चपेट में ज्यादा आते हैं क्योंकि वे खुले में काम करते हैं और सीधे तौर पर गर्मी का शिकार होते हैं. इस समय ये लोग 102 से लेकर 107 डिग्री तक बुखार के साथ अस्पताल में आ रहे हैं.

मालूम हो कि भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) के अनुसार, मंगलवार (18जून) को दिल्ली में बीते एक दशक की सबसे गरम रात दर्ज की गई, जब शहर का तापमान 35.2 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच गया था. यह 1969 के बाद से दिल्ली का सबसे अधिक न्यूनतम तापमान है.

मौसम विभाग के आंकड़े देखें, तो मंगलवार की रात का तापमान 23 मई 1972 को दर्ज किए गए 34.9 डिग्री सेल्सियस के पिछले उच्चतम तापमान के रिकॉर्ड को भी पारकर गया था. वहीं, दिल्ली में लगातार 37 दिनों से तापमान 40 डिग्री सेल्सियस से अधिक बना हुआ है. मौसम विज्ञान का कहना है कि संभावना है कि इस गर्मी से जल्द ही हल्की राहत मिले.

दिल्ली में गर्मी से बेहाली की एक तस्वीर निगम बोध घाट पर भी दिखाई देती है. यहां बीते कुछ दिनों में अंतिम संस्कार के लिए लाए जाने वाले शवों की संख्या अचानक बढ़ गई है.

मीडिया में आई ख़बरों के मुताबिक, दिल्ली के निगम बोध घाट पर इस साल जून महीने में अभी तक 1,101शवों का अंतिम संस्कार किया गया है. ये आंकड़ा बीते साल जून 2023 में 1,319 था. जबकि 2022 जून में इस घाट पर 1,570 शवों के दाह संस्कार हुए थे, इस बार आंकड़ा इससे पार जाने कीआशंका जताई जा रही है. वहीं कोविड महामारी के दौरान जून 2021 में 1,210 का अंतिम संस्कार किया गया था.

एक एमसीडी अधिकारी ने द वायर को बताया, ‘आम तौर पर यहां हर रोज 55 से 60 शव अंतिम संस्कार के लिए लाए जाते हैं. लेकिन बुधवार को यहां रात 12 बजे तक 142 शवों का दाह संस्कार किया गया. इससे पहले मंगलवार को 97 शवदाह संस्कार के लिए लाए गए थे. दो दिन पहले तक स्थिति इतनी विकराल नहीं थी. पिछले दो दिनों में अंतिम संस्कार का आंकड़ा एकदम बढ़ गया है.’

हालांकि, शवों की संख्या में बढ़ोतरी को भीषण गर्मी से जोड़ने को लेकर कोई आधिकारिक आंकड़ा मौजूद नहीं है, लेकिन अनुमान है कि मौतों में हुई अचानक वृद्धि हीटवेव से संबंधित है.

सरकार क्या कर रही है?

गर्मी से मौत के बढ़ते मामलों के बीच केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा ने सभी केंद्रीय सरकारी अस्पतालों और मेडिकल कॉलेजों के लिए एडवाइजरी जारी की है. केंद्र सरकार की तरफ से निर्देश दिया गया है कि गर्मी के कारण बीमार हुए लोगों का इलाज प्राथमिकता के साथ किया जाए.

प्रेस सूचना ब्यूरो के अनुसार, जेपी नड्डा ने हीट वेव की स्थिति से निपटने के लिए 19 जून को स्वास्थ्य मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ देश भर में अस्पतालों की तैयारियों की समीक्षा की. स्वास्थ्य मंत्री ने केंद्र सरकार के अस्पतालों में विशेष हीटवेव यूनिट्स शुरू करने का भी निर्देश दिया है. वहीं राज्यों को जलवायु परिवर्तन और स्वास्थ्य पर राज्य और जिला टास्क फोर्स के साथ बैठक करने का भी निर्देश दिया गया है.

स्वास्थ्य मंत्रालय ने सभी राज्यों से लू संबंधित बीमारियों से होने वाली मौतों का डाटा भी रिपोर्ट करने के लिए कहा है. सरकार की तरफ से कहा गया है कि 1 मार्च 2024 से हीट स्ट्रोक से हुई मौतों का डेटा एकीकृत स्वास्थ्य सूचना प्लेटफार्म (IHIP पोर्टल) पर दिया जाए. अस्पतालों को सभी जरूरी दवा और इंतज़ाम करने के साथ ही आम लोगों के भी सामूहिक समारोहों और कार्यक्रमों के लिए दिशानिर्देश दिए गए हैं.