नई दिल्ली: सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय की एक रिपोर्ट के अनुसार, वर्तमान में संचालित केंद्र सरकार की 1,817 बुनियादी ढांचागत परियोजनाओं में से 458 परियोजनाओं की लागत में 5.71 लाख करोड़ रुपये की बढ़ोतरी हुई है और 831 परियोजनाएं विलंबित हैं.
बिजनेस स्टैंडर्ड की रिपोर्ट के अनुसार, इनमें से प्रत्येक परियोजना 150 करोड़ रुपये या उससे अधिक की है. रिपोर्ट में दिए गए आंकड़े मई माह तक की स्थिति दिखाते हैं.
इन 1,817 परियोजनाओं के क्रियान्वयन की कुल मूल लागत 27,58,567.23 करोड़ रुपये आंकी गई थी, जबकि इनके पूर्ण होने की संभावित लागत 33,29,647.99 करोड़ रुपये होने की उम्मीद थी. मंत्रालय की मई 2024 की नवीनतम रिपोर्ट में संकेत दिया गया है कि परियोजनाओं के पूरा होने की लागत में 5,71,080.76 करोड़ रुपये की बढ़ोतरी हुई है, मतलब कि सरकार को 20.70 प्रतिशत अतिरिक्त खर्च करना पड़ेगा.
मई तक इन परियोजनाओं पर 17,07,190.15 करोड़ रुपये खर्च हो चुके थे, जो परियोजनाओं की अनुमानित लागत का 51.3% था.
831 विलंबित परियोजनाओं में से 245 में कुल मिलाकर 1-12 महीने की देरी हुई है, 188 में 13-24 महीने की देरी हुई है, 271 परियोजनाओं में 25-60 महीने की देरी हुई है और 127 परियोजनाओं में 60 महीने से अधिक की देरी हुई है. इन परियोजनाओं में देरी का औसत 35.1 महीने बैठता है.
हालांकि, मंत्रालय की रिपोर्ट में कहा गया है कि काम पूरा होने की नवीनतम समय-सारिणी के अनुसार, विलंबित परियोजनाओं की संख्या घटकर 554 हो गई है.
परियोजना कार्यान्वयन एजेंसियों के अनुसार, देरी के कारणों में भूमि अधिग्रहण, पर्यावरण मंजूरी, वित्तीय समस्याएं, ठेका संबंधी/आंतरिक समस्याएं, जनशक्ति की कमी और मुकदमेबाजी संबंधी मुद्दे शामिल हैं.