नई दिल्ली: पिछले सप्ताह उत्तर प्रदेश सरकार ने यूपी पुलिस की कॉन्स्टेबल भर्ती परीक्षा में हुए पेपर लीक के मद्देनजर परीक्षा आयोजित करने वाली अहमदाबाद की कंपनी एडुटेस्ट सॉल्युशंस प्राइवेट लिमिटेड को ब्लैकलिस्ट कर दिया.
द वायर हिंदी की पड़ताल में सामने आया है कि यह कंपनी कई राज्यों में पेपर लीक और भर्ती घोटाले के आरोपों से घिरी हुई है. इसके संस्थापक निदेशक सुरेशचंद्र आर्य सार्वदेशिक आर्य प्रतिनिधि सभा नामक एक प्रमुख हिंदू संगठन के अध्यक्ष हैं. उनके कार्यक्रमों में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी समेत तमाम बड़े भाजपा नेता शामिल होते हैं.
कई राज्य सरकारें इस कंपनी को ब्लैकलिस्ट कर चुकी हैं. सुरेशचंद्र के बेटे यानी एडुटेस्ट के प्रबंध निदेशक विनीत आर्य को 2017 में जेल भी हो चुकी है, लेकिन इसके बावजूद प्रधानमंत्री की अध्यक्षता वाली केंद्र सरकार की एक संस्था और कई राज्यों की भाजपा सरकारें इसे परीक्षा आयोजित करवाने के ठेके देती रहती हैं.
द वायर हिंदी ने पिछले दिनों कई परीक्षा घोटालों को उजागर किया है. गुजरात की सरकारी भर्तियों में हो रहे घोटालों और भाजपा नेताओं की कथित संलिप्तता की गहरी पड़ताल की है. इस बार गुजरात की एक अन्य कम्पनी का बहीखाता.
उत्तर प्रदेश की कॉन्स्टेबल भर्ती परीक्षा
20 जून को उत्तर प्रदेश सरकार ने एडुटेस्ट को ब्लैकलिस्ट कर दिया. इस कंपनी को परीक्षा आयोजित कराने की जिम्मेदारी दी गई थी. कॉन्स्टेबल के 63,244 पदों के लिए 43 लाख से ज्यादा अभ्यर्थी 17 और 18 फरवरी को परीक्षा में शामिल हुए थे, लेकिन इसका पेपर लीक हो गया. प्रदेश भर के अभ्यर्थियों ने राजधानी लखनऊ में आकर कई दिनों तक विरोध प्रदर्शन किया. अंतत: योगी आदित्यनाथ की सरकार को परीक्षा रद्द करनी पड़ी.
मामले की जांच कर रही यूपी एसटीएफ ने विनीत आर्य को कई नोटिस भेजे हैं, लेकिन वह जांचकर्ताओं के सामने पेश नहीं हुए.
खबरों के मुताबिक, एसटीएफ के गठन के बाद आर्य अमेरिका भाग गए. एसटीएफ का कहना है कि पेपर लीक कंपनी के अहमदाबाद स्थित गोदाम से हुआ था. एसटीएफ अब कंपनी के बैंक खाते और कॉल डीटेल्स खंगाल रही है. एसटीएफ ने 6 जून इस मामले में 900 पन्नों की चार्जशीट दाखिल की है. 18 आरोपी गिरफ्तार किए गए हैं.
यह गुजरात की इस कंपनी का पहला विवाद नहीं है. पेपर लीक होने और भीषण अनियमितताओं के कारण यह कंपनी पहले भी ब्लैकलिस्ट हो चुकी है, लेकिन इसके बावजूद इसे पेपर छापने और परीक्षा आयोजित करने के ठेके मिलते रहते हैं.
पिछले साल बिहार ने ब्लैकलिस्ट किया था
20 अक्टूबर, 2023 को बिहार विद्यालय परीक्षा समिति (पटना) के परीक्षा नियंत्रक ने एडुटेस्ट सॉल्युशंस को एक पत्र लिखा था, जिसकी एक्सक्लूसिव प्रति द वायर हिंदी के पास है. पत्र में कंपनी के प्रोजेक्ट मैनेजर को सूचित किया गया था कि समिति उनकी एजेंसी को ‘घोर लापरवाहीपूर्ण रवैये’ ‘और गैर-व्यावसायिक आचरण’ के कारण ब्लैकलिस्ट कर रही है.
समिति ने एडुटेस्ट की ‘लापरवाहियों’ को सूचीबद्ध करते हुए लिखा, ‘माध्यमिक शिक्षक पात्रता परीक्षा, डी.एल.एड., संयुक्त प्रवेश परीक्षा, सिमुलतला आवासीय विद्यालय कक्षा- 11 प्रवेश परीक्षा’ जैसी परीक्षाओं के आयोजन में हुई लापरवाही की वजह से ‘आपकी एजेंसी को तीन वर्षों के लिए प्रतिबंधित किया जाता है, तथा बिहार विद्यालय परीक्षा से संबंधित कार्यों के लिए तीन वर्षों के लिए काली सूची में डाला जाता है’.
समिति ने इन परीक्षाओं के दौरान एडुटेस्ट की ‘लापरवाही और गैर-जिम्मेदाराना कृत्य’ का विस्तार से उल्लेख किया. मसलन, एडुटेस्ट ने माध्यमिक शिक्षक पात्रता परीक्षा में 5,657 अभ्यर्थियों द्वारा न्यूनतम से कम अंक प्राप्त करने के बावजूद उन्हें उत्तीर्ण घोषित कर ‘वेबसाइट पर उनका रिजल्ट अपलोड कर दिया’.
विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय ने दिया ठेका
इस प्रतिबंध से एक दिन पहले यानी 19 अक्टूबर को विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय के अंतर्गत आने वाली सीएसआईआर (वैज्ञानिक तथा औद्योगिक अनुसंधान परिषद) ने एडुटेस्ट को सेक्शन ऑफिसर (एसओ) और असिस्टेंट सेक्शन ऑफिसर (एएसओ) के पदों पर भर्ती की परीक्षा कराने के लिए आठ करोड़ रुपये (80,004,000) का ठेका दिया था.
आठ दिसंबर 2023 यानी बिहार द्वारा प्रतिबंध लगाने के डेढ़ महीने बाद सीएसआईआर ने इन पदों पर भर्ती की आवेदन प्रक्रिया शुरू की. सीएसआईआर के अध्यक्ष स्वयं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी हैं.
कुल 444 पदों के लिए निकली भर्तियों में से 76 पद एसओ और शेष 368 पद एएसओ के लिए थे. आवेदन की आखिरी तारीख 14 जनवरी, 2024 थी. परीक्षा पांच से 20 फरवरी के बीच देश के अलग-अलग केंद्रों पर ऑनलाइन हुई थी. परीक्षा के दौरान ही अभ्यर्थियों ने बड़े पैमाने पर धांधली के आरोप लगाए. आठ फरवरी, 2024 को उत्तराखंड के एक सेंटर पर पुलिस ने छापा मारा था.
देहरादून के राजपुर थाने में दर्ज एफआईआर के मुताबिक, परीक्षा केंद्र से पकड़े गए अभियुक्त अंकित धीमान ने स्वीकार किया था कि उसने सात फरवरी को सुबह की पाली में अभ्यर्थी शिवेन डबास (पिता- भूपेंद्र सिंह, रोल नंबर- 126241609, सीट नंबर- 66) का प्रश्न पत्र हल कराया था.
इसी तरह 20 फरवरी को राजस्थान के कोटपूतली-बहरोड़ ज़िले के बहरोड़ थाने में एफआईआर दर्ज की गई थी, जिसके मुताबिक अभियुक्त रवि यादव ने स्वीकार किया कि वह एसओ और एएसओ भर्ती परीक्षा में नकल करवा रहा था. इस मामले में रवि यादव और एक अन्य आरोपी योगश शर्मा इस वक्त जेल में हैं.
गौरतलब है कि सीएसआईआर ने किसी गड़बड़ी को स्वीकारने से इनकार कर दिया. जब अभ्यर्थियों ने केंद्रीय प्रशासनिक अधिकरण (सीएटी) का रुख किया तो सीएसआईआर ने अपने जवाबी हलफनामे में दावा किया कि ‘संलिप्त उम्मीदवारों’ को परीक्षा में आगे भाग लेने की इजाजत नहीं दी गई.
लेकिन अंकित धीमान ने जिस लड़की शिवेन डबास को नकल कराने का बयान दिया था, उसका नाम सीएसआईआर द्वारा तीन जून को जारी परिणाम में शामिल था. यानी शिवेन ने प्रथम चरण की परीक्षा पास कर ली है.
इसके बावजूद सीएसाईआर ने इस भर्ती के लिए दूसरे चरण की परीक्षा की तारीख घोषित कर दी है. यह परीक्षा 7 जुलाई को आयोजित की जाएगी.
कंपनी का दाग़दार इतिहास और पेपर लीक के केस बढ़ने पर नाम परिवर्तन
एडुटेस्ट सॉल्युशंस प्राइवेट लिमिटेड का दावा है कि वे 1981 से कई तरह की परीक्षा आयोजित करा रहे हैं. दिलचस्प है कि एडुटेस्ट की वेबसाइट के मुताबिक, इसने पिछले चालीस वर्षों में ‘113 करोड़ परीक्षाएं आयोजित’ कराई हैं और ये सभी ‘दोषरहित’ रही हैं.
इस कंपनी ने उत्तर प्रदेश अधीनस्थ सेवा चयन आयोग, गुजरात नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी, भारत इलेक्ट्रॉनिक्स, छत्तीगढ़ सरकार, हरियाणा एसएससी, नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (तिरुचिरापल्ली), पावर सिस्टम ऑपरेशन, राजस्थान केंद्रीय विश्वविद्यालय, ऑयल इंडिया लिमिटेड, यूनिवर्सिटी ऑफ पुणे, आर्मी वेलफेयर एजुकेशन सोसाइटी, केंद्रीय मनोरोग संस्थान (रांची), मेहसाणा डिस्ट्रिक्ट को-ऑपरेटिव बैंक,पावर ग्रिड कारपोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड जैसे प्रतिष्ठित सरकारी संस्थानों के लिए काम किया है.
गौरतलब है कि एडुटेस्ट सॉल्युशंस प्राइवेट लिमिटेड पहले कॉन्फिसेक प्राइवेट लिमिटेड के नाम से जानी जाती थी. लेकिन पेपर लीक प्रकरणों में नाम आने के बाद इसने अपना नाम बदल लिया.
साल 2017 में बिहार कर्मचारी चयन आयोग (बीएसएससी) की परीक्षा का प्रश्न पत्र लीक हुआ था. बिहार पुलिस की एसआईटी ने बीएसएससी के तत्कालीन अध्यक्ष और आईएएस अधिकारी सुधीर कुमार के साथ प्रश्न पत्र छापने वाली प्रिंटिंग फर्म कॉन्फिसेक प्राइवेट लिमिटेड के निदेशक विनीत आर्य को भी फरवरी 2017 में गिरफ्तार किया था, जो कुछ समय बाद जमानत पर बाहर आ गए.
तीन साल बाद विनीत आर्य ने जमानत की अवधि बढ़ाने के लिए अदालत में एक अर्जी लगाई थी, जिसमें उन्होंने खुद को मानसिक रूप से अस्वस्थ और अवसादग्रस्त बताया था. विनीत आर्य ने अदालत को यह भी बताया था कि उन्हें आत्महत्या के विचार आ रहे हैं. वह अब भी जमानत पर बाहर हैं.
बीएसएससी पेपर लीक कांड से कॉन्फिसेक प्राइवेट लिमिटेड की बहुत बदनामी हुई थी. विनीत आर्य की भूमिका को लेकर कई ख़बरें प्रकाशित हुई थीं. और फिर 23 अगस्त, 2018 को जारी एक जीएसटी दस्तावेज में सहसा कंपनी का नाम एडुटेस्ट सॉल्युशंस प्राइवेट लिमिटेड हो गया- कंपनी ने अपना नाम बदल दिया.
2017 में बिहार कर्मचारी चयन आयोग की परीक्षा का प्रश्न पत्र लीक हो जाने के बाद बिहार सरकार को सतर्क हो जाना चाहिए था. लेकिन एडुटेस्ट का काम बगैर किसी बाधा के चलता रहा.
एडुटेस्ट ने इसके बाद बिहार विद्यालय परीक्षा समिति की विभिन्न परीक्षाओं, जैसे- माध्यमिक शिक्षक पात्रता परीक्षा (2022), माध्यमिक शिक्षक पात्रता परीक्षा (2023) और डी.एल.एड. संयुक्त प्रवेश परीक्षा (2023) का आयोजन कर परिणाम भी प्रकाशित किया. लेकिन इन कामों में भी गड़बड़ी के आरोप लगे.
समिति ने एडुटेस्ट को लिखा कि ‘त्रुटिपूर्ण परीक्षाफल का प्रकाशन आपकी घोर लापरवाही एवं व्यावसायिक अकुशलता का द्योतक है’. समिति ने यह भी लिखा कि जब उसने एडुटेस्ट से स्पष्टीकरण मांगा, उन्हें ‘संतोषजनक’ जवाब नहीं मिला. समिति के मुताबिक, कई जगहों पर एडुटेस्ट ने निर्धारित समय से देरी से परीक्षा शुरू करवाई, कभी प्रवेश पत्र जारी करने में लापरवाही हुई, कभी आवेदन की सूचना तय तारीख पर नहीं दी गई और कभी समय पर रिजल्ट घोषित नहीं हुआ. समिति ने इन्हीं ‘लापरवाहियों और गैर-व्यावसायिक आचरण’ के कारण अक्टूबर 2023 में एडुटेस्ट को तीन साल के लिए ब्लैकलिस्ट कर दिया.
एडुटेस्ट ने पटना हाईकोर्ट में तर्क दिया कि उसका अनुबंध बिहार विद्यालय परीक्षा समिति से नहीं बल्कि बिहार राज्य इलेक्ट्रॉनिक विकास निगम लिमिटेड (बेल्ट्रोन) के साथ हुआ था, इसलिए समिति को ब्लैकलिस्ट करने का अधिकार नहीं है.
16 मई, 2024 को मुख्य न्यायाधीश हरीश कुमार की बेंच ने तकनीकी आधार पर समिति के आदेश को रद्द कर दिया. लेकिन यह भी कहा कि हमने इस कंपनी पर लगे आरोपों पर विचार नहीं किया. अदालत ने स्पष्ट कहा कि बेल्ट्रोन ने याचिकाकर्ता (एडुटेस्ट) को पहले ही कारण बताओ नोटिस दे दिया है.
द वायर ने बिहार विद्यालय परीक्षा समिति और बेल्ट्रोन की तरफ से कोर्ट में पेश हुए अधिवक्ता सत्यबीर भारती से बात की. ‘मामला अभी बंद नहीं हुआ. अब आगे की कार्रवाई बिहार राज्य इलेक्ट्रॉनिक विकास निगम लिमिटेड करेगी,’ भारती ने कहा.
द वायर ने एडुटेस्ट के वकील साकेत तिवारी को संपर्क किया था, मगर उन्होंने किसी भी सवाल का जवाब देने से इनकार कर दिया.
एडुटेस्ट कई अन्य प्रकरणों में लिप्त
पिछले साल की शुरुआत में लखनऊ के डॉ. राम मनोहर लोहिया आयुर्विज्ञान संस्थान (आरएमएलआईएमएस) ने नर्सों की भर्ती के लिए परीक्षा की जिम्मेदारी एडुटेस्ट को दी थी. लेकिन परीक्षा पर संदेह के कारण अठारह केंद्रों पर दोबारा परीक्षा की घोषणा की गई.
आरएमएलआईएमएस की एक समिति ने एडुटेस्ट को प्रभावित उम्मीदवारों के यात्रा व्यय की भरपाई करने को भी कहा था.
इस साल केंद्रीय कर्मचारी चयन आयोग (एसएससी) को कंप्यूटर बेस्ड टेस्ट के लिए सर्विस प्रोवाइडर चाहिए था. चार कंपनियों ने इसके लिए टेंडर भरा, जिसमें एडुटेस्ट भी शामिल था. लेकिन एसएससी ने एडुटेस्ट को अयोग्य घोषित कर दिया क्योंकि एजेंसी ब्लैकलिस्ट न होने का प्रमाण पत्र नहीं पेश कर पाई.
इतनी भीषण धांधलियों के बाद भी यह कंपनी सरकारों की चहेती क्यों बनी रही? इसका संकेत इसके मालिकों के धार्मिक और राजनीतिक रुझानों में मिलता है.
आर्य समाज से जुड़ा हुआ है एडुटेस्ट का परिवार
एडुटेस्ट के संस्थापक निदेशक सुरेशचंद्र सार्वदेशिक आर्य प्रतिनिधि सभा के अध्यक्ष हैं. वे इस पद पर फरवरी 2016 से आसीन हैं. यह संस्थान दयानंद सरस्वती द्वारा शुरू किए गए आर्य समाज को आगे बढ़ाने का दावा करता है. संस्थान की वेबसाइट के मुताबिक, ‘सार्वदेशिक आर्य प्रतिनिधि सभा की स्थापना स्वामी श्रद्धानंद जी महाराज (स्वामी दयानंद के अनुयायी) ने पूरे विश्व में आर्य समाज संगठन के उचित प्रशासन के लिए की थी.’
साल 2018 में सभा द्वारा आयोजित चार दिवसीय अंतरराष्ट्रीय आर्य महासम्मेलन में भाजपा और संघ के कई वरिष्ठ नेताओं ने शिरकत की थी. महासम्मेलन के उद्घाटन समारोह में तत्कालीन राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद पहुंचे थे और सुरेशचंद्र आर्य ने स्वागत भाषण दिया था.
चार दिन के इस कार्यक्रम में राजनाथ सिंह, नितिन गडकरी, योगी आदित्यनाथ, मनोहरलाल खट्टर, सुधांशु त्रिवेदी, मनोज तिवारी, विजय गोयल और मीनाक्षी लेखी समेत कई केंद्रीय मंत्री, सांसद और भाजपा नेता शामिल हुए थे. इसके अलावा बाबा रामदेव समेत कई प्रभावशाली लोग और बड़ी संख्या में साधु-संत भी कार्यक्रम में पहुंचे थे.
कार्यक्रम की तस्वीरों में सुरेशचंद्र आर्य को तमाम मेहमानों को सम्मानित करते देखा जा सकता है.
फरवरी, 2023 में नई दिल्ली में दयानंद सरस्वती की 200वीं जयंती समारोह का प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उद्घाटन किया था. आर्य समाज के इस कार्यक्रम के दौरान सुरेशचंद्र आर्य पीएम मोदी साथ मंच पर मौजूद थे. मोदी ने अपने भाषण में सुरेशचंद्र का उल्लेख भी किया था.
इनके अलावा गुजरात के राज्यपाल आचार्य देवव्रत, और किशन रेड्डी, मीनाक्षी लेखी व अर्जुन राम मेघवाल सरीखे केंद्रीय मंत्री भी उपस्थित थे. प्रधानमंत्री मोदी की आधिकारिक वेबसाइट पर कई तस्वीरों और वीडियो के साथ इस कार्यक्रम की विस्तृत रिपोर्ट मौजूद है.
एडुटेस्ट की वेबसाइट पर मौजूद एक लंबी प्रोफाइल के अनुसार सुरेशचंद्र इस कंपनी की ‘रीढ़’ हैं. गुजरात के साणंद में आयोजित कंपनी के एक कॉरपोरेट सोशल रेस्पोंसिबिलिटी (सीएसआर) कार्यक्रम का उद्घाटन सुरेशचंद्र आर्य ने किया था. इस कार्यक्रम में विनीत आर्य, उनकी पत्नी और एडुटेस्ट की निदेशक जया आर्य के साथ गुजरात की पूर्व मुख्यमंत्री आनंदीबेन पटेल की बेटी अनार पटेल भी मौजूद थीं.
द वायर ने इस पूरे प्रकरण को लेकर एडुटेस्ट से मेल पर विस्तार से कई प्रश्न पूछे हैं. रिपोर्ट के प्रकाशन के समय तक जिनका कोई जवाब नहीं मिला है. जवाब आने पर उसे ख़बर में जोड़ा जाएगा.
(जल्द पढ़ें एडुटेस्ट पर हमारी अगली कड़ी)